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महाकौशल अंचल में कांटाजोड़ मुकाबला

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जबलपुर , शुक्रवार, 22 नवंबर 2013 (15:05 IST)
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जबलपुर। महाकौशल अंचल में औद्योगिक नगरी कटनी जिले की चारों विधानसभा सीटों पर दोनों प्रमुख राष्ट्रीय दलों के प्रत्याशियों की नाक दांव पर लगी। यहां पर 1 सीट पर चतुष्कोणीय मुकाबला और 3 पर आमने-सामने की लड़ाई की तस्वीर बनी है।

जिले की चारों विधानसभा सीटों पर जहां भाजपा प्रत्याशी अपनी सरकार की जनकल्याणकारी नीतियों को लेकर जनमानस को अभिभूत कर रही है वहीं कांग्रेस क्षेत्र की खामियों को दूर करने का वादा कर और भाजपा को भ्रष्टाचार के कटघरे में खड़ा कर कोसते हुए विधानसभा की सीढ़ी चढ़ने का प्रयास कर रही है।

हालांकि इस चुनावी समर में सभी विधानसभा क्षेत्रों में जनता का सरोकार नेताओं के भाषणों की अपेक्षा अपने-अपने क्षेत्रों के विकास को लेकर है।

जिले की मुडवारा विधानसभा क्षेत्र से भाजपा ने मौजूदा विधायक गिरिराज किशोर का टिकट काटकर महापौर रहे संदीप जायसवाल को मैदान में उतारा है तो वहीं कांग्रेस ने एकनिष्ठ सेवा करने वाले फिरोज अहमद को प्रत्याशी बनाया है।

इस कुरुक्षेत्र में फिरोज को अपनी स्वच्छ छवि के साथ कटनी नगर निगम में कांग्रेस का कब्जा होने के कारण मतदाताओं से वोट का भरोसा है तो वहीं जायसवाल को अपने कार्यकाल में किए गए विकास कार्यों का मतों में परिवर्तित होने का भरोसा है।

चुनाव की इस लड़ाई में मैदान में दोनों प्रमुख दलों के अलावा तीसरी शक्ति का दमखम ठोंकने वाली बहुजन समाज पार्टी (बसपा), जनता दल यूनाइटेड (जदयू), समाजवादी पार्टी (सपा), लोक जनशक्ति पार्टी के अलावा 5 निर्दलीय प्रत्याशी मैदान में भाग्य आजमा रहे हैं।

आदिवासी व अजा बाहुल्य बड़वारा विधानसभा सीट से जाति प्रमाण पत्र मामले में न्यायालय द्वारा पाक साफ साबित हुए मोती कश्यप को भाजपा ने दूसरी बार अपना प्रत्याशी बनाया है, जबकि कांग्रेस ने नए चेहरे के रूप में बसंत सिंह को प्रत्याशी बनाया है। इस क्षेत्र में अहम लड़ाई स्थानीय एवं बाहरी प्रत्याशी होने को लेकर है।

कांग्रेस ने रणनीति के तहत भले ही सिंह को स्थानीय मुद्दे पर मैदान में दहाड़ने के लिए उतारा है लेकिन आदिवासी व अजा बाहुल्य इस क्षेत्र में कश्यप के प्रभाव को कम नही आंका जा सकता है।

इस क्षेत्र में तीसरी शक्ति के रूप में प्रभाव रखने वाली बसपा के अलावा इस बार भी जदयू, सपा, लोक जनशक्ति पार्टी भाग्य आजमाइश में लगे हैं।

चतुष्कोणीय मुकाबले की गवाह बनी बहोरीबंद में कांग्रेस के ज्योतिरादित्य समर्थक डॉ. निशीथ पटेल को पार्टी ने तीसरी बार चुनावी समर में उतारा है। पटेल को हैटट्रिक बनाने से रोकने के लिए इस लड़ाई में 2003 के विधानसभा चुनाव में महज 403 मतों से पराजित हुए प्रभात पांडे को भाजपा ने एक बार फिर मैदान में उतारा है।

इस चुनावी लड़ाई में भाजपा से बगावत कर जदयू के टिकट पर चुनाव लड़ रहे शंकरलाल महतो व बसपा के हाथी पर सवार कुंवर सौरभ सिंह भी कांटे की टक्कर दे सकते हैं।

इस सीट से निशीथ को विधानसभा पहुंचने के लिए जहां करीब 21 हजार बीड़ी मजदूरों पर भरोसा है तो वहीं जीत के गणित में 27 हजार लोधी मतों के सहारे जीतने का भरोसा है।

पिछले चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में 35 हजार मत कबाड़ने वाले भाजपा के प्रभात पांडे भी जीत का दम बांधे हुए हैं, वहीं बसपा के सौरभ को उम्मीद है कि 5 साल तक जनता की सेवा करने का फल उन्हें मत के रूप में अवश्य मिलेगा।

चुनावी जंग के इस मैदान में जीत का सेहरा पहनकर विधानसभा तक पहुंचने के लिए दोनों राष्ट्रीय दल भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशियों के अलावा जदयू, सपा, बसपा व लोक जनशक्ति पार्टी के प्रत्याशी ताल ठोंक रहे है।

इस चुनावी परिदृश्य में जिले की सबसे चर्चित विजय राघवगढ़ में कांग्रेस के मौजूदा विधायक संजय पाठक और भाजपा प्रत्याशी पद्या शुक्ला की नाक दांव पर लगी हुई है। राजनीतिक गलियारे में यह चर्चा भी उभरकर सामने आ रही है कि इस सीट से सिर्फ प्रद्या शुक्ला की प्रतिष्ठा ही नहीं, बल्कि सरकार द्वारा इस इलाके से भूमि विकास बैंक के अध्यक्ष के ओहदे पर आसीन प्रद्या के पति शैलेन्द्र शुक्ला कटनी विकास प्राधिकरण अध्यक्ष ध्रुव प्रताप सिंह व मप्र संस्कृत बोर्ड के अध्यक्ष मनोहन उपाध्याय जैसे दिग्गजों की प्रतिष्ठा भी इस सीट से जुड़ी है।

जीत की रणनीति में एक तरफ भाजपा जहां अपने पक्ष में मतदाताओं को रिझाने के लिए निशाना साधे है कि मौजूदा विधायक क्षेत्र में विकास की गंगा इसलिए नहीं बहा सके, क्योंकि उनके पास समय नहीं था। उन्हें अपने व्यवसाय से फुर्सत कहां कि जनता की सेवा कर सके।
इस क्षेत्र से बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी, भारतीय शक्ति सेना पार्टी, गोंगपा, राकांपा सहित 3 निर्दलीय उम्मीदवार चुनावी दंगल में ताल ठोंक रहे हैं।

जिले की चारों विधानसभा सीटों पर प्रत्येक दल का प्रत्याशी वोटों का गुणा-भाग लगाने में जुटा है। अब देखना यह है कि किस प्रत्याशी का गुणा-भाग ठीक बैठता और मतदाता किसे विधानसभा में पहुंचाने की राह दिखाता है। (वार्ता)

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