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पहाड़ों की सुंदरता-जबलपुर

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नेहा मित्त
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मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से 330 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है प्राचीन शहर जबलपुर। रामायण एवं महाभारत की कथाएँ इस शहर से जुड़ी हुई हैं। यह शहर पवित्र नर्मदा नदी के तट पर स्थित है। जबलपुर का भौगोलिक क्षेत्र पथरीली, बंजर ज़मीन और पहाड़ों से आच्छादित है।

फिल्म गीत गाया पत्थरों ने का नाम तो आपने सुना ही होगा, परंतु क्या आपने कभी ‍िकसी ऐसे शहर का भ्रमण किया है जहाँ पर बेशुमार संगमरमर के पत्थर स्थित हों। जी हाँ, इस शहर का नाम है जबलपुर।

मदन महल किला - गोंद के राजा मदन शाह ने इस महल को पहाड़ों के ऊपर निर्मित किया था। आसमान की ऊँचाइयों से स्पर्श करते इस किले इस सुंदर नगरी को निहारा जा सकता है। संगराम सागर और बजाना मठ - सन 1480-1540 में राजा संगराम शाह ने इन इमारतों का निर्माण किया था। कहते हैं कि यहाँ तिलवाराघाट पर महात्मा गाँधी की अस्थियाँ विसर्जित की गई थीं। 1939 में कांग्रेस के समारोह इस स्थान पर आयोजित किए गए थे।

माला देवी मंदिर का बारहवीं सदी में निर्माण किया गया था। इस मंदिर में मालादेवी या लक्ष्मी की मूर्ति श्रद्धालुओं ने इस मंदिर में स्थापित की है। बिलहारी 14 कि.मी. है।

  जबलपुर से 95 कि.मी. दक्षिण दिशा की ओर मंडला जिला है जहाँ पर कान्हा नेशनल पार्क स्थित है। यह एक प्रसिद्ध एवं सुरक्षित स्थान है वन्य-जीव के लिए। यह स्थान किलों के लिए प्रसिद्ध है। आज यह किला जंगल के रूप में परिवर्तित हो रहा है।      
जबलपुर से 95 कि.मी. दक्षिण दिशा की ओर मंडला जिला है जहाँ पर कान्हा नेशनल पार्क स्थित है। यह एक प्रसिद्ध एवं सुरक्षित स्थान है वन्य-जीव के लिए। यह स्थान किलों के लिए प्रसिद्ध है। आज यह किला जंगल के रूप में परिवर्तित हो रहा है। 0.27 कि.मी. क्षेत्र में फैले इस नेशनल पार्क में विभिन्न प्रकार के पौधों के जीवावशेष पाए जाते हैं। पार्क के चारों ओर इन्हें प्रदर्शित किया गया है। अक्टूबर तथा फरवरी के महीने में सैलानी पार्क में घूमने आते हैं।पेंच नेशनल पार्क - पेंच नेशनल पार्क 293 कि.मी. की क्षेत्र में फैला हुआ है। वन्य जीवों के लिए ये यह एक सुरक्षित स्थान है।

जबलपुर से 15 कि.मी. की दूरी पर स्थित रामनगर में गोंद राजाओं का किला स्थित है तीन मंजिला यह किला नर्मदा नदी के तट पर स्थित है। जबलपुर से 84 कि.मी. दूर रूपनाथ स्थित है। यहाँ विशाल पत्थर के मध्य में लिंगम रखा है जहाँ पर भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है।जबलपुर में पर्यटक रेल, सड़क एवं हवाई मार्ग से पहुँच सकते हैं।

भीमबेटका- पुरातत्व का खजाना

1958 में भीमबेटका की गुफाएँ पुरात्तत्वेत्ता वी.एस.वकंकर ने खोजी। ये गुफाएँ लगभग 10 हजार वर्ष पुरानी हैं। पत्थर की इन गुफाओं को रॉक शेस्टर भी कहते हैं। इसमें आदिपुरुष एवं जीवों के भिन्न रुपों में अनेक प्रकार के चित्र हैं। यहाँ चट्टानों पर आदिमानव द्वारा निर्मित भित्तीचित्रों की दुर्लभ श्रृंखला देखने को मिलती है। यह स्थान भोपाल से 40 कि.मी की दूरी पर स्थित है

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