भोपाल। मध्य प्रदेश में एक बार फिर संतों को लेकर सियासत गर्मा गई है। सत्ता में आने के लिए कांग्रेस ने जिस साफ्ट हिंदुत्व का कार्ड खेला था उस पर अब कमलनाथ सरकार आगे बढ़ती दिखाई दे रही है। राजधानी के मिंटो हॉल में हुए संत समागम में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने साधु संतों के साथ ही मठ –मंदिरों के लिए कई बड़ी घोषणा की।
संतों की मांग पर मुख्यमंत्री ने मंच से ही मठ मंदिरों को जमीनों का स्थाई पट्टा दिए जाने की घोषणा भी कर दी। इसके साथ ही सीएम ने कार्यक्रम में संत समाज की तरफ से कंप्यूटर बाबा की रखी गई सभी मांगों को पूरा करने का आश्वासन भी दिया।
धार्मिक घोटालों की होगी जांच – संत समागम में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि पिछले सरकार में धर्म के नाम पर जो घोटाले हुए थे उसकी जांच की जाएगी। शिवराज सरकार के समय नर्मदा किनारे वृक्षारोपण में हुए घोटाले का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर धर्म के प्रति अगर आस्था है तो कोई घोटाला कैसे कर सकता है। मुख्यमंत्री ने पिछली सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि कुल लोग अपने को संतों का ठेकेदार मानते थे। वह मंठ मंदिर पर अपना एकाधिकार मानते थे। भाजपा पर तंज कसते हुए शिवराज ने कहा कि आज यह सम्मेलन देखकर उनके पेट में दर्द हो रहा होगा।
35 साल पहले की थी अध्यात्म मंत्रालय की बात - मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने 35 साल पहले अध्यात्म विभाग बनाने की बात संसद में कही थी,इसलिए जब उन्होंने सबसे पहले अध्यात्म विभाग बनाने का निर्णय लिया। आज की युवा पीढ़ी जिस तरह अध्यात्म से अलग होती जा रही है उस पर मुख्यमंत्री ने चिंता जाहिर करते हुए कि हमें युवा पीढ़ी को अध्यात्म से जोड़ना होगा। इसके लिए उन्होंने सभी साधु संतों से आग्रह किया कि वे इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि पूरे विश्व में भारत अपनी आध्यात्मिक शक्ति के कारण पहचाना जाता है। यहीं वह शक्ति है जो देश की अनेकता में एकता को बनाए रखे हुए हैंं।
संत समागम में मुख्यमंत्री ने देश के कोने कोने से आए साधु संतों का धन्यवाद करते हुए कहा कि संतों के आशीर्वाद से वह सत्ता में आए है और आगे भी संतों के आशीर्वाद से सरकार चलाते हुए मध्य प्रदेश को नई पहचान देंगे।