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भिंड में भितरघात बिगाड़ सकता है कांग्रेस का खेल

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भिंड , शनिवार, 9 नवंबर 2013 (11:39 IST)
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भिंड। मध्यप्रदेश में भिंड जिले की 5 विधानसभा सीटों पर इस बार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की स्थिति बागी प्रत्याशियों की वजह से काफी चिंतनीय नजर आ रही है। भिंड और मेहगांव विधानसभा में भाजपा के 2 नेताओं ने पार्टी से बगावत कर दी है।

गोहद विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के स्थानीय नेता और कार्यकर्ता लालसिंह आर्य का विरोध कर रहे हैं। पिछली बार के चुनाव में अटेर तथा मेहगांव पर भाजपा का और भिंड लहार और गोहद पर कांग्रेस का कब्जा था।

राजनीतिक प्रेक्षकों का कहना है कि वर्तमान हालातों को देखकर भाजपा को जिले में खाता खोलने भी मुश्किल हो सकता है। इसकी एक वजह स्थानीय स्तर पर 'सत्ताविरोधी' रुझान भी है।

भाजपा ने भिंड विधानसभा से नरेन्द्रसिंह कुशवाह को प्रत्याशी घोषित किया तो भाजपा के पूर्व सांसद डॉ. रामलखन सिंह ने पार्टी से बगावत करके बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का दामन थाम लिया।

डॉ. रामलखन ने अपने पुत्र संजीव सिंह को बसपा के टिकट पर चुनाव में उतार दिया है। एक ही समुदाय के दो नेताओं के बीच मुकाबले का फायदा कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. राधेश्याम शर्मा को मिल सकता है।

मेहगांव विधानसभा के भाजपा विधायक राकेश शुक्ला का टिकट काट दिया गया है। उनके स्थान पर भिंड विधायक और कांग्रेस से कुछ माह पहले भाजपा में आए चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी के छोटे भाई मुकेश चौधरी को अपना उम्मीदवार बनाया है।

मेहगांव विधायक राकेश शुक्ला ने शुक्रवार को पार्टी से बगावत करके लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी (लोसपा) से अपना नामांकन दाखिल कर दिया। एक ही समुदाय के दोनों प्रत्याशियों की वजह से कांग्रेस प्रत्याशी ओपीएस भदौरिया को लाभ मिलने की संभावना बढ़ गई है।

गोहद विधानसभा क्षेत्र से भाजपा ने लालसिंह आर्य को अपना प्रत्याशी बनाया है। आर्य की उम्मीदवारी के खिलाफ गोहद के स्थानीय नेता और कार्यकर्ता गोहद से लेकर भोपाल तक अपना विरोध दर्ज करा चुके हैं।

इतने विरोध के बावजूद लालसिंह आर्य को प्रत्याशी बनाए जाने से यहां भाजपा की स्थिति काफी खराब हो गई है। इन असंतुष्ट भाजपा कार्यकर्ताओं और नेताओं द्वारा भी भितरघात की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है। यहां से कांग्रेस ने बसपा के टिकट पर पिछली बार चुनाव लड़ चुके मेवाराम जाटव पर दांव खेला है।

अटेर से भाजपा ने वर्तमान विधायक अरविंदसिंह भदौरिया को फिर से मौका दिया है। भाजपा के पूर्व विधायक मुन्नासिंह भदौरिया को इस बार टिकट मिलने की काफी उम्मीद थी लेकिन ऐसा नहीं होने से वे भी नाराज बताए जा रहे हैं। यहां से कांग्रेस ने वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री सत्यदेव कटारे पर विश्वास जताया है।

लहार विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के डॉ. गोविन्द सिंह 5 बार चुनाव जीत चुके हैं। लहार में भाजपा का कोई खास जनाधार नहीं है। भाजपा ने इस बार रसाल सिंह को टिकट दिया है। वर्ष 2003 में यहां से भाजपा प्रत्याशी अंबरीष शर्मा 8621 मत पाकर अपनी जमानत तक नहीं बचा पाए थे।

वर्ष 2008 के चुनाव में भाजपा ने मुन्नी त्रिपाठी को उम्मीदवार बनाया था। त्रिपाठी 2918 मत ही प्राप्त कर सकी थीं। इस आधार पर कहा जा सकता है कि भाजपा की स्थिति यहां चिंताजनक ही रहती आई है। (वार्ता)

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