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भोपाल में सरकारी बाबू निकला 90 करोड़ की काली कमाई का आसामी, हीरे-सोने के हार के साथ बड़ी मात्रा में कैश बरामद

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भोपाल ब्यूरो

, गुरुवार, 17 अक्टूबर 2024 (15:40 IST)
भोपाल। मध्यप्रदेश में काली कमाई के सरकारी कुबेरों पर लोकायुक्त का एक्शन जारी है। राजधानी भोपाल में  शिक्षा विभाग में पदस्थ जूनियर ऑडिटर रमेश हिंगोरानी के घर पर पड़े छापे में 90 करोड़ से अधिक की काली कमाई का खुलासा हुआ है। वहीं लोकायुक्त की टीम को रमेश हिंगोरानी के घर से बड़ी मात्रा में हीरे और सोने के जेवरात भी जब्त किए है। इसके साथ लोकायुक्त की टीम को कई बेनामी संपत्ति के दस्तावेज भी जब्त किए है।

बुधवार सुबह से रमेश हिंगोरानी के ठिकानों पर लोकायुक्त की छापे की कार्रवाई आज दूसरे दिन भी जारी है। लोकायुक्त की टीम हिंगोरानी के 6 ठिकानों से 90 करोड़ से अधिक के काली कमाई के दस्तावेज जब्त किए थे। अब तक हिंगोरानी के ठिकानों से एक-एक किलो सोना-चांदी सहित 12 लाख रुपए कैश बरामद हो चुका हैं। वहीं आज दूसरे  दिन की जांच में काली कमाई का रियल एस्टेट में बड़े पैमाने पर निवेश का खुलासा हुआ है।

छापेमारी की कार्रवाई के दौरान लोकायुक्त को हिंगोरानी के बैंक लॉकर और अन्य संपत्तियों की भी जानकारी मिली है। लोकायुक्त की टीम बरामद दस्तावेजों को खंगाल कर पूरी संपत्ति के आकलन में जुटी है। लोकायुक्त को रमेश हिंगरोनी के खिलाफ भ्रष्टाचार और आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के साथ करोड़ों रुपए रियल एस्टेट में निवेश की जानकारी लोकायुक्त को मिली थी।

भोपाल में सतपुड़ा भवन स्थित शिक्षा सचिवालय के तकनीकि शिक्षा विभाग में पदस्थ रहे जूनियर ऑडिटर रमेश हिंगोरानी के 6 ठिकानों पर लोकायुक्त ने छापामार कार्रवाई की थी। जिसमें रमेश हिंगोरानी के बैरागढ़ स्थित बंगले, गांधीनगर स्थित लक्ष्मी देवी विकयोमल सर्राफ हायर सेकेंडरी स्कूल, किरण प्रेरणा स्कूल, मैरिज गार्डन समेत कुल 6 ठिकानों पर कार्रवाई की गई थी। 

रमेश हिंगोरानी के साथ ही उनके दोनों बेटे भी लोकायुक्त जांच के घेरे में है। रमेश ने अपने दोनों बेटों को बिना किसी योग्यता के समिति के स्कूलों का संचालक बनाया। सामाजिक संस्था लक्ष्मी देवी विकयोमल सर्राफ एजुकेशन सोसाइटी जिसके तहत बैरागढ़ में तीन स्कूल संचालित किए जा रहे थे,उसके संचालक हिंगोरानी के बेटे है।

इस छापेमारी में तकनीकी शिक्षा विभाग में पदस्थ हिंगोरानी की आय से अधिक संपत्ति की शिकायत पर जांच शुरू की गई थी। लोकायुक्त द्वारा यह कार्रवाई राज्य में भ्रष्टाचार के खिलाफ चलाए जा रहे अभियानों के तहत की गई, जिसका उद्देश्य भ्रष्ट अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई करना है।

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