भोपाल। मध्यप्रदेश में लंबे समय से ट्रांसफर की राह देख रहे शिक्षकों का इंतजार अब खत्म होने जा रहा है। शिवराज कैबिनेट ने स्कूल शिक्षा विभाग में नवीन स्थानांतरण नीति को मंजूरी दे दी है। खास बात यह है कि पहली बार सरकारी स्कूल टीचर्स के लिए स्थाई ट्रांसफर पॉलिसी लागू की जा रही है।
कैबिनेट की बैठक के बाद सरकार के प्रवक्ता नरोत्तम मिश्रा ने फैसले की जानकारी देते हुए कहा कि ट्रांसफर के लिए शिक्षकों को पोर्टल के जरिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा। नई नीति में शिक्षकों के पहले प्रशासनिक स्थानांतरण और फिर स्वैच्छिक स्थानांतरण को प्राथमिकता दी जाएगी।
इसके साथ नए शिक्षकों ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में कम से कम तीन वर्ष के साथ पूरे सेवाकाल में 10 साल कार्य करना होगा। इसके साथ शहरी क्षेत्र में 10 वर्ष से अधिक पदस्थ शिक्षकों को ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में ट्रांसफर किया जाएगा। स्थानांतरण में वरीयता को ध्यान रखा जाएगा। इसके साथ मॉडल स्कूल, सीएम राइज स्कूल में स्वैच्छिक स्थानांतरण नहीं होंगे। वहीं मंत्रियों के साथ-साथ जन प्रतिनिधियों के स्टॉफ में अब शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हो सकेगी।
गृहमंत्री ने बताया कि सरकार ने स्कूल शिक्षा विभाग की विशिष्ट परिस्थितियों और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप विद्यालयों की आवश्यकता के आधार पर पारदर्शी प्रक्रिया से शिक्षकों का स्थानांतरण सुनिश्चित करने के उद्देश्य से यह नीति तैयार की गई है।
इसके साथ कैबिनेट ने राज्य में प्राकृतिक कृषि के प्रचार-प्रसार के लिए प्रदेश के कृषकों को एक देशी गाय के पालन पर अनुदान व प्रत्येक जिले के 100 ग्रामों में प्राकृतिक खेती प्रारंभ करने के उद्देश्य से नवीन मध्य प्रदेश प्राकृतिक कृषि विकास योजना संपूर्ण प्रदेश में क्रियान्वित किए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। वहीं ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कैबिनेट ने होम-स्टे योजना में सब्सिडी के प्रस्ताव को मंजूरी दी है।
वहीं मध्य प्रदेश के नक्सल क्षेत्रों में पदस्थ विशेष सूचना शाखा (SBI) व नक्सल विरोधी अभियान में शामिल हॉक फोर्स के पुलिसकर्मियों के लिए विशेष भत्तों के प्रस्ताव को कैबिनेट ने अपनी मंजूरी दी है। गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के मुताबिक इस निर्णय से प्रदेश के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में तैनात पुलिसकर्मियों का मनोबल बढ़ेगा और नक्सल विरोधी ऑपरेशन और बेहतर ढंग से क्रियान्वित होंगे।
इसके प्रदेश में सौर,पवन,बायामास व लघु जल ऊर्जा आधारित विद्युत उत्पादन नीतियों को समाप्त कर उनके स्थान पर नवकरणीय ऊर्जा नीति-2021 को लागू करने करने का निर्णय लिया गया है। प्रदेश में अब आगामी नवकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं का विकास इसी नीति के आधार पर किया जाएगा।