- कुंवर राजेन्द्रपाल सिंह सेंगर
बागली (देवास)। बुधवार को भारत छोड़ो आंदोलन की 75वीं वर्षगांठ संकल्प दिवस के रूप में मनाई गई। जिसमें देवास जिले के बड़े अनुभाग मुख्यालयों में शामिल बागली को अलग जिले का दर्जा देने की मांग की गई, जिसमें स्थानीय व क्षेत्रिय रहवासियों ने मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन सौंपा। संकल्प लेने के बाद ज्ञापन को प्रदेश के 52वें जिले के लिए 52वां ज्ञापन नाम दिया गया।
रैली में लगभग 1 हजार से अधिक रहवासियों ने लगभग 1.5 किमी की दूरी की और अनुभागीय राजस्व कार्यालय पर जिले की मांग को लेकर जमकर नारेबाजी भी की। वस्तुतः यह बागली जिला बनाओ अभियान सहयोग समिति का 5 वर्ष के लंबे अंतराल के बाद पुनर्जागरण अभियान था। इसके पूर्व मंगलवार रात्रि में मुख्य बाजार में स्थित गांधी चौक पर स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेकर शहीद हुए क्रांतिकारियों और कार्यकर्ताओं को कैंडल जलाकर श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इसके उपरांत नगर के प्रमुख व उपमार्गों से होकर जनजागरण मार्च निकाला गया, जिसमें अधिकाधिक संख्या में संकल्प दिवस में भाग लेने का अनुरोध किया।
मार्च श्रीछत्रपति हनुमानजी मंदिर पर समाप्त हुआ। जहां पर समिति के वरिष्ठ कार्यकर्ता एवं अधिवक्ता राजेन्द्रकुमार ईनाणी ने संबोधित किया। बुधवार दोपहर को नगर व क्षेत्रवासी इक्का-दुक्का व समूहों की शक्ल में मुख्य बाजार के गांधी चौक पर एकत्रित हुए। इसके उपरांत तिरंगा फहराकर 11 बिंदुओं का संकल्प लिया गया। इसके उपरांत रैली की शक्ल में रहवासियों ने अनुभागीय राजस्व कार्यालय की और कूच किया।
रैली का नेतृत्व नगर परिषद अध्यक्ष अमोल राठौर ने हाथों में तिरंगा लहराकर किया। यहां पर जनसमूह को अधिवक्ता ईनाणी ने संबोधित किया। साथ ही अधिवक्ता मुकेश गुर्जर और देवेन्द्र गोस्वामी ने समिति द्वारा शुरूआती दौर से चलाए गए आंदोलन से लेकर अब तक की और आगामी कार्ययोजना को उल्लेखित किया। ज्ञापन का वाचन नप अध्यक्ष राठौर ने किया। संचालन वारिस अली ने किया और आभार कमल यादव ने माना। इस दौरान कु. जयदीपसिंह उदावत, पूर्व नप अध्यक्ष श्यामा तोमर व डॉ रामचंद्र राठौर, भाजपा किसान मोर्चा प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य मोतीलाल पटेल, भाजयुमो प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य अर्पित नाहर, कांग्रेस जिला उपाध्यक्ष कमल सोनी, राजेश बजाज, विजय यादव, गोपी शर्मा, श्रीराम पाटीदार, मोहम्मद बादशाह, प्रवीण चौधरी, चंदन नटेरिया, संदीप वर्मा, राकेश नागौरी शिवाजी यादव, सहित बडी संख्या में रहवासी उपस्थित थे।
वर्ष 2012 में उठी थी मांग : बागली को पृथक जिले का दर्जा देने के लिए वर्ष 2012 में अधिकारिक रूप से समिति का गठन कर मांग शासन के सामने रखी गई थी। जिसमें क्षेत्र के भागौलिक वितरण और संपदा को एक नक्शे में उकेरा गया। साथ ही बागली व अनुभाग की दो अन्य तहसीलों उदयनगर और हाटपीपल्या समेत कन्नौद-खातेगांव क्षेत्र की सतवास, कन्नौद व खातेगांव तहसीलों को शामिल कर 4500 वर्गकिमी और लगभग 5 लाख से अधिक जनसंख्या में प्रस्तावित बागली जिले में स्थान दिया गया था।
शुरुआती दौर में अनुभाग की समस्त ग्राम पंचायतों, जनपद पंचायतों और नगर परिषदों ने भी जिले का दर्जा दिए जाने का प्रस्ताव पारित कर प्रदेश शासन को भेजा था। साथ ही वर्तमान और पूर्व जनप्रतिनिधियों का समर्थन पत्र भी हासिल किया गया था। समाज के विभिन्न वर्गों और अलग-अलग स्थानों के लोगों ने 51 दिनों तक लगातार 51 ज्ञापन भी सौंपे थे। इस दौरान क्षेत्र में भाजपा की राजनीति के पुरोधा एवं पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी के मार्गदर्शन में एक शिष्टमंडल ने भोपाल में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान से मुलाकात की थी। जिसमें जब भी नया जिला बनाया जाएगा तो 52वां जिला बागली होगा का आश्वासन मिला था। इसके बाद विधानसभा व लोकसभा चुनाव हुए और आंदोलन सुप्तावस्था में चला गया।
मांग को अभूतपूर्व जनसमर्थन : जिले की मांग को मिला जनसमर्थन अभूतपूर्व था। बागली पूर्व मुख्यमंत्री जोशी का विधानसभा क्षेत्र रहा है और यहां से उन्होंने लगातार 8 बार चुनाव जीतकर विधायकी की है। यह पहली बार था कि क्षेत्रवासी बडी संख्या में सड़कों पर उतरे थे। जिले के लिए किए जा रहे आंदोलन का उत्साह कुछ इस प्रकार था कि पक्षाघात और मधुमेह से पीड़ित पप्पू यादव ने भी बाजार से लेकर अनुभागीय कार्यालय तक की दूरी पैदल तय की।