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नरसिंहपुर जिले में भी रोचक मुकाबला

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जबलपुर , बुधवार, 13 नवंबर 2013 (13:59 IST)
जबलपुर। मध्यप्रदेश के जबलपुर संभाग के नरसिंहपुर जिले की 4 विधानसभा सीटों में से 3 पर त्रिकोणीय मुकाबला और शेष 2 सीटों पर आमने-सामने की टक्कर होने के आसार हैं।

वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव में नरसिंहपुर जिले में भारतीय जनता पार्टी का सफाया हो गया था, लेकिन 2009 में तेंदूखेड़ा के उपचुनाव में भाजपा ने कांग्रेस से यह सीट छीन ली थी। इस जिले में कभी कांग्रेस का वर्चस्व रहा लेकिन 90 के दशक में लालकृष्ण आडवाणी की रथयात्रा के बाद हवा बदली और चारों सीटों पर भाजपा ने विजय प्राप्त की थी।

जिले की सबसे महत्वपूर्ण मानी जाने वाली विधानसभा सीट नरसिंहपुर में त्रिकोणीय मुकाबला होने के आसार हैं। यहां कांग्रेस ने वर्तमान विधायक सुनील जायसवाल पर फिर से भरोसा जताया और तगड़े विरोध के बावजूद भाजपा आलाकमान ने पूर्व विधायक जालम सिंह को मैदान में उतारा है। इस विधासभा सीट से भाजपा के असंतुष्ट विश्वास परिहार निर्दलीय के रूप में भाग्य आजमाने के लिए मैदान में डटे हुए हैं।

गाडरवाड़ा विधानसभा सीट से कांग्रेस ने अपनी रणनीति के तहत वर्तमान विधायक श्रीमती साधना स्थापक को इस बार फिर से मैदान में उतारा है। भाजपा ने भी अपने पूर्व विधायक गोविंद सिंह पटेल पर भरोसा जताया है। इस चुनावी समर में जिले की तेजतर्रार महिला सुनीता पटेल निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर अपनी पूरी ताकत के साथ चुनाव अभियान में जुट गई हैं। सुनीता पटेल पिछले चुनाव में जोर-शोर के साथ अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हुए लगभग 27 हजार मतों के साथ तीसरे स्थान पर रही थीं।

गोटेगांव विधानसभा क्षेत्र में दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों भाजपा और कांग्रेस में आमने-सामने का मुकाबला है। कांग्रेस से वर्तमान विधायक नर्मदा प्रसाद प्रजापति तथा भाजपा से कैलाश जाटव चुनाव मैदान में हैं। इस विधानसभा सीट से दोनों पार्टियों के बागी प्रत्याशियों के नामांकन पत्र वापस ले लेने से अब यहां मुकाबला आमने-सामने का रह गया है।

इसी तरह तेंदूखेड़ा विधानसभा सीट पर भी दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों के प्रत्याशी आमने-सामने हैं। इस सीट से कांग्रेस के सुरेन्द्र कुमार और भाजपा के संजय शर्मा चुनाव मैदान में हैं।

2008 के चुनाव में जहां कांग्रेस ने अपनी जीत का पचरम लहराया था वहीं भाजपा ने 2009 में हुए उपचुनाव में कांग्रेस को पटकनी देकर यह सीट छीन ली थी। इस सीट पर दोनों दलों के बागियों द्वारा नाम वापस लेने एवं एक बागी का नामांकन निरस्त होने के कारण मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच ही होगा। (वार्ता)

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