भोपाल। मध्यप्रदेश में डॉ. मोहन यादव कैबिनेट के पहले विस्तार को लगातार मंथन का दौर जारी है। आज मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा और संगठन महामंत्री हितानंद एक बार फिर दिल्ली जा रहे है जहां वह पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मिलकर कैबिनेट में शामिल होने वाले मंत्रियों के नामों पर अंतिम चर्चा करेंगे। बताया जा रहा है कि दिल्ली प्रवास के दौरान मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव गृहमंत्री अमित शाह और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकत करेंगे।
गौरतलब है कि इससे पहले कैबिनेट में शामिल होने वाले चेहरों को लेकर दिल्ली में एक दौर का मंथन हो चुका है। गत रविवार को दिल्ली में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के आवास पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की मौजदूगी में हुई पार्टी के आला नेताओं की बैठक कैबिनेट में शामिल होने वाले नामों को लेकर चर्चा हुई थी।
कैबिनेट गठन में क्यों फंसा पेंच?- मध्यप्रदेश में 13 दिसंबर को मुख्यमंत्री मोहन यादव के शपथ ग्रहण के एक सप्ताह से अधिक का समय बीत चुका है लेकिन अब तक कैबिनेट में शामिल होने वाले चेहरों पर सस्पेंस बना हुआ है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि मोहन यादव कैबिनेट को लेकर पेंच फंस गया है। मध्यप्रदेश में पांचवीं बार सत्ता में काबिज हुई भाजपा ने इस बार सरकार के चेहरे में परिवर्तन कर नई पीढ़ी को आगे लाने का सीधा संदेश दे दिया है। अब मंत्रिमंडल में नए चेहरों को शामिल करने को लेकर गुत्थी उलझ गई है। अगर मंत्रिमंडल में नए चेहरे शामिल किए जाते है तो कई दिग्गज चेहरों के बाहर बैठना होगा।
वहीं विधानसभा चुनाव लड़े सांसदों को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाए इस पर सस्पेंस बना हुआ है।डॉ. मोहन यादव कैबिनेट में कैलाश विजयवर्गीय, प्रहलाद सिंह पटेल और राकेश सिंह जैसे दिग्गज चेहरों को जगह मिलेगी,यह बड़ा सवाल बना हुआ है।
ऐसे में जब कुछ महीनों बाद ही लोकसभा चुनाव होने है और भाजपा लोकसभा चुनाव के लिए पूरी तरह चुनावी मोड में आ चुकी है तब कैबिनेट में क्षेत्रीय औऱ जातिगत सुंतलन साधना भी एक बड़ी चुनौती है। ऐसे में मोहन यादव कैबिनेट में नए औऱ पुराने चेहरों के बीच सामंजस्य देखने को मिल सकता है। इसके साथ कैबिनेट विस्तार में संगठन और सरकार के बीच तालमेल बैठाने की कवायद भी देखी जा सकती है।
कैबिनेट विस्तार में भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा, विष्णु खत्री, रमेश मेंदोला, दिव्यराज सिंह, रीति पाठक, राव उदय प्रताप सिंह, एंदल सिंह कंसान, अमरीश शर्मा, नारायण सिंह कुशवाह, धमेंद्र लोधी, हरीशंकर खटीक, संजय पाठक, संपतिया उइके, अरुण भीमावद, आशीष शर्मा, निर्मला भूरिया, अशोक रोहणी, शैलेंद्र जैन, करण सिंह वर्मा और चेतन कश्यप को शामिल किया जा सकता है।
वहीं कैबिनेट विस्तार में क्षेत्रीय और जातिगत संतुलन बैठाने के लिए कुछ पुराने और दिग्गज नेताओं को भी जगह मिल सकती है। इसमें पिछली सरकार में शामिल तुलसी सिलावट, प्रद्युम्न सिंह तोमर, बृजेंद्र प्रताप सिंह, इंदर सिंह परमार, हरदीप सिंह डंग को फिर से मौका मिल सकता है।