विधानसभा चुनाव प्रक्रिया के अगले पड़ाव के तहत सोमवार को होने वाली मतगणना मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर के सियासी लड़ाकों का कद नए सिरे से तय करेगी।
भाजपा की मजबूत पकड़ वाले मालवा अंचल के प्रमुख दुर्ग इंदौर से विधायक बनने के लिए कुल 85 उम्मीदवार दौड़ में हैं। चुनावी तस्वीर में तीसरे ध्रुव के दल भाजश, सपा और बसपा इस बार अपेक्षाकृत मुखर रंगों में दिखाई दे रहे हैं। साथ ही विधानसभा सीटों के परिसीमन और मतदान प्रतिशत में इजाफे जैसे कारकों से भी चुनावी समीकरण बदल चुके हैं।
बावजूद इसके नौ विधानसभा क्षेत्रों और पंद्रह लाख से ज्यादा मतदाताओं वाले इंदौर में निर्णायक मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच ही होने का अनुमान है।
इंदौर की महू विधानसभा सीट पर जनमत की घोषणा का कई लोग दम साधे इंतजार कर रहे हैं। वहाँ मध्यप्रदेश के लोक निर्माण मंत्री कैलाश विजयवर्गीय का मुकाबला कांग्रेस के अंतरसिंह दरबार से है।
दरबार कांग्रेस के उन उम्मीदवारों में शामिल हैं जो मध्यप्रदेश के पिछले विधानसभा चुनाव में जबरदस्त भगवा लहर के बावजूद विधायक बनने में कामयाब हुए थे। उधर अपने चाहने वालों के बीच विकास पुरुष के रूप में मशहूर विजयवर्गीय वर्ष 1990 से लेकर वर्ष 2003 के बीच हुए पिछले चार विधानसभा चुनावों में लगातार इंदौर से अजेय रहे हैं।
लेकिन इस बार भाजपा के दमदार नेता को विधानसभा पहुँचने की चाह में शहरी चकाचौंध से दूर महू के दुर्गम पहाड़ों में बसे मतदाताओं के बीच जाना पड़ा है। कुल मिलाकर मौजूदा मुकाबले में उनकी सियासी प्रतिष्ठा दाव पर मानी जा रही है।
इंदौर पाँच में छिड़े चुनावी संग्राम में भाजपा और कांगेस ने अपने पुराने योद्धाओं पर भरोसा किया है।
इस सीट पर मध्यप्रदेश महिला कांग्रेस अध्यक्ष शोभा ओझा ने अपनी पिछली हार का बदला लेने की बेताबी के साथ भाजपा के महेंद्र हार्डिया को टक्कर देने की कोशिश की है।
हार्डिया ने वर्ष 2003 में हुए विधानसभा चुनाव में शोभा को करीब 23 हजार वोटों के बडे़ अंतर से पटखनी दी थी।
मध्यप्रदेश युवक कांग्रेस के अध्यक्ष जीतू पटवारी, भाजपा के युवा नेता जीतू जिराती, भाजपा नेता रमेश मैंदोला, भाजपा की इंदौर इकाई के अध्यक्ष सुदर्शन गुप्ता और कांग्रेस के युवा नेता संजय शुक्ला ने 27 नवंबर को अपने सियासी करियर का पहला विधानसभा चुनाव लड़ा है।
दूसरी ओर भाजपा के मध्यप्रदेश व्यापारी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष गोपीकृष्ण नेमा, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुरेश सेठ और कांग्रेस नेता गोविंद मंघानी उम्मीदवारों की उस जमात में माने जा रहे हैं, जिनके लिए इस बार जीत-हार चुनावी राजनीति में अपने अस्तित्व से जुड़ी है।
लंबे वक्त से सियासी मैदान में मौजूद इन नेताओं का नसीब भी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में कैद है जिससे आठ दिसंबर को परदा उठेगा।
इंदौर चार से मालिनी गौड़ और सांवेर से निशा सोनकर अपने अपने दिवंगत पति की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाते हुए घर की देहरी लांघ पहली बार चुनावी मैदान में उतरी हैं। उधर कांग्रेस के अश्विन जोशी और तुलसी सिलावट सांवेर से लगातार दूसरी बार विधायक बनने की दौड़ में हैं।
मौजूदा विधानसभा चुनाव के दौरान इंदौर जिले में सबसे ज्यादा मतदान 79.47 प्रतिशत का गौरव हासिल करने वाली देपालपुर सीट के विधायक का फैसला ग्रामीण मतदाता करते आए हैं।
इस सीट पर भाजपा के मनोज पटेल और कांग्रेस के सत्यनारायण पटेल के बीच दोबारा काँटे की टक्कर देखने को मिली है। मनोज ने वर्ष 2003 के विधानसभा चुनाव में सत्यनारायण को कोई सात हजार वोट से मात दी थी।