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चंबल में विकास से अधिक जातिगत मुद्दे हावी

कांग्रेस, भाजपा व बसपा के बीच त्रिकोणीय मुकाबला

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मुरैना (मप्र) , शनिवार, 23 नवंबर 2013 (16:51 IST)
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मुरैना (मप्र)। चंबल के बीहड़ों की गोद में बसे मुरैना-भिंड एवं श्योपुर जिले की विधानसभा चुनावों में अधिकतर जगह कांग्रेस, भाजपा और बसपा के बीच त्रिकोणीय मुकाबला रोचक होता जा रहा है। 40 साल बाद सामान्य हुई मुरैना संसदीय सीट पर विकास और राष्ट्रीय मुद्दों के मुकाबले जातिगत मुद्दे हावी हो गए हैं।

यहां भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है, वहीं कांग्रेस की ओर से केंद्रीय मंत्री एवं मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रचार समिति के अध्यक्ष ज्योतिरादित्य सिंधिया की इज्जत का सवाल उठ खड़ा हुआ है।

कांग्रेस, भाजपा व बसपा के लिए नाक का सवाल बनी चंबल अंचल की इन सीटों पर फतह पाने के लिए उम्मीदवारों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है।

चंबल अंचल की मुरैना-भिंड व श्योपुर जिले की सीटों के इतिहास पर नजर डालें तो यहां का मतदाता भाजपा के पास और कांग्रेस से दूर रहा है, लेकिन परिसीमन के बाद यहां के मतदाताओं का रुझान बदला है।

बीते विधानसभा चुनावों में मुरैना संसदीय क्षेत्र की 8 विधानसभाओं में से कांग्रेस ने 4 पर विजय दर्ज की। यहां 2 सीटें भाजपा और 2 बसपा को मिली थीं।

वहीं भिंड जिले की कुल 5 विधानसभा सीटों में से 3 कांग्रेस और 2 भाजपा के पास थीं। बसपा ने मुरैना जिले की 2 सीटों मुरैना व जौरा पर विजय हासिल की थी। मुरैना-श्योपुर संसदीय क्षेत्र पर हमेशा से सिंधिया का असर रहा है, पर भाजपा नेता विजयाराजे सिंधिया व कांग्रेस नेता माधवराव सिंधिया के निधन के बाद सिंधिया राजघराने का प्रभाव यहां कम हुआ था, लेकिन कांग्रेस में केंद्रीय ऊर्जा राज्यमंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने क्षेत्र में अपनी पकड़ फिर से बनाई है।

चंबल के बीहड़ों और डाकुओं की शरणस्थली के लिए चर्चित मुरैना-श्योपुर संसदीय क्षेत्र में अगड़ी और पिछड़ी जातियों का अपने-अपने क्षेत्रों में अच्छा-खासा बोलबाला है। यहां हमेशा से विकास व राष्ट्रीय मुद्दों तथा जातिवाद के मुद्दे हावी रहे हैं। यही कारण है कि इस संसदीय क्षेत्र में बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती की सोशल इंजीनियरिंग जमकर चलती रही है।

इस संसदीय सीट पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेन्द्रसिंह तोमर सांसद हैं, वहीं चंबल अंचल के मुरैना-भिंड और श्योपुर पूर्व ग्वालियर रियासत का हिस्सा होने से कांग्रेस के स्टार प्रचारक ज्योतिरादित्य सिंधिया का अपनापन, आकर्षण व आभा है। जातिवाद के फेर में फंसी इन सीटों पर राष्ट्रीय व विकास के मुद्दे गौण नजर आ रहे हैं।

प्रचार के अंतिम दौर में पहुंचे कांग्रेस, भाजपा तथा बसपा तीनों ही राजनीतिक दलों ने चंबल अंचल की इन विधानसभा सीटों को हथियाने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है।

चंबल अंचल के मुरैना जिले की सबलगढ़ विधानसभा सीट पर कुल 8 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं। कांग्रेस के सुरेश चौधरी, भाजपा के मेहरबान सिंह रावत और बसपा के कमल सिंह रावत के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है, वहीं जिले की जौरा सीट पर कुल 12 प्रत्याशी हैं, लेकिन मुकाबला कांग्रेस के बनवारीलाल शर्मा, बसपा के विधायक मनीराम धाकड़ तथा भाजपा के सूबेदार रजौदा के मध्य में है।

सुमावली क्षेत्र में कांग्रेस के विधायक ऐदल सिंह, बसपा के अजबसिंह कुशवाह तथा भाजपा के सत्यपाल सिकरवार के बीच रोचक मुकाबला है, वहीं मुरैना से कांग्रेस के दिनेश गुर्जर, बसपा के रामप्रकाश राजौरिया व भाजपा के पूर्व मंत्री रुस्तम सिंह के मध्य टक्कर है।

वहीं दिमनी विधानसभा में भाजपा के विधायक शिवमंगल सिंह, कांग्रेस के रवीन्द्रसिंह तोमर तथा बसपा के बलवीरसिंह डंडौतिया के मध्य त्रिकोणीय मुकाबला है। अम्बाह विधानसभा सीट पर भाजपा के बंशीलाल, कांग्रेस के अमरसिंह सखवार और बसपा के सत्यप्रकाश के मध्य मुकाबला है।

जिले की जौरा, मुरैना, दिमनी, अम्बाह सीट पर बसपा, कांग्रेस और भाजपा को कड़ी टक्कर दे रही है। इन सीटों पर चुनावी ऊंट किस करवट बैठे, अभी कहा नहीं जा सकता। कमोबेश यही स्थिति श्योपुर जिले की विजयपुर व श्योपुर के मध्य बनी हुई है।

यहां विजयपुर सीट पर भाजपा के सीताराम आदिवासी, कांग्रेस के रामनिवास रावत और बसपा के सतीश आदिवासी तथा श्योपुर सीट पर भाजपा के दुर्गालाल विजय, बसपा के बाबूझण्डे रावत तथा कांग्रेस के विधायक बृजराजसिंह चौहान के बीच रोचक त्रिकोणीय मुकाबला बना हुआ है।

वैसे श्योपुर जिले में बसपा अभी तक अपना खाता नहीं खोल पाई है, सिर्फ त्रिकोणीय मुकाबले में रहकर ही संतोष करना पड़ा है। सोमवार, 25 नवंबर को मतदान और 8 दिसंबर को मतों की गिनती के बाद ही पता चल सकेगा कि इस क्षेत्र में ऊंट किस करवट बैठा। (भाषा)

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