Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

दो साल बाद बेटी को देखकर आंसू नहीं रोक पाए पिता...

हमें फॉलो करें दो साल बाद बेटी को देखकर आंसू नहीं रोक पाए पिता...
बागली , शुक्रवार, 21 जुलाई 2017 (15:12 IST)
कुं. राजेन्द्रपालसिंह सेंगर (कुसुमरा)
बागली (देवास)। चार बच्चों की माता इंदिरा जब इंदौर से पिपरी जाने वाली बस से पुंजापुरा उतरकर बयडीपुरा मोहल्ले में अपने घर जाने के लिए निकली तो वह लोगों के कौतूहल का केन्द्र थी। इंदिरा वास्तव में मनोरोगी थी और अपने ससुराल से 2 वर्ष से लापता थी। घर पहुंचने से पहले मोहल्ले के एक व्यक्ति ने उसे पहचान लिया और पथप्रदर्शन की कोशिश की, लेकिन इंदिरा को अपने घर का पता मालूम था। वह अपने घर पहुंची, घर के बाहर मिले पिता के पैर छुए और मुंबई से उसे लेकर आने वाली श्रद्धा पुनर्वास केन्द्र की सदस्य रीतु वर्मा के लिए खटिया निकालने लगी। इंदिरा को देखकर उसके वृद्ध पिता नरसिंह भावविभोर हो गए और उनकी आंखों में आंसू आ गए।
 
उधर मोहल्ले में भी पड़ोसी अपने घर के आंगनों में निकल आए और कौतुहल से इंदिरा को देखने लगे। इंदिरा को लाने वाली वर्मा पर अभी नरसिंहपुर की धन्नो को उसके घर पहुंचाने की जिम्मेदारी भी थी। इसलिए उन्होंने इंदिरा को छोड़ने से पहले तस्दीक करने के लिए उसके पिता पर प्रश्नों की झड़ी लगा दी। इस दौरान इंदिरा के चार भाई और उसकी माता मजदूरी करने के लिए खेतों में गए हुए थे। बहरहाल इंदिरा का बदला हुआ रूप देखकर हर कोई हतप्रभ था। क्योंकि इंदिरा पिछले दो वर्षों में डंडी वाली पगली के नाम से मशहूर थी। वह बागली, चापड़ा, हाटपीपल्या और अन्य स्थानों पर डंडी लेकर घुमती थी और बात-बात पर क्रोधित होकर मारने के लिए दौड़ती थी। 
 
जानकारी के अनुसार इंदिरा का विवाह कुछ वर्ष पूर्व चापड़ा के रमेश नामक व्यक्ति से हुआ था और उसकी पांच संतानें हैं। रोजगार के अवसरों की कमी को लेकर रमेश अपने परिवार के साथ इंदौर चला गया था और वहीं से इंदिरा के मनोरोग की शुरुआत हुई। इस दौरान इंदिरा कई-कई दिनों तक अपने घर से बाहर रहती थी। एक दिन वह भी आया जब इंदिरा लापता हो गई और लौटकर फिर घर नहीं आई। 
 
इंदिरा को तलाश में परेशान होने के बाद रमेश ने फिर से अपनी जिंदगी शुरू करने का निर्णय लिया था और इंदिरा के घर पर उसके रोग के बारे में बता दिया व उसके घर से चले जाने की भी सूचना दी थी। ग्रामीण परिवेश और आदिवासी समुदाय से संबंध रखने वाले इंदिरा के मायके वालों ने बाबाओं और तांत्रिकों का सहारा लिया व इंदिरा को तलाशने का प्रयास किया, लेकिन वह नहीं मिली।
 
इंदिरा लगातार दो वर्ष तक घर से बाहर भटकती रही व 26 जून को श्रद्धा पुनर्वास केन्द्र के दल को मुंबई में मिली। पुनर्वास केन्द्र सड़क पर भटकते मानसिक रूप से बीमार लोगों के उपचार और फिर उन्हें घर छोड़ने के काम करता है। केन्द्र की सदस्य रीतु वर्मा ने इंदिरा की देखभाल की। चिकित्सकों के उपचार से इंदिरा की हालत में सुधार हुआ लेकिन उसे अपने इंदौर के घर का पता बताने में 15 दिन लगे।

लगातार मिले प्रेम व अपनेपन से इंदिरा की हालत में तेजी से सुधार हुआ और उसने पिता के घर पुंजापुरा जाने की इच्छा जाहिर की। जिस पर सोशल वर्कर वर्मा ने इंदिरा सहित खंडवा की तारा व नरसिंहपुरा की धन्नो को लेकर तीनों को घर छोड़ने के लिए निकली। तारा को उसके घर पहुंचाने के बाद वर्मा इंदौर से पुंजापुरा पहुंची और इंदिरा को अपना घर बताने के लिए कहा। इंदिरा ने एक माह के उपचार के भीतर ही अपना घर सरलता से तलाश लिया। इसके बाद तस्दीक की गई और वर्मा ने इंदिरा को उसके परिजनों को सुपुर्द किया। इस दौरान उन्होंने इंदिरा के पति रमेश से मोबाइल पर बात भी की।
 
इस दौरान उसके पिता नरसिंह ने पूछा कि उसके बाल क्यों काट दिए। वह मेरी बेटी है और मैंने उसकी बहुत तलाश की लेकिन अब में इसे अपने से दूर जाने नहीं दूंगा। 
 
अब तक 7 हजार मनोरोगियों को घर पहुंचा चुके हैं : वर्मा ने बताया कि अब तक हमारी संस्था 7 हजार मनोरोगियों को उनके घरों पर देश में और नेपाल पहुंचा चुकी है। उन्होंने कहा कि हम मनोरोगियों का उपचार करने के साथ-साथ उनके साथ प्रेम और अपनेपन का रिश्ता कायम करने का प्रयास करते है। इंदिरा जब हमें मिली थी तो वह कई दिनों से नहाई नहीं थी। बाल बड़े हो गए थे और सर में जूं थीं। हमने उसका उपचार किया और उसे मुख्यधारा में लाने का प्रयास किया। यदि इंदिरा के परिवार वाले हमारे संपर्क में रहेंगे तो हम उसके उपचार की दवाएं लगातार भेजते रहेंगे।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

शंकरसिंह वाघेला बोले, कांग्रेस ने 24 घंटे पहले ही निकाल दिया