भारतीय ग्रामीण परिवेश व संस्कृति को जानने-समझने के लिए देसी-विदेशी पर्यटक हमेशा लालायित रहते हैं। उनकी इसी चाहत को पूरा करने के लिए मप्र पर्यटन विकास निगम द्वारा ग्वालियर-चंबल संभाग में रूरल टूरिज्म का कांसेप्ट तैयार किया गया था, ताकि पर्यटन उद्योग को बढ़ावा मिलने के साथ-साथ विदेशी मेहमान ग्रामीण सभ्यता से परिचित हो सकें।
जिसके चलते निगम ने अशोकनगर जिले में आने वाले चंदेरी व प्राणपुर को रूरल डेस्टिनेशन के रूप में विकसित किया। लेकिन मुरैना, ग्वालियर व भिण्ड जिले के आसपास के ग्रामीण इलाकों की विभाग ने कोई सुध नहीं ली है। केंद्र व राज्य सरकार द्वारा इन इलाकों को रूरल डेस्टिनेशन के रूप में तैयार करने के लिए आज तक न तो कोई फंड रिलीज किया और न ही इनकी देखभाल के लिए कोई विशेष तैयारी भी हुई है।
विदित हो कि मप्र पर्यटन विकास निगम द्वारा दो साल पहले रूरल टूरिज्म का कांसेप्ट तैयार किया था, ताकि पर्यटक आकर ग्रामीण इलाकों की कला-संस्कृति, मेले, भेष-भूषा, रहन-सहन, खानपान, हैंडीक्रॉफ्ट उत्पादों व यहां के हैरिटेज से रूबरू हो सकें। जिसके लिए राज्य सरकार ने ग्वालियर-चंबल संभाग में कुछ स्थानों का चयन कर उन्हें विकसित करने के लिए करोड़ों का फंड जारी किया। जिसमें चंदेरी व प्राणपुर को विकसित करने की योजना बनाई।
चूंकि चंदेरी की साड़ियां व यहां के हैंडलूम विश्वविख्यात हैं। जिन्हें देखने के लिए दूरदराज क्षेत्रों से पर्यटक यहां पहुंचते हैं, लेकिन ग्वालियर-चंबल संभाग में ऐसे कई ग्रामीण इलाके हैं। जो पुरातत्व व ऐतिहासिक रूप से विशेष महत्व रखते हैं। उन्हें रूरल डेस्टिनेशन के रूप में विकसित करने के लिए शासन ने कोई कदम नहीं उठाया। पर्यटक लोकल टूर एंड ट्रेवल एजेंट्स के माध्यम से इन स्थलों को विजिट करते हैं।
चंदेरी में बुनाई का काम पुराने समय से ही वहां के निवासियों को रोजगार दिलाता है, जिसके उत्पाद देश के सभी मृगनयनी एम्पोरियम्स पर उपलब्ध है। इसलिए चंदेरी व प्राणपुर को रूरल डेस्टिनेशन के रूप में निगम ने शामिल किया है। इन स्थलों पर अभी भी विकास के कार्य जारी हैं। ग्वालियर-चंबल संभाग में पाए जाने वाले ग्रामीण पर्यटन स्थलों को अभी रूरल टूरिज्म में शामिल नहीं किया गया है।