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भारत का समाज जीवन कभी सत्तासापेक्ष नहीं रहा : आशुतोष अडोणी

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, रविवार, 23 अप्रैल 2017 (22:42 IST)
इंदौर। 'भारत का इतिहास निरंतर संघर्ष एवं जिजीविषा का इतिहास रहा है। विश्व की बाकी सारी सभ्यताएं नष्ट हो गई परंतु भारत वर्ष और उसकी सारी सभ्यताएं आज भी यथावत है। यहाँ की संस्कृति तथा जीवनमुल्य सदैव बने रहे। इसका कारण यहां का समाज जीवन कभी सत्तासापेक्ष नहीं रहा। सामान्य व्यक्ति, उसका चरित्र, जीवन मूल्य यह सामाजिक धारणा के आधार एवं केंद्र बिंदु थे।' 
 
उक्त विचार मराठी के मशहूर लेखक एवं ओजस्वी वक्ता आशुतोष अडोणी (नागपुर) ने व्यक्त किए। वे मराठी भाषा रक्षण समिति तथा लोकमान्य नगर निवासी मंडल द्वारा ख्याति प्राप्त अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक स्वर्गीय डॉ. पद्माकर खडीकर स्मृति व्याख्यान कार्यक्रम में 'पुत्र अमृताचे' विषय पर बोल रहे थे। 
 
अडोणी ने कहा कि इस महानतम राष्ट्र का निर्माण, रक्षण एवं संवर्धन सामान्य व्यक्ति द्वारा हुआ है, इसका इतिहास साक्षी है। महापुरुषों के दिव्य जीवन मुल्यों की प्रेरणा पाकर सामान्य व्यक्ति संघर्षरत रहा क्योंकि वह अमृतपुत्र है। आज भी जब ऐसी प्रेरणा देने वाले आदर्श खड़े होते है तो वह नया इतिहास निर्माण करता है। हाल ही में नोटबंदी की ऐतिहासिक आर्थिक उत्क्रांती का कारक सामान्य व्यक्ति ही था, यह उसका परिचायक है।
 
अपनी विशिष्ठ शैली के प्रभावशाली प्रस्तुतिकरण में अडोणी ने अनेक रोचक, प्रेरणादायी किस्से-कहानियां पेश की। कार्यक्रम के प्रमुख अतिथि थे वरिष्ठ पत्रकार तथा विश्व के पहले हिन्दी पोर्टल वेबदुनिया डॉट कॉम के संपादक जयदीप कर्णिक। समारोह की  विशेष अतिथि समाजसेविका श्रीमती कुसुम खडीकर थी। अतिथि परिचय और संचालन अनिलकुमार धड़वईवाले ने किया तथा आभार वैभव ठाकुर ने माना।

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