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दिग्विजयसिंह-ज्योतिरादित्य की प्रतिष्ठा दांव पर

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भोपाल , रविवार, 17 नवंबर 2013 (17:54 IST)
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कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव एवं मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह तथा केंद्रीय मंत्री एवं मप्र कांग्रेस चुनाव प्रचार अभियान समिति के अध्यक्ष ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रभाव वाले गुना जिले में इस बार विधानसभा चुनाव में दोनो नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है।

गुना जिले के चारों विधानसभा क्षेत्रों पर सिंधिया एवं दिग्विजय समर्थकों को ही टिकट दिए गए हैं और दोनों नेता अपनी प्रतिष्ठा को बचाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं।

सबसे प्रतिष्ठापूर्ण चुनाव राघौगढ़ में हो रहा है, जहां दिग्विजय के पुत्र जयवर्धन सिंह राजनीति में कदम रखते हुए सीधे चुनाव मैदान में कूद पड़े हैं। उनका मुख्य मुकाबला भाजपा के राधेश्याम धाकड़ से है, जो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के रिश्तेदार बताए जाते हैं।

दिग्विजय के पुत्र जयवर्धन सिंह राजनीति में


जयवर्धन सिंह विदेश से शिक्षा प्राप्त कर पिछले 2 साल से अपने पिता की सलाह पर क्षेत्र के ग्रामीण अंचल में सक्रिय रहकर पैदल यात्रा के माध्यम से गांव-गांव जाकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराते रहे हैं जबकि भाजपा प्रत्याशी धाकड़ ने कंस्ट्रक्शन लाइन से उठकर सीधे राजनीति का ट्रैक पकड़ा है।

इस क्षेत्र में सिर्फ धाकड़, मीना व परंपरागत भाजपाइयों के समर्थन के जरिए ही भाजपा ने वैतरणी पार करने का मन बनाया है। यहां राघौगढ़ एवं आरोन क्षेत्र में धाकड़ों की आबादी 35 हजार के लगभग है।

वैसे राघौगढ़ क्षेत्र वर्ष 1977 से ही कांग्रेस के कब्जे में है और भाजपा अथवा तत्कालीन जनता पार्टी कांग्रेस के इस अभेद्य किले को समूचा जोर लगाकर भी नहीं जीत पाई है। वर्ष 2003 में भी भाजपा ने दिग्विजयसिंह को टक्कर देने के लिए वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को राघौगढ़ से लड़ाया था, लेकिन उस समय वे लगभग 25 हजार मतों से हार गए थे।

गुना जिले का दूसरा दिलचस्प मुकाबला चांचौड़ा विधानसभा क्षेत्र में हो रहा है। यहां से कांग्रेस ने अपने वर्तमान विधायक शिवनारायण मीना पर दांव खेला है, वहीं भाजपा ने भी जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखकर मीना जाति की ही महिला ममता मीना को उम्मीदवार बनाकर मुकाबला रोचक बना दिया है।

भाजपा उम्मीदवार जिला पंचायत गुना की अध्यक्ष रह चुकी हैं एवं उन्हें राजनीति का अच्छा अनुभव है तथा उनकी छवि भी तेजतर्रार एवं आक्रामक जुझारु महिला की रही है जबकि शिवनारायण मीना धीरगंभीर एवं शांत मिजाज के माने जाते हैं।

कांग्रेस के कब्जे वाली इस सीट को हथियाने के लिए भाजपा जहां एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है वहीं शिवनारायण मीना दिग्विजयसिंह के वरदहस्त के चलते निश्चिंत नजर आ रहे हैं।

गुना सीट पर भी है कड़ी टक्‍कर


उधर गुना सीट पर दोनों ही दलों के प्रत्याशी नए माने जा रहे हैं। आरक्षित सीट होने से जहां कांग्रेस ने गुना मंडी बोर्ड के चयनित सदस्य एवं युवा नीरज निगम को मैदान में उतारा है, जबकि भाजपा ने सेवानिवृत्त शिक्षक एवं राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुडे पन्नालाल शाक्य पर दांव आजमाया है।

गुना से सुनील मालवीय ने भी अपनी दावेदारी पेश की थी। टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर वे निर्दलीय रूप से चुनाव मैदान में हैं और थोड़ा-बहुत नुकसान कांग्रेस का कर सकते हैं लेकिन यहां मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच ही होगा।

बामौरी विधानसभा क्षेत्र में सामान्य प्रशासन राज्य मंत्री कन्हैयालाल अग्रवाल मैदान में हैं, जबकि कांग्रेस ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी माने जाने वाले महेन्द्र सिंह सिसौदिया पर दांव खेला है। सिसौदिया हालांकि पिछला चुनाव कम मतों से यहां से हार चुके हैं।

पिछले चुनाव में कांग्रेस के बागी कद्दावर नेता देवेन्द्र सिंह ने बसपा से चुनाव लड़कर कांग्रेस के समीकरण को बिगाड़ दिया था लेकिन इस बार ऐसी कोई स्थिति नहीं होने से कांग्रेस भाजपा को कड़ी टक्कर दे सकती है। (भाषा)

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