मतगणना के लिए पारदर्शी व्यवस्था
भोपाल , शनिवार, 30 नवंबर 2013 (15:24 IST)
भोपाल। मध्यप्रदेश के सभी 230 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों की एक साथ होने वाली मतगणना के लिए भारत निर्वाचन आयोग ने पारदर्शी, निष्पक्ष और स्वतंत्र नीति तैयार की है। प्रशासकीय तंत्र से कोई चूक न हो तथा उसके काम को लेकर कोई उंगली न उठे, इसके लिए सभी जिलों में बेहतर और पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं।चुनाव आयोग के अनुसार मतगणना के लिए जिस अमले को तैनात किया जाएगा उसकी निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए कर्मचारियों का चयन रैंडम तरीके से किया जाएगा। इस तरीके के चलते किसी कर्मचारी को आखिरी समय तक यह मालूम नहीं हो सकेगा कि उसकी ड्यूटी किस टेबल पर लगेगी।आयोग ने इस चयन प्रक्रिया के संबंध में जिला निर्वाचन अधिकारियों द्वारा मतगणना अधिकारियों के नियुक्ति आदेश जारी करने के अधिकार के बारे में भी स्थिति स्पष्ट की है। जिले में मतगणना के लिए अपेक्षित अधिकारियों का 120 प्रतिशत (रिजर्व सहित) मतगणना की तिथि से 1 सप्ताह पहले जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा कम्प्यूटर की सहायता से रैंडम तरीके से निकाला जाएगा।तीन स्तरीय रैंडम चयन प्रक्रिया का यह पहला पायदान होगा। इसमें प्रेक्षक की उपस्थिति अनिवार्य नहीं होगी। यह केवल उन अधिकारियों के निर्धारण एवं चुनाव की प्रकिया है जिसमें मतगणना निरीक्षक, मतगणना सहायक और माइक्रो ऑब्जर्वर नियुक्त करना है। इस स्तर पर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र की पहचान को गुप्त रखा जाएगा जिनके लिए मतगणना अधिकारी नियुक्त किए गए हैं।मतगणना शुरू होने के 24 घंटे पहले प्रेक्षकों की उपस्थिति में जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा विधानसभा क्षेत्र के हिसाब से ‘रेंडमाइजेशन’ किया जाएगा। इसके बाद रिटर्निंग अधिकारियों को संबंधित चुनाव क्षेत्र के नियुक्ति पत्र जारी करेंगे।मतगणना वाले दिन संबंधित रिटर्निंग अधिकारी द्वारा सुबह 5 बजे प्रेक्षक की उपस्थिति में मतगणना हॉल में टेबलों के लिए ‘रेंडमाइजेशन’ मतगणना निरीक्षक, मतगणना सहायक और माइक्रो ऑब्जर्वर के लिए किया जाएगा। आयोग ने इस प्रक्रिया के निर्देश का कड़ाई एवं ईमानदारी से पालन करने को कहा है। (भाषा)