मांडू मालवा के परमारों द्वारा शासित रहा है। विंध्याचल की खूबसूरत पर्वतमालाओं के बीच 2000 फीट की ऊंचाई पर बसा मांडू मुगलों को बेहद पसंद था इसलिए इसका नाम उन्होंने शादियाबाद रखा जिसका अर्थ होता है आनंद नगरी। सचमुच मांडू इस नाम को साकार करता है।
यहां के पग-पग पर बिखरे नैसर्गिक सौंदर्य को देखकर आपका मन आनंदित हो उठेगा।
मांडू में पत्थर बोलते हैं और बरसों पुरानी प्रेम कहानी को बयां करते हैं। इमारतें जो बाज बहादुर ने रानी रूपमती के प्रेम तोहफे के रूप में बनवाई थीं। आज भी ये पत्थर उसी दास्तान को दोहराते हैं।
पूर्व के शासकों ने जो इमारतें बनवाई हैं वे प्रकृति के सौंदर्य के साथ इस तरह एकाकार हो चुकी हैं कि उनके बिना मांडू अधूरा ही रहता।
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