मूँछ और बंदूक के लिए पहचाने जाने वाले मध्यप्रदेश के ग्वालियर अंचल के शिवपुरी जिले में अब महिलाएँ भी पीछे नहीं हैं और रिवाल्वर, पिस्टल तथा बंदूक के लाइसेंस लेकर रखना उनके के लिए स्टेटस सिंबल बन गया है।
जिले में पहले से बंदूक रखना और उसे साथ में लेकर चलना पुरुषों के लिए शान की बात मानी जाती थी लेकिन अब महिलाएँ भी शस्त्र लाइसेंस लेने में रुचि दिखा रही हैं।
जिलें में अब तक आधा दर्जन महिलाओं ने रिवाल्वर, पिस्टल, राइफल और बंदूक के लाइसेंस लेकर हथियार लिए हैं। लाइसेंस शाखा ने अब तक जिले में कुल 11 हजार शस्त्र लाइसेंस दिए है।
यहाँ के बुजुर्गों का कहना है कि रियासतकाल से शिवपुरी जिला दस्यु सक्रियता वाला क्षेत्र रहा है। वन क्षेत्र में वन्य प्राणियों के साथ हिंसक पशु भी रहते थे इसलिए हथियार रखना जरूरी माना जाता था। लेकिन अब तो आन-बान और शान की खातिर हथियार रखे जाते हैं।
यहाँ शस्त्र लेकर चलना रुतबे की निशानी मानी जाती है। पहले लोग शस्त्रों को घोड़ों और बग्घी में लेकर चलते थे, लेकिन अब मोटरसाइकलों और कारों में लेकर चलते हैं। विवाह के अवसर पर बरात के साथ बराती शस्त्र लेकर चलते हैं और हवाई फायर करना शान समझा जाता है।