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आधी रात को जलती चिताओं के बीच पूजा...(वीडियो)

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करीब साढ़े तीन महीने बाद उज्जैन में आयोजित होने वाले सबसे बड़े धार्मिक और आध्यात्मिक मेले सिंहस्थ के दौरान चांडाल योग के प्रभाव को खत्म करने के लिए महाकाल की नगरी में तांत्रिक क्रिया की गई। इस दौरान तांत्रिकों ने जलती हुई चिताओं के बीच साधना की।
 
दरअसल, सिंहस्थ के दौरान चांडाल योग बन रहा है, जो बेहद अनिष्टकारी माना जाता है। 29 जनवरी 2016 से शुरू होकर गुरु चांडाल योग साल भर चलेगा। इस बात को लेकर शासन और प्रशासन दोनों चिंता में हैं। लिहाजा अब हर कोई अपने-अपने तरीके से इस योग के दुष्प्रभाव को खत्म करने की कोशिश कर रहा है।
 
रविवार देर रात को 83 वर्षीय तंत्र साधक कपालिक बाबा ने उज्जैन के चक्रतीर्थ श्मशान में तंत्र क्रिया की। काले वस्त्र धारण किए कपालिक बाबा करीब आधा दर्जन देशी और विदेशी शिष्यों के साथ श्मशान पहुंचे। जहां शिष्यों ने बाबा के लिए आसन लगाया। इसके बाद कपालिक बाबा ने निर्वस्त्र होकर जलती हुई चिता के ओटले में बैठकर तंत्र साधना की। करीब दो घंटे तक ये साधना चली इस साधना के दौरान उनके शिष्य और शिष्याएं भी सहयोग करते रहे। साधना खत्म होने पर वो मीडिया से भी मुखातिब हुए। 
 
बाबा के मुताबिक, सिंहस्थ में चांडाल योग बन रहा है जो अनिष्ट का कारक है, जिसके कारण सिंहस्थ में अनहोनी हो सकती है। उसी के निवारण के लिए उन्होंने उज्जैन के चक्रतीर्थ श्मशान में आकर तंत्र साधना की ताकि सिंहस्थ निर्विघ्न और सफलतापूर्वक संपन्न हो।
उन्होंने कहा कि अभी उन्होंने अपनी तरह से साधना की है लेकिन राज्य शासन उनसे आग्रह करेगा तो वो सिंहस्थ में अनिष्ट की आशंका को खत्म करने के लिए यहां रहकर लगातार तंत्र साधना कर सकते हैं।
 
जानिए, क्या होता है चांडाल योग : ज्योतिष में गुरु चांडाल योग की प्रचलित परिभाषा के अनुसार, यदि किसी कुंडली में गुरु के साथ राहु या केतु स्थित हो अथवा किसी कुंडली में गुरु का राहु अथवा केतु के साथ दृष्टि आदि से कोई संबंध बन रहा हो, तो ऐसी कुंडली में गुरु चांडाल योग बनता है। जिसके दुष्प्रभाव के कारण जातक का चरित्र भ्रष्ट हो सकता है तथा ऐसा जातक अनैतिक अथवा अवैध कार्यों में संलग्न हो सकता है। इस दोष के निर्माण में बृहस्पति को गुरु कहा गया है। वहीं, राहु और केतु को चांडाल माना गया है।
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