प्रदेश के शैक्षणिक पटल से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह की शिक्षा गारंटी शालाओं का अस्तित्व समाप्त होने के कगार पर है। शिवराज सरकार ने इन शालाओं को सैटेलाइट स्कूलों में बदलने का फैसला कर लिया है। इसमें केवल अप्रौन्नात शालाओं को ही सैटेलाइट एजुकेशन का दर्जा दिया जाएगा।
सूत्रों के मुताबिक राज्य सरकार ने वर्ष 2001 में खोली गई शिक्षा गारंटी शालाओं (ईजीसी) को सैटेलाइट स्कूल में बदलने के निर्देश जारी कर दिए हैं। इसके तहत केवल अप्रौन्नत शालाओं को सैटेलाइट स्कूल का दर्जा दिया जा रहा है।
अप्रौन्नत शाला वह मानी गई है, जो स्कूल के रूप में उन्नत नहीं हो सकी। राज्य शिक्षा केंद्र ने सभी जिला परियोजना समन्वयकों से पंद्रह मई तक ऐसी शालाओं की सूची माँगी है।
नई व्यवस्था के तहत इन शालाओं को सैटेलाइट शिक्षा से जो़ड़ा जाएगा। योजना है कि आगे चलकर इन्हें भारतीय शैक्षणिक उपग्रह एजुसैट से कनेक्ट करके प़ढ़ाई कराई जाए। इसके लिए अलग से सेंटर भी बनाने पर विचार-विमर्श किया जा रहा है।
कौन सी शालाएँ बनेंगी सैटेलाइट स्कूल :
राज्य शिक्षा केंद्र ने आदेश दिए हैं कि ऐसे स्थान जहाँ एक किलोमीटर के दायरे में सरकारी प्राथमिक स्कूल नहीं हैं और 5 से 9 वर्ष की उम्र के 10 से 39 तक बच्चे उपलब्ध हैं वहाँ मौजूद अप्रौन्नात शिक्षा गारंटी शाला अब सैटेलाइट स्कूल के रूप में पहचानी जाएगी। वहीं 40 या इससे अधिक बच्चे होने पर शाला को प्राथमिक स्कूल कहा जाएगा।
शिक्षकों पर असर नहीं:
इस बदलाव से यहाँ काम करने वाले शिक्षकों की सेवा-शर्तों पर कोई असर नहीं प़ड़ेगा। इन शालाओं में मुख्यतः संविदा शाला शिक्षक वर्ग-3 और गुरुजी काम करते हैं। यह पूर्व की तरह ही काम करते रहेंगे। शाला के सैटेलाइट स्कूल में बदलने पर फौरी तौर पर कोई असर नहीं होगा, किंतु भविष्य में यहाँ पर सैटेलाइट एजुकेशन दी जाएगी।-नईदुनिया