इंदौर। लोकतंत्र का चुनावी इवेंट संपन्न कराने के लिए जुटे हजारों कर्मचारियों का जमघट शुक्रवार सुबह तक नेहरू स्टेडियम में लगा रहा। आखिरी पेटी रखी जाने के बाद सुबह 4 बजे स्ट्रांग रूम सील किया गया। ईवीएम व मतदान सामग्री लौटाने में फैली अव्यवस्था के कारण कर्मचारियों ने कई बार हल्ला भी मचाया। अब स्ट्रांग रूम में कैद उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला 8 दिसंबर को होगा।
मतदान दलों के लौटने का सिलसिला शाम सात बजे से शुरू हुआ। सबसे पहले राऊ विधानसभा के पंजवानी स्कूल मतदान केंद्र का दल आया। रात 9 बजे तक काउंटरों पर पीठासीन अधिकारियों की कतारें नजर आने लगीं। थके-हारे कर्मचारियों को घर लौटने की जल्दी थी, लेकिन सामग्री जमा कराने में इतनी देर लग रही थी कि उन्हें घंटों तक इंतजार करना पड़ा। 12.30 बजे तक क्षेत्र क्रमांक 4 को छोड़कर अन्य शहरी विधानसभा के काउंटर खाली हो चुके थे, लेकिन राऊ, साँवेर, महू, देपालपुर विधानसभा के काउंटरों पर भीड़ खत्म होने का नाम नहीं ले रही थी। यह सिलसिला तड़के तक जारी रहा। इसके बाद प्रत्याशियों के प्रतिनिधियों ने स्ट्रांग रूम का अवलोकन किया। सुबह 4 बजे स्ट्रांग रूम का आखरी दरवाजा सील हुआ। तालों पर प्रेक्षक, प्रतिनिधियों व अधिकारियों ने हस्ताक्षर भी किए।
लौटने के लिए ट्रैक्टर का सहारा : स्टेडियम पर आखरी बस रात 1.10 बजे आई, जिसमें चिकलौंदा, सगड़ौद, हरसोला और शिवगढ़ केंद्र के दल सवार थे। जिले का सबसे दूरस्थ (55 किमी) मतदान केंद्र शिवगढ़ है। कर्मचारी प्रवीण और महेन्द्र यादव ने बताया कि सगड़ौद गाँव से शिवगढ़ मतदान केंद्र की दूरी 5 किलोमीटर है, लेकिन वहाँ बस नहीं जा पाती है, इसलिए ट्रैक्टर पर बैठकर दूरी तय की गई। बीच में चंबल नदी भी पार करना पड़ी।
...इसलिए हो रही थी देरी : धक्का-मुक्की और हो-हल्ले के बीच दल अपनी सामग्री जमा कर रहे थे। उनके इस व्यवहार के कारण कई बार माइक से अधिकारियों को कार्रवाई करने की धमकी तक देना पड़ी। विधानसभा के किसी भी काउंटर पर सामग्री जमा कराने की व्यवस्था के बावजूद एक दल को 10 से 20 मिनट का समय लग रहा था। इसका प्रमुख कारण काउंटरों पर ही मतदान अभिलेखों की जाँच होना थी। पहले सिर्फ सामग्री जमा कराई जाती थी और जरूरत पड़ने पर संबंधित पीठासीन अधिकारी को बुलाया जाता था। सामग्री जमा हो जाए तो फिर जोनल अधिकारियों को खोजने में पीठासीन अधिकारियों को परेशानी हो रही थी। जोनल अधिकारियों के जिम्मे कई दल होने के कारण वे भी कर्मचारियों को मुक्त नहीं कर पा रहे थे।
ऊँघते रहे कर्मचारी : दिनभर की थकान के बाद घर जाने के इंजतार में बैठे कर्मचारी ऊँघते रहे। कोई मशीन थामे झपकी ले रहा था तो कोई खर्राटे भर चैन की नींद सोया। कई कर्मचारियों ने रात स्डेडियम में बिताई और सुबह उजाला होने के बाद ही घर लौटे। इनमें एक महिला कर्मचारी भी शामिल थी। उन्होंने अपनी स्कूटी थाने में रखी और सुबह होने तक स्टेडियम में बैठी रहीं। (नईदुनिया)