इंदौर। अपनी सहजता और सादगी के लिए मशहूर रहे केंद्रीय पर्यावरण मंत्री अनिल माधव दवे की इच्छा थी कि उनकी याद में स्मारक बनाने के बजाय पौधे लगाकर इन्हें बड़ा किया जाए और नदी-तालाबों को बचाया जाए। दवे का दिल्ली में दिल का दौरा पड़ने से गुरुवार को निधन हो गया।
दवे के भतीजे निखिल दवे ने कहा, 'वह (अनिल माधव दवे) हमसे कहते थे कि उनकी मृत्यु के बाद उनका कोई स्मारक न बनाया जाये। अगर कोई व्यक्ति उनकी स्मृति को चिरस्थायी रखना चाहता है, तो वह पौधे लगाकर इन्हें सींचते हुए पेड़ में तब्दील करे और नदी-तालाबों को संरक्षित करे।
उन्होंने बताया कि दवे की अंतिम इच्छा के मुताबिक उनका अंतिम संस्कार मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले में नर्मदा और तवा नदी के संगमस्थल बांद्राभान में किया जाएगा। इस स्थान पर वह अपने अलाभकारी संगठन नर्मदा समग्र के बैनर तले 'अंतरराष्ट्रीय नदी महोत्सव' आयोजित करते थे। उन्हें इस जगह से खासा लगाव था।
इस बीच, सोशल मीडिया पर एक दस्तावेज की प्रति वायरल हो रही है जिसे दवे की कथित आखिरी इच्छा और वसीयत से जुड़ा बताया जा रहा है। इस दस्तावेज पर 23 जुलाई 2012 का दिनांक अंकित है। इस दस्तावेज पर उनका अंतिम संस्कार बांद्राभान में वैदिक रीति से किए जाने, उनकी अंत्येष्टि में किसी तरह का आडम्बर न किए जाने, उनका स्मारक न बनाए जाने, उनकी याद में कोई प्रतियोगिता और पुरस्कार न शुरू किये जाने सरीखी बातों का जिक्र है।
दवे के भतीजे निखिल ने कहा कि वह इस दस्तावेज की प्रामाणिकता की पुष्टि तुरंत नहीं कर सकते। लेकिन इस दस्तावेज में कही गई अधिकतर बातें दिवंगत केंद्रीय मंत्री की पर्यावरणहितैषी सोच और सादगी से भरी रही उनकी जीवन यात्रा से मेल खाती हैं। (भाषा)