मध्यप्रदेश ने देश में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लगाए जाने के केंद्र के फैसले को हड़बड़ी में और संबद्ध पक्षों को विश्वास में लिए बिना किया गया निर्णय बताया और केंद्र से एक परामर्श पत्र जारी कर आम बहस से राय कायम करने की अपील की।
राज्यों के वित्त मंत्रियों की अधिकार संपन्न समिति की बैठक में मध्यप्रदेश के वित्तमंत्री राघव जी ने कहा कि देश में एक अप्रैल 2010 से जीएसटी लागू करना किसी भी तरह से व्यावहारिक नहीं हो सकता है।
उन्होंने कहा कि सरकारी व्यवस्थाएँ बनाने के लिए समय अपर्याप्त होने के साथ ही संबद्ध पक्षों को जानकारी ही उपलब्ध नहीं है। उन्होंने कहा कि व्यापार एवं उद्योग जगत में सार्वजनिक बहस कराई जानी चाहिए तथा इस व्यवस्था की जानकारी आम व्यापारी तक पहुँचाई जानी चाहिए। इसके बाद गुण दोषों के आधार पर आवश्यक बदलाव के बारे में बात होनी चाहिए।
राघव जी ने कहा कि वर्तमान स्वरूप में मध्यप्रदेश जीएसटी का समर्थन करने के लिए तैयार नहीं है। उन्होंने केन्द्रीय बिक्री कर (सीएसटी) को हटाए जाने का भी विरोध किया और कहा कि इससे राज्यों के वित्तीय संसाधनों पर विपरीत असर पड़ेगा। सीएसटी की दर चार प्रतिशत से घटाकर दो प्रतिशत करने से राज्यों को पहले ही वित्तीय कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
राघव ने जीएसटी के वर्तमान प्रारूप में अनाज एवं खाने पीने की वस्तुओं को 13 प्रतिशत कर की निम्न दर के दायरे में लाए जाने का विरोध किया और कहा कि इससे खाने पीने की वस्तुओं के दाम बढ़ेगे और गरीबों की मुश्किल बढ़ जाएगी। उन्होंने कहा कि खाद्यान्न को शुल्क मुक्त श्रेणी में ही रखा जाना चाहिए।