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सिंधिया खेमे के मंत्रियों के बाद अब कैलाश विजयवर्गीय के निशाने पर अफसरशाही

हमें फॉलो करें सिंधिया खेमे के मंत्रियों के बाद अब कैलाश विजयवर्गीय के निशाने पर अफसरशाही

विशेष प्रतिनिधि

, शुक्रवार, 7 अक्टूबर 2022 (13:01 IST)
भोपाल। अपने बयानों के लिए अक्सर चर्चा में रहने वाले भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने एक बार फिर अपने अंदाज में अफसरशाही पर निशाना साधा है। इंदौर के लगातार छठीं बार स्वच्छता का सिरमौर बनने पर आयोजित कार्यक्रम में कैलाश विजयवर्गीय ने मंच से कहा कि अफसरों की ज्यादा मालिश मत करो। इतना ही नहीं कैलाश विजयवर्गीय ने कलेक्टर पर भी तंज कसते हुए कहा कि अगर अधिकारियों में ही दम होता तो यहां के कलेक्टर उज्जैन के कलेक्टर बने थे क्या उज्जैन नंबर वन बना। वहीं इंदौर के पूर्व नगर निगम कमिश्नर अब उज्जैन के कलेक्टर हैं, वे भी उज्जैन को सफाई में अव्वल नहीं बना पाए। 
 
कैलाश विजयवर्गीय ने इंदौर के लगातार स्वच्छता में सिरमौर बनने का पूरा क्रेडिट इंदौर की जनता और सफाई कर्मचारियों को दिया। उन्होंने कहा कि मुझसे कोई पूछे कि इंदौर की सफाई के लिए सबसे ज्यादा जवाबदार कौन है तो मैं कहूंगा सबसे पहले हमारे सफाई मित्र हैं, दूसरा नंबर इंदौर की जनता का है क्योंकि इंदौर की जनता अनुशासित है। संस्कार वाली जनता है. संस्कारित है, ये संस्कार हमारी पहली वाली पीढ़ी ने डाले हैं। इस कारण अगर आप इंदौर की जनता को श्रेय नहीं देंगे तो क्या सिर्फ अधिकारियों को श्रेय देंगे। उन्होंने दोहराया मुझे मालूम नहीं कि मैं बहुत कड़वी बात बोलता हूं लेकिन बहुत जरूरी है क्योंकि मेरे अलावा किसी में ताकत भी नहीं है कि ये बात बोल सके। ऐसा नहीं है कि कैलाश विजयवर्गीय ने पहली बार अफसरशाही को नसीहत दी है। इसके पहले  पहले ही कैलाश विजयवर्गीय सार्वजनिक मंचों से अफसरशाही को खरी-खरी सुना चुके है। 

सिंधिया खेमे के मंत्री भी अफसरशाही पर उठा चुके है सवाल?- कैलाश विजयवर्गीय से पहले भाजपा सरकार के कई मंत्री भी अफसरों के रवैए पर खुलकर अपनी नाराजगी जता चुके है। शिवराज सरकार में सीनियर मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया और बृजेंद्र सिंह यादव भी अपने बयानों से सरकार की मुश्किलें बढ़ा चुके है। गौर करने वाली बात यह है कि अफसरशाही पर सवाल उठाने वाले दोनों ही मंत्री सिंधिया खेमे से आते है। वहीं मध्यप्रदेश की सियासत में इन दिनों सिंधिया और कैलाश विजयवर्गीय की जुगलबंदी के कई तरह के सियासी मायने भी निकाले जा रहे है।
 
शिवराज सरकार में पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया ने सार्वजनिक तौर पर राज्य के मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस को निरंकुश करार दिया था। उन्होंने कहा था कि मुख्य सचिव इकबाल सिंह जैसा अधिकारी जिसके बारे में मेरे पास शब्द नहीं हैं, प्रशासन निरंकुश है और उसका आधार मैं मुख्य सचिव को ही मानता हूं। महेंद्र सिंह सिसोदिया ने कहा था कि मुख्य सचिव और अधिकारी उनका फोन नहीं उठाते है। 

इतना ही नहीं महेंद्र सिंह सिसोदिया ने अपने प्रभार वाले जिले शिवपुरी के एसपी राजेश चंदेल की कार्यप्रणाली को लेकर नाराजगी जाहिर की करते हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया को चिट्ठी लिखी थी। सिसोदिया ने शिवपुरी जिले में थाना प्रभारियों के तबादलों में उनकी रजामंदी नहीं लिए जाने पर नाराजगी जाहिर की और इस नाराजगी को लेकर कलेक्टर को एक चिट्ठी भी लिखी। वहीं प्रदेश सरकार में लोक यांत्रिकी मंत्री बृजेंद्र सिंह यादव का एक पत्र भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था जिसमें उन्होंने सहकारिता संस्था में नियुक्ति पर आपत्ति जताई थी। 
 
भाजपा विधायक सरकार को घेरने में पीछे नहीं- ऐसा नहीं है कि सत्तारूढ़ भाजपा सरकार की मुसीबतें केवल मंत्री ही बढ़ा रहे है। भाजपा के विधायक भी सरकार को घेरने में पीछे नहीं है। मैहर से भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी, जबलपुर के पाटन से सीनियर भाजपा विधायक अजय विश्नोई और रीवा के सिरमौर से भाजपा विधायक दिव्यराज सिंह भी लगातार अपनी ही सरकार के खिलाफ हमलावर है। ऐसे में अब जब 2023 विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा सरकार और संगठन दोनों ही मिशन मोड पर काम कर रहा है तब सरकार के मंत्रियों और विधायकों को अपनी ही सरकार को कठघरे में खड़ा करना इस बात पर सवालिया निशान उठाता है कि खुद को अनुशासित कार्यकर्ताओं की पार्टी होने का दावा करने वाली भाजपा में क्या सब कुछ ठीक ठाक है।
 

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