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पृथ्वी के मौसम में बदलाव के संकेत

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उज्जैन (वार्ता) , रविवार, 20 सितम्बर 2009 (13:28 IST)
प्रतिवर्ष घटने वाली खगोलीय घटनाओं की कड़ी में आगामी 23 सितम्बर को सूर्य दक्षिणी गोलार्ध में प्रवेश करेगा और इसके साथ ही पृथ्वी के मौसम में परिवर्तन की शुरुआत होगी। इस तारीख को दिन-रात भी बराबर होते हैं।

इन खगोलीय घटनाओं के तहत सूर्य 22 मार्च से 21 जून तक उत्तरायण तथा 23 सितम्बर से 22 दिसम्बर तक दक्षिणायण होता है। इसके बाद ही पृथ्वी के मौसम में एकाएक परिवर्तन दिखाई देता है। यह खगोलीय घटनाएँ प्राणी जगत के लिए पृथ्वी के वातावरण को अनुकूल बनाए रखने में सहायक होती हैं।

वराह मिहिर वैज्ञानिक धरोहर एवं शोध संस्थान के खगोल विज्ञानी संजय केथवास ने बताया कि यद्यपि 21 जून के बाद सूर्य धीरे-धीरे दक्षिण की ओर तथा 22 दिसम्बर के बाद उत्तर की ओर बढ़ना आरंभ कर देता है।

उन्होंने कहा कि 23 सितम्बर को दिन-रात के बराबर होने वाली इस खगोलीय घटना को खगोल विज्ञान में 'आउटुमनल इक्वेनॉक्स' के नाम से जाना जाता है।

केथवास ने बताया कि पृथ्वी 11 हजार किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से अपने अक्ष पर पश्चिम से पूर्व की ओर लट्टू की तरह घूमती रहती है जबकि झुकी हुई पृथ्वी अपनी कक्षा में एक लाख पाँच हजार किलोमीटर की रफ्तार से सूर्य की परिक्रमा लगाती है। पृथ्वी की इन दोनो चालों से मौसम में परिवर्तन होता है।

इस खगोलीय घटना के प्रभाव से 23 सितम्बर से फिजाओं में गुलाबी ठंड घुलना-मिलना शुरू कर देगी। एक तरह से इस तारीख को ठंड की आमद का संकेत कह सकते हैं तथा इसके बाद धीरे-धीरे ठंड बढ़ने लगती है। 22 दिसम्बर तक ठंड का मौसम चरम पर पहुँच जाता है और 22 मार्च के बाद मौसम में परिवर्तन के साथ ही गर्मी के आरंभ की शुरुआत होती है।

केथवास ने कहा कि इन खगोलीय घटनाओं के प्रभाव से मौसम तथा पृथ्वी के वातावरण का अनुकूलन होता है। उन्होंने कहा कि इस बार जाते-जाते मानसून बरसकर राहत पहुँचा गया है। उम्मीद की जानी चाहिए कि ठंडक भी अच्छी तरह अपनी आमद दर्ज कराएगी।

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