-कुं. पुष्पराजसिंह
बागली (देवास)। बीती 4 दिसंबर को राघवेंद्र शर्मा कमलापुर (बागली) के मोबाइल पर उसकी दादी भगवती शर्मा को कोरोनावायरस (Coronavirus) रोधी वैक्सीन (Vaccine) की दूसरी डोज लगने का मैसेज आया। मैसेज पढ़कर राघवेंद्र आश्चर्यचकित रह गए कि स्वास्थ्य विभाग की टीम ने यह हैरतअंगेज कारनामा कैसे कर दिया। क्या स्वास्थ्य विभाग इतना सक्षम है कि वह स्वर्गलोक जाकर भी टीकाकरण कर सकता है।
यह मामला जब प्रकाश में आया तो सभी जानने वाले चौंक गए क्योंकि राघवेंद्र की दादी भगवती शर्मा का निधन लगभग 8 माह पूर्व कोरोना महामारी से ग्रसित होकर हो चुका है। यह मजेदार, विसंगतिपूर्ण और शर्मनाक वाकया बागली अनुभाग के कमलापुर में प्रकाश में आया। जिसने सम्पूर्ण व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह खड़े कर दिए।
हालांकि यह बात सत्य है कि मृत्यु से पूर्व उन्होंने कोरोना की पहली डोज लगवाई थी, जिसके रजिस्ट्रेशन में उनके पोते राघवेंद्र का मोबाइल नंबर दर्ज किया गया था। अब सवाल यह है कि जब भगवती शर्मा की मौत पहले ही हो चुकी है तो फिर दूसरी डोज के सफलतापूर्वक लगने का मैसेज कैसे आया। दरअसल, इसके पीछे कोविन पोर्टल की विसंगति और अपना लक्ष्य पूर्ण करने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा कुछ भी कर जाने की चाहत सामने आती है।
प्रदेश में अब तक 94 प्रतिशत नागरिकों को पहली और 70 प्रतिशत को दूसरी डोज लग चुकी है। शासन प्रतिदिन टीकाकरण महाअभियान चलाकर 18 वर्ष से अधिक आबादी को टीकाकृत करने की मंशा से कार्य कर रहा है। इसलिए वह इस कुछ भी कर गुजरने की चाहत से पीछे नहीं हट रहा।
कोविन पर मृत्यु का विकल्प नहीं : मामले की पड़ताल करते हुए जब बागली में कोविन पोर्टल ऑपरेटर्स से पूछा गया तो पता चला कि पोर्टल पर पहला टीका दर्ज होने पर वह निश्चित समय पर दूसरे टीके के लिए अलर्ट भेजता है। जब तक दूसरा टीका नहीं लगता तब तक वह उस रजिस्टर्ड मोबाइल नम्बर को पेंडिंग में रखता है। अब यदि दूसरा टीका लगने का वेरिफिकेशन हो जाता है तो वह टीका लगने का मैसेज भेज देता है। जैसा कि भगवती शर्मा के केस में हुआ क्योंकि कोविन पोर्टल में पहला टीका लगवाने के बाद यदि संबंधित व्यक्ति की मौत हो जाती है तो उसकी जानकारी दर्ज करने की व्यवस्था या विकल्प ही नहीं है।
एक विसंगति यह भी : पत्रकार राजेंद्रपालसिंह सेंगर ने जब अपने एक मोबाइल नम्बर से रजिस्ट्रेशन का प्रयास किया था तो पोर्टल ने उसे शिवपुरी की किसी रामश्री झा नामक महिला के नाम पहले से ही रजिस्टर्ड बताया। उस समय इस बात पर यह सोचकर ही ध्यान नहीं दिया गया कि गलती से नंबर रजिस्टर्ड हो गया है। कई दिनों से उनके पास शिवपुरी प्रशासन से दूसरा डोज लगवाने के लिए फोन भी आते रहे, जिस पर उन्होंने मोबाइल नंबर गलत होने की जानकारी दी।
यह सिलसिला नवंबर महीने तक चला, लेकिन जब भगवती शर्मा का मामला आया तो इसकी भी पड़ताल हुई जिसमें पता चला कि रामश्री झा को विगत 1 दिसंबर को शिवपुरी के दिनारा स्वास्थ्य केंद्र पर दूसरा डोज लग गया। जबकि उन्हें टीके का पहला डोज 17 मार्च को लगा था। अब इस बात की बहुत संभावना है कि हो सकता है कि रामश्री झा भी अब इस दुनिया में नहीं हैं।