भोपाल। मार्च 2020 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए मध्यप्रदेश के दिग्गज नेता और मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया इस समय सुर्खियों में है। पिछले हफ्ते संविधान दिवस पर संसद में लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी के साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया की वायरल फोटो और फिर विजयपुर विधानसभा उपचुनाव में भाजपा हार के बाद सिंधिया के बयान से जिस तरह से भाजपा संगठन ने काउंटर किया, उससे ज्योतिरादित्य सिंधिया सुर्खियों में आ गए है। एक हफ्ते में लगातार दो सियासी घटनाक्रम के बाद सवाल यह उठ रहा है कि क्या ज्योतिरादित्य सिंधिया और भाजपा में सब कुछ ठीक ठाक है।
विजयपुर पर सिंधिया और भाजपा संगठन आमने-सामने- मध्यप्रदेश की विजयपुर विधानसभा उपचुनाव में भाजपा उम्मीदवार और कैबिनेट मंत्री रामनिवास रावत की हार का एक बड़ा कारण ज्योतिरादित्य सिंधिया का उपचुनाव में चुनाव प्रचार नहीं करने को बताया जा रहा है। दरअसल ग्वालियर-चंबल में सिंधिया घराने का आज भी खासा प्रभाव माना जाता है। विजयपुर विधानसभा सीट जो भाजपा के लिए प्रतिष्ठा की सीट थी और एक समय में ज्योतिरादित्य सिंधिया के नजदीकी लोगों में गिने जाने वाले रामनिवास रावत भाजपा उम्मीदवार थे। सिंधिया के ग्वालियर-चंबल में खास प्रभाव को देखते ही भाजपा संगठन ने विजयपुर उपचुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया को स्टार प्रचारक बनाया था लेकिन सिंधिया पूरे उपचुनाव में न तो चुनाव प्रचार करने पहुंचे और न ही उन्होंने भाजपा प्रत्याशी रामनिवास रावत की जीत के लिए कोई अपील की।
ऐसे में अब जब विजयपुर सीट भाजपा हार चुकी है तब हार की समीक्षा भी होना शुरु हो गई है। वहीं जब सिंधिया से विजयपुर में चुनाव प्रचार नहीं करने पर जब सिंधिया से सवाल किया गया तो उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि अगर मुझे कहा जाता, तो मैं जरूर जाता। ग्वालियर पहुंचे सिंधिया से जब मीडिया ने सवाल किया कि लोग कह रहे है कि महाराज के नहीं जाने से विजयपुर में भाजपा की हार हुई है, तो इस पर सिंधिया ने कहा कि “इस पर हमें चिंतन करना होगा, जरुर चिंता की बात है और अगर मुझे कहा जाता तो मैं जरूर जाता”।
कैबिनेट मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के बयान से यह सवाल उठने लगा कि क्या सिंधिया को वकाई में उपचुनाव के लिए चुनाव प्रचार करने के लिए नहीं बुलाया गया। इस पर प्रदेश भाजपा के महामंत्री और विधायक भगवान दास सबनानी ने कहा कि विजयपुर विधानसभा उपचुनाव के स्टार प्रचारकों की सूची में केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम था। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा, प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद ने विजयपुर विधानसभा उपचुनाव प्रचार के लिए केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को आमंत्रित किया था।
उन्होंने कहा कि पार्टी के प्रदेश नेतृत्व ने केन्द्रीय मंत्री सिंधिया से आग्रह किया था कि वे विजयपुर विधानसभा उपचुनाव के लिए समय दें, लेकिन केन्द्रीय मंत्री सिंधिया की अन्यत्र व्यस्तता होने के कारण वे विजयपुर में समय नहीं दे पाए। ऐसा नहीं है कि मध्यप्रदेश भारतीय जनता पार्टी ने विजयपुर के चुनाव प्रचार में उन्हें नहीं बुलाया था।
सिंधिया के बयान पर जिस तरह से भाजपा संगठन की तरफ से पलटवार किया गया उससे यह साफ है कि सिंधिया और भाजपा संगठन विजयपुर पर आमने-सामने और हार का ठीकरा एक दूसरे पर फोड़ रहे है। दरअसल ज्योतिरादित्य सिंधिया को भले ही भाजपा में शामिल हुए चार साल से अधिक का समय हो चुका हो लेकिन आज भी उनकी और उनके समर्थकों की गिनती अलग से ही होती है। ज्योतिरादित्य सिंधिया पर आरोप लगाता है कि वह अपने समर्थक नेताओं को ही आगे बढ़ाने की हरसंभव कोशिश करते है वह चाहे अपने प्रभाव वाले क्षेत्र में प्रभारी मंत्रियों की नियुक्ति का मसला हुआ या भाजपा संगठन चुनाव या सियासी नियुक्तियां ।
राहुल-सिंधिया की तस्वीर चर्चा में- एक और सिंधिया की भाजपा संगठन से दूरी नजर आ रही है तो दूसरी ओर संसद में संविधान दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में सिंधिया की अपने पुराने दोस्त राहुल गांधी के साथ हाथ में हाथ डाले हुए तस्वीर पर सियासी चर्चा खूब हो रही है। संविधान दिवस पर संसद के सेंट्रल हाल के कार्यक्रम में राहुल और सिंधिया का एक साथ आना और गर्मजोशी से हाथ मिलना भी सियासी सुर्खियों में है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कार्यक्रम खत्म होने के बाद सिंधिया ने राहुल गांधी को नमस्कार किया, जिसके बाद राहुल गांधी मुस्कुरा कर उनसे मिले और दोनों ही नेताओं ने एक दूसरे से हाथ मिला। इस दौरान कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे भी मौजूद थे। ज्योतिरादित्य सिंधिया और राहुल गांधी की यह मुलाकात राजनीतिक चर्चा का विषय बन गई है। सेंट्रल हॉल में राहुल और सिंधिया को इस तरफ मिलता देख कांग्रेस और भाजपा नेता हैरान रह गए।
मार्च 2020 में कांग्रेस से ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत के बाद संभवतः यह पहला मौका है जब सिंधिया और राहुल इस तरह एक साथ मिले है। सोशल मीडिया पर राहुल और सिंधिया की यह तस्वीर जमकर वायरल हो रही है, जिसको लेकर खूब अटकलें लगाई जा रही है। सोशल मीडिया पर यह अटकलें लगाई जा रही है कि क्या सिंधिया और राहुल फिर एक दूसरे के करीब आ रहे है। वैसे भी कहा जाता है कि एक तस्वीर हजार शब्दों के बराबर होती है और तस्वीर अगर राजनीति मे धुर विरोधी नेताओं की एक साथ की हो तो सियासी चर्चाओं का दौर शुरु ही हो जाता है। बहरहाल जब राजनीति को संभावनाओं का खेल कहा जाता हो तो तब देखना होगा कि आगे क्या होता है।