छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत सूचना नहीं मिलने से संबंधित याचिका सुनवाई के लिए स्वीकार कर ली है।
न्यायाधीश सुनील कुमार सिन्हा और न्यायाधीश आर एल झंवर की युगल खंडपीठ ने जाजगीर जिले के अघोरी दास और कचरा दास की याचिका पर कल केंद्र सरकार, केंद्रीय सूचना आयोग, राज्य सरकार, संभागीय आयुक्त, अनुविभागीय दण्डाधिकारी सहित सात लोगों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।
याचिकाकर्ताओं की अधिवक्ता मीना शास्त्री ने न्यायालय को बताया कि अपीले और जुर्माने के बाद भी सूचना नहीं दी जाती है। इससे सूचना के अधिकार जैसे महत्वपूर्ण कानून का उद्देश्य ही विफल हो रहा है। जानबूझकर सूचना नहीं देने वालों के खिलाफ सूचना माँगने वाले आखिर कहा जाएँ।
याचिका में बताया गया है कि ग्राम बुधरा में सीलिंग एक्ट के तहत वर्ष 1976 में बाँध बनाने के लिए 83 एकड़ जमीन अधिग्रहित कर 60 भूमिहीनों आवंटित की गई थी। राज्य के सिंचाई विभाग ने अधिग्रहण में याचिकाकर्ताओं की भूमि भी अधिग्रहित की है मुआवजे का प्रकरण शासन के समक्ष विचाराधीन है।
याचिकाकर्ताओं ने सूचना के अधिकार के तहत अपनी जमीन से संबंधित कुछ दस्तावेज की प्रतिलिप प्राप्त करने जन सूचना अधिकारी तहसीलदार को आवेदन दिया। सूचना नहीं मिलने पर प्रथम अपीलीय अधिकारी तथा राज्य सूचना आयोग में आवेदन किया। आयुक्त और आयोग ने सूचना नहीं देने वाले जनसूचना अधिकारी पर जुर्माना भी किया। इसके बावजूद जनसूचना अधिकारी ने सूचना नहीं दी है।