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आरिफ का मुकाबला आरिफ से

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भोपाल। मध्यप्रदेश के अस्तित्व में आने के बाद हुए 3 विधानसभा चुनावों में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का गढ़ रहे भोपाल उत्तर विधानसभा क्षेत्र पर केवल एक बार 1993 में कब्जा करने वाली भाजपा ने 25 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के आरिफ अकील के खिलाफ पूर्व केंद्रीय मंत्री आरिफ बेग को मैदान में उतारा है।

भोपाल उत्तर पर 1957, 1967 और 1972 में भाकपा के शाकिर अली खान के बाद 1977 और 1993 में हुए विधानसभा चुनावों को छोड़कर अमूमन कांग्रेस का ही कब्जा रहा है, लेकिन इस बार देखना है कि कौन से आरिफ को पराजय का सामना करना पड़ता है, क्योंकि एक आरिफ अकील है, तो दूसरा बेग।

मुस्लिम मतदाता बहुल इस विधानसभा सीट पर जनता पार्टी लहर के दौरान उसके हमीद कुरैशी ने जीत दर्ज की थी तो 1993 में जनता दल के टिकट पर खड़े हुए आरिफ अकील को भाजपा के रमेश शर्मा ‘गुट्टू भैया’ ने 9,677 मतों के अंतर से शिकस्त दी थी। तब कांग्रेस प्रत्याशी रसूल अहमद सिद्दीकी तीसरे स्थान पर रहे थे और उन्हें मात्र 7409 मत ही मिल सके थे।

यह और बात है कि इससे पहले 1990 में आरिफ अकील ने निर्दलीय प्रत्याशी के बतौर भाजपा के रमेश शर्मा को 2863 मतों से परास्त किया था और फिर से यहां कांग्रेस के हसनात सिद्दीकी 7935 मतों के साथ तीसरे स्थान पर रहे थे।

चुनावी इतिहास यह भी बताता है कि कांग्रेस के रसूल अहमद सिद्दीकी इस सीट से 1980 और 1985 में लगातार दो बार जीतकर सरकार में मंत्री बने थे, लेकिन 1998, 2003 और फिर 2008 के पिछले विधानसभा चुनावों में आरिफ अकील ने लगातार तीन बार कांग्रेस से जीत का परचम लहराया तथा वह भी कांग्रेस सरकार में मंत्री बने।

सूत्र बताते हैं कि 14वीं विधानसभा के गठन के लिए 25 नवंबर को होने वाले चुनाव के लिए भोपाल उत्तर से भाजपा का कोई भी हिन्दू चेहरा 63 वर्षीय अकील के सामने मैदान में उतरने को तैयार नहीं हुआ, तब पार्टी ने उनके खिलाफ 78 वर्षीय आरिफ बेग को तैयार किया। हालाकि वे इंदौर में जन्मे हैं और उन्होंने अपना राजनीतिक सफर ‘समाजवादी नेता’ के बतौर शुरू किया था।

इस चुनाव को लेकर दोनों आरिफ अपनी-अपनी जीत के प्रति आश्वस्त हैं। बेग का कहना है कि अकील, हमेशा इस्लाम पर खतरे की बात कर चुनाव जीतते रहे हैं, लेकिन वे0 तो हिन्दू एवं मुसलमानों के बीच सांप्रदायिक सद्भाव पर अपना प्रचार अभियान केंद्रित रखेंगे।

इस बारे में पूछने पर अकील ने कहा कि बेग की बातों में दम नहीं है, क्योंकि भोपाल में तो हमेशा से हिन्दू और मुसलमान सद्भाव से रहते आए हैं। इसलिए बेग जो कह रहे हैं, उसके लिए कोई प्रयास करने की जरूरत नहीं है।

बेग ने बातचीत में कहा कि उन्हें भरोसा है कि वे रिकॉर्ड मतों के अंतर से यह चुनाव जीतने वाले हैं और 8 दिसंबर को परिणाम घोषित होने पर यह साबित भी हो जाएगा। यह पूछने पर कि क्या भाजपा ने उन्हें ‘बलि का बकरा’ बना दिया है, क्योंकि इस सीट पर पार्टी का कोई भी नेता चुनाव लड़ने को तैयार नहीं था, उन्होंने कहा कि वे पार्टी के लिए बलि का बकरा बनकर भी खुशी महसूस करेंगे।

दूसरी ओर अकील ने दावा किया है कि इस बार वे अपने सभी पिछले चुनावों की तुलना में अधिक मतों के अंतर से जीतने वाले हैं और उनके खिलाफ बेग कहीं ठहरते नहीं हैं। इस पर बेग का कहना है कि वे उम्र के लिहाज से अकील के पिता जैसे हैं, इसलिए उन्हें उनके प्रति आदर भाव रखना चाहिए।

अकील ने कहा कि भाजपा की टिकट मिलने से पहले बेग जब उनसे मिले थे तो उनकी (अकील) जीत के लिए अपनी शुभ कामनाएं दी थीं इसलिए उन्हें भरोसा है कि उनकी (बेग) शुभकामनाएं उनके लिए अवश्य फलीभूत होंगी।

उन्होंने माना कि बेग ने राजनीति में एक लंबी पारी खेली है, लेकिन उन्होंने (बेग) भोपाल की जनता के लिए कुछ नहीं किया है, यहां तक कि उनके प्रयासों से यहां एक ईंट तक नहीं रखी गई है।

उन्होंने कहा कि बेग दावा करते हैं कि उनके प्रयास से भोपाल में पासपोर्ट कार्यालय खुला, लेकिन सच्चाई यह है कि केंद्र सरकार द्वारा हर राज्य की राजधानी में पासपोर्ट कार्यालय स्थापित करने के निर्णय की वजह से यहां यह संभव हो पाया था। (भाषा)

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