Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

महिला IAS अफसर ने मंदिरों के लाउडस्पीकर पर उठाए सवाल, आधी रात तक बजने वाले डीजे से किसी को डिस्टरबेंस नहीं होता?

हमें फॉलो करें महिला IAS अफसर ने मंदिरों के लाउडस्पीकर पर उठाए सवाल, आधी रात तक बजने वाले डीजे से किसी को डिस्टरबेंस नहीं होता?

भोपाल ब्यूरो

, सोमवार, 21 अक्टूबर 2024 (13:21 IST)
भोपाल। मध्यप्रदेश में एक बार फिर लाउडस्पीकर का मुद्दा गर्मा गया है। अपने बयानों के लिए अक्सर सुर्खियों में  रहने वाली सीनियर IAS अफसर शैलबाला मार्टिन ने सोशल मीडिया पर मंदिरों में लगे लाउडस्पीकर का मुद्दा उठाया  है। सामान्य प्रशासन विभाग में पदस्थ एडिशनल सेक्रेटरी शैलबाला मार्टिन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि मंदिरों पर लगे लाउड स्पीकर, जो आधी-आधी रात तक बजते हैं, उनसे किसी को डिस्टर्बेंस नहीं होता? दरअसल IAS अफसर शैलबाला मार्टिन ने एक वरिष्ठ पत्रकार के सोशल मीडिया पोस्ट अपनी प्रतिक्रिया देते हुए मंदिर पर लगे लाउड स्पीकर पर सवाल उठाया।
webdunia

वरिष्ठ पत्रकार डॉ. मुकेश कुमार ने एक्स पोस्ट में लिखा कि "तर्क ये दिया जा रहा है कि मस्जिदों से लाउड स्पीकर से अज़ान की आवाज़ें जब लोगों को डिस्टर्ब करती हैं तो मस्जिदों के सामने डीजे बजाने से परेशानी क्यों होना चाहिए? लेकिन डीजेवादियों से एक सवाल है कि अगर मस्जिदों से लाउड स्पीकर हटा दिए जाएं तो क्या डीजे और गंदी नारेबीज़ी बंद हो जाएगी? नहीं होगी. फिर किसी और बहाने से ये सब किया जाएगा क्योंकि इस धार्मिक प्रतिद्वंद्विता के पीछे राजनीति है, वह इसे रुकने नहीं देगी."

वरिष्ठ पत्रकार की पोस्ट पर IAS अफसर शैलबाला मार्टिन ने लिखा कि और मंदिर पर लगे लाउडस्पीकर जो कई कई गलियों में दूर तक स्पीकर्स के माध्यम से ध्वनि प्रदूषण फैलाते है और आधी तक बजते है उनसे किसी  को डिस्टरबेंस नहीं होता।

इस पोस्ट के दो दिन पहले भी IAS अफसर ने डीजे के शोर से भोपाल में मासूम की मौत का मुद्दा उठाया था। उन्होंने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा था कि भोपाल के चार इमली जैसे इलाके में जहां पुलिस कमिश्नर का खुद का आवास है, वहां ही फुल वॉल्यूम में DJ पर भयानक शोर करते हुए बजने वाले भजनों(?) के साथ मंत्री अफसरों के बंगलों के सामने से झांकियां निकाली गईं। कहीं किसी प्रकार की रोक टोक नहीं देखी गई। किसी के कानों में ये कानफोडू शोर सुनाई नहीं पड़ा जबकि पुलिस थाना मुश्किल से आधे किलोमीटर की दूरी पर है। हालत ये है कि चार इमली क्षेत्र में आए दिन निकलने वाले डीजे की ध्वनि से मकानों की खिड़कियां तक हिलने लगती है। ये स्थिति अन्य क्षेत्रों में भी होती होगी।

कानून या वरिष्ठों के आदेश का पालन करवाने की किसी को चिंता नहीं है न ही इस बात की फिकर है कि किसी घर में बुजुर्ग और बीमार इसे कैसे सहन कर पाएंगे। वैसे सभी ये जानते ही होंगे कि समारोहों के दौरान नाचते गाते होने वाली आकस्मिक मौतों का एक कारण अत्यधिक प्रबलता वाली डीजे की ध्वनि के कारण उत्पन्न होने वाली अनियमित तेज हृदय गति भी है। क्या इस मासूम की मौत के जिम्मेदार वो लोग भी नहीं हैं जिनके कंधों पर नियम निर्देशों का पालन करवाने की जिम्मेदारी है?
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

इसराइल ने यूएन निगरानी टॉवर को जानबूझकर किया ध्वस्त