- नीलमेघ चतुर्वेदी, उज्जैन
विधानसभा चुनाव में इस बार उज्जैन में कांग्रेस का खाता खुलने के संकेत मिल रहे हैं। वर्ष 2003 में जिले की कुल सात सीटों में से छः पर भाजपा और एक पर कांग्रेस के बागी निर्दलीय प्रत्याशी विजयी हुए थे। नागदा-खाचरौद में निर्दलीय और शेष छः उज्जैन उत्तर, दक्षिण, महिदपुर, तराना, घट्टिया, बड़नगर पर भाजपा प्रत्याशी जीते थे। इस बार हवा बदली-बदली है।
लहरविहीन चुनाव में तराना और घट्टिया विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस उम्मीदवारों की स्थिति द्विकोणीय संघर्षों में मजबूत है। इन दोनों सीटों पर मौजूदा भाजपा विधायकों को टिकट नहीं मिला है। घट्टिया विधानसभा क्षेत्र में टिकट वितरण में भाजपा की आंतरिक प्रतिस्पर्धा के चलते बाहरी उम्मीदवार डॉ. प्रभुलाल जाटवा मैदान में उतरे हैं और उनके सामने हैं कांग्रेस के पूर्व विधायक रामलाल मालवीय। भाजपा को जहाँ साधनों के अभाव, आंतरिक तोड़-फोड़ और मुँह दिखावे के प्रचारकों का सामना करना पड़ रहा है वहीं कांग्रेस के रामलाल मालवीय को पुरानी जमावट काम आ रही है।
चुनौती खुद मोल ले ली : तराना में भी भाजपा ने उम्मीदवार बदलकर स्वयं अपने लिए चुनौती खड़ी कर ली। यहाँ भाजपा के रोड़ूमल राठौर का सामना कांग्रेस के पूर्व विधायक बाबूलाल मालवीय से है।
पारस की परीक्षा : उज्जैन उत्तर के द्विकोणीय संघर्ष में भाजपा के पारस जैन और कांग्रेस के डॉ. बटुकशंकर जोशी में टक्कर है। पारस जैन मौजूदा विधायक हैं और डॉ. जोशी पूर्व विधायक।
त्रिकोणीय मुकाबला : दक्षिण में भाजपा के शिवनारायण जागीरदार, निर्दलीय राजेंद्र वशिष्ठ और कांग्रेस के योगेश शर्मा के बीच कड़ा त्रिकोणीय संघर्ष है। कोई आश्चर्य नहीं कि उज्जैन दक्षिण वर्ष 2003 के नागदा-खाचरौद के इतिहास को दोहरा दे।
आंतरिक असंतोष के शिकार : महिदपुर से तमाम अंतर विरोधों के बावजूद टिकट लेने में सफल रहे भाजपा के मौजूदा विधायक बहादुरसिंह चौहान और कांग्रेस की पूर्व विधायक डॉ. कल्पना परुलेकर के बीच जोरदार टक्कर है। कांग्रेस और भाजपा दोनों प्रत्याशी आंतरिक असंतोष के शिकार हैं। भाजपा के बागी कांतिलाल राठी ने अपनी प्रभावी मौजूदगी से भाजपा और कांग्रेस दोनों के समक्ष चिंता की रेखाएँ खड़ी की हैं।
शांति व मुरली के बीच सुरेंद्र : बड़नगर विधानसभा क्षेत्र में कड़ा त्रिकोणीय संघर्ष नजर आ रहा है। यहाँ भाजपा के मौजूदा विधायक शांतिलाल धबाई, निर्दलीय रूप से मैदान में उतरे पूर्व विधायक सुरेंद्रसिंह सिसौदिया और कांग्रेस के मुरली मोरवाल के बीच संघर्ष है।
कांग्रेस मैदान में : नागदा-खाचरौद विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय चुनाव जीते, किंतु अब कांग्रेस के टिकट पर मैदान में उतरे दिलीपसिंह गुर्जर और भाजपा के दिलीपसिंह शेखावत के बीच कड़ी टक्कर है। नए परिसीमन में कुछ गुर्जर बाहुल्य इलाके घट्टिया विधानसभा क्षेत्र में सम्मिलित होने से गुर्जर की पैशानी पर चिंता और चिंतन की रेखाएँ जरूर हैं किंतु उनका ट्रेक रिकॉर्ड चुनाव समर में संबल बना हुआ है। वहीं भाजपा के दिलीपसिंह शेखावत के पास ऊर्जा विकास निगम के अध्यक्ष रहते किए विकास कार्यों का सहारा भी है। दो दिलीपों की टक्कर में ऊँट किस करवट बैठ जाए इसका अंदाज लगाना कठिन जान पड़ता है।