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GIS 2025: आर्थिक विकास को मजबूती देने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की लोकल से ग्लोबल तक सतत् यात्रा

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विकास सिंह

, मंगलवार, 11 फ़रवरी 2025 (10:52 IST)
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में मध्यप्रदेश ने बीते एक वर्ष में औद्योगिक विकास की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाए हैं। प्रदेश को राष्ट्रीय और वैश्विक औद्योगिक मानचित्र पर स्थापित करने के लिए उन्होंने न केवल रणनीतिक नीतियां बनाईं, बल्कि जमीनी स्तर पर निवेश और उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए निरंतर प्रयास किए। बीते एक साल में मध्यप्रदेश ने 7 रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव का आयोजन कर विभिन्न क्षेत्रों में औद्योगिक संभावनाओं को मजबूती दी। इसके साथ ही 5 प्रमुख रोड शो आयोजित कर निवेशकों के साथ सीधा संवाद किया गया, जिससे प्रदेश की औद्योगिक क्षमताओं को व्यापक मंच मिला।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर निवेश आकर्षित करने के लिए मुख्यमंत्री ने 3 देशों यूके, जर्मनी और जापान की यात्रा कर वहां की प्रमुख कंपनियों और निवेशकों से संवाद स्थापित किया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव द्वारा आर्थिक विकास को मजबूती देने लोकल से ग्लोबल तक सतत् यात्रा जारी है। इन प्रयासों के फलस्वरूप प्रदेश में निवेश का नया माहौल बना और वैश्विक उद्योग जगत ने मध्यप्रदेश को अपनी विस्तार योजनाओं में प्राथमिकता देना शुरू किया। अब यह यात्रा और आगे बढ़ रही है। मुख्यमंत्री ने वर्ष-2025 को ‘उद्योग वर्ष’ घोषित किया है जिससे औद्योगिक विकास के लिए साल भर गतिविधियां होंगी। भोपाल में 24-25 फरवरी को आयोजित होने वाली ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट इस दिशा में एक और बड़ा कदम है, जहां दुनिया भर के निवेशक, उद्योगपति और नीति निर्माता मध्यप्रदेश की अपार संभावनाओं का हिस्सा बनेंगे। यह सतत यात्रा न केवल प्रदेश की औद्योगिक सशक्तिकरण को दर्शाती है, बल्कि इसे देश के अग्रणी औद्योगिक केंद्रों में स्थापित करने की प्रतिबद्धता को भी सिद्ध करती है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव के नेतृत्व में मध्यप्रदेश ने आर्थिक प्रगति की एक सशक्त और दूरदर्शी कार्य योजना के साथ निवेश आकर्षित करके महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। यह केवल औद्योगिक विस्तार का प्रयास नहीं, बल्कि प्रदेश को एक समृद्ध, आत्म-निर्भर और वैश्विक औद्योगिक केंद्र बनाने की रणनीति का हिस्सा है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव के नेतृत्व में बनाई गई स्पष्ट, दूरगामी और व्यवहारिक नीति ने निवेशकों के विश्वास को मजबूत किया है। सूक्ष्म योजना, सतत् संवाद और ठोस नीतिगत सुधारों के जरिये निवेशकों की जरूरतों के अनुरूप आधारभूत संरचना को विकसित किया गया। इससे मध्यप्रदेश एक आदर्श औद्योगिक स्थान के रूप में उभर रहा है। प्रदेश के प्रत्येक क्षेत्र की औद्योगिक क्षमताओं का सूक्ष्म अध्ययन कर स्थानीय से वैश्विक स्तर तक निवेश आकर्षित करने की रणनीति अपनाई गई, जिसका प्रभाव अब राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय औद्योगिक मंचों पर स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगा है।
संभागीय स्तर पर निवेश अवसरों को सशक्त करने के लिए पहली बार रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव आयोजित किए गए। इनमें स्थानीय उद्यमियों, नीति-निर्माताओं और संभावित निवेशकों को एक मंच पर लाकर क्षेत्रीय औद्योगिक क्षमताओं को उजागर किया गया। प्रत्येक संभाग की आर्थिक विशेषताओं के आधार पर उद्योगों को लक्षित किया गया। इससे उज्जैन, ग्वालियर, जबलपुर, रीवा, नर्मदापुरम, शहडोल और सागर में निवेशकों की उत्साहजनक भागीदारी देखने को मिली। इन आयोजनों से स्पष्ट हुआ कि औद्योगिक विकास को जिला स्तर तक ले जाना न केवल आवश्यक है, बल्कि यह प्रदेश की समग्र आर्थिक प्रगति के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
संभागीय स्तर पर निवेशकों की रुचि और आवश्यकताओं को समझने के बाद इसे राष्ट्रीय स्तर पर विस्तारित किया गया। बेंगलुरु, कोयंबटूर, मुंबई और कोलकाता जैसे औद्योगिक नगरों में रोड-शो आयोजित कर संभावित निवेशकों से सीधा संवाद किया गया। आईटी, ऑटोमोबाइल, टेक्सटाइल, माइनिंग, नवकरणीय ऊर्जा और वित्तीय क्षेत्र के प्रमुख उद्यमियों से चर्चा कर उनके सुझावों के आधार पर प्रदेश की औद्योगिक नीतियों को और अधिक निवेशक-अनुकूल बनाया गया।
राष्ट्रीय स्तर पर निवेश आकर्षित करने के बाद इसे वैश्विक मंच पर ले जाने की दिशा में ठोस प्रयास किए गए। यूके, जर्मनी और जापान में रोड-शो आयोजित कर वैश्विक उद्योग जगत को प्रदेश की क्षमताओं से परिचित कराया गया। निवेशकों को व्यापारिक सुगमता, नीतिगत स्थिरता और विश्वस्तरीय आधारभूत संरचना की जानकारी दी गई। इससे मध्यप्रदेश में निवेश की संभावना को लेकर निवेशकों का सकारात्मक रूझान देखने को मिला।
 
औद्योगिक अधोसंरचना को मजबूत करने के लिए नए औद्योगिक क्षेत्रों का विकास, लॉजिस्टिक्स और परिवहन कनेक्टिविटी में सुधार, हवाई यातायात के विस्तार और औद्योगिक गलियारों को एक्सप्रेस-वे से जोड़ने जैसे ठोस कदम उठाए गए। उद्योगों के लिए निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित की गई और सिंगल विंडो क्लियरेंस प्रणाली को और अधिक प्रभावी बनाया गया है। इससे निवेशकों को तेजी से मंजूरी मिल सकेगी।
औद्योगिक विस्तार के सामाजिक और आर्थिक प्रभाव भी व्यापक रहे। स्थानीय स्तर पर निवेश बढ़ने से युवाओं को रोजगार के नए अवसर मिले। इससे पलायन में कमी आई है। वैश्विक कंपनियों की भागीदारी से प्रदेश की तकनीकी दक्षता बढ़ी, जिससे स्टार्ट-अप्स और एमएसएमई सेक्टर को भी नया संबल मिला। औद्योगीकरण के साथ शहरी क्षेत्रों का विस्तार हुआ और प्रदेश की जीवन गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार आया।
 
भोपाल में 24-25 फरवरी को ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट आयोजित होने जा रही है। यह आयोजन न केवल प्रदेश की औद्योगिक क्षमताओं को वैश्विक मंच पर स्थापित करेगा, बल्कि इसे भारत के औद्योगिक भविष्य का प्रमुख केंद्र बनाने की दिशा में निर्णायक कदम भी साबित होगा।

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