भोपाल। मध्यप्रदेश में कांग्रेस को झटका देते हुए पार्टी के प्रदेश मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के करीबी नरेन्द्र सलूजा शुक्रवार को सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए। यह घटनाक्रम उस वक्त हुआ, जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी की अगुवाई में भारत जोड़ो यात्रा राज्य से गुजर रही है।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने सरकारी आवास पर सलूजा का भाजपा में स्वागत किया। इस अवसर पर वन मंत्री विजय शाह औरप्रदेश भाजपा के मीडिया विभाग के प्रभारी लोकेंद्र पाराशर मौजूद रहे।
सलूजा ने कहा कि 1984 के सिख विरोधी दंगों के सिलसिले में आरोपों का सामना कर रहे मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ को इस महीने की शुरुआत में इंदौर में सम्मानित किए जाने को लेकर सिख समुदाय के सदस्यों द्वारा उठाए गए सवालों के बाद वे भाजपा में शामिल हुए हैं।
गौरतलब है कि इंदौर के खालसा स्टेडियम में गुरु नानक जयंती के अवसर पर 8 नवंबर को आयोजित एक धार्मिक कार्यक्रम में आयोजकों द्वारा कमलनाथ को सम्मानित किए जाने के बाद विवाद पैदा हो गया था। कमलनाथ के कार्यक्रम स्थल से जाने के बाद मशहूर कीर्तनकार मनप्रीत सिंह कानपुरी ने 1984 के सिख विरोधी दंगों की ओर स्पष्ट इशारा किया था और कांग्रेस नेता को आमंत्रित करने के लिए आयोजकों पर तीखे शब्दों में मंच से नाराजगी जताई थी।
वहीं कांग्रेस की मध्यप्रदेश इकाई के मीडिया विभाग के अध्यक्ष के.के. मिश्रा ने कहा कि सलूजा को हाल ही में पार्टी से निष्कासित किया गया है। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि सलूजा भाजपा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नीतियों से प्रभावित होने के कारण भाजपा में शामिल हुए हैं और भाजपा में शामिल होने के सलूजा के फैसले से पार्टी मजबूत होगी।
सलूजा ने कहा कि वर्ष 1984 के सिख विरोधी दंगों में कमलनाथ की भूमिका के मुद्दे पर 8 नवंबर को इंदौर में कमलनाथ के स्वागत-सम्मान के बाद हुए विरोध प्रदर्शनों के मद्देनजर मैंने भाजपा में शामिल होने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि 1984 के दंगों में कमलनाथ की भूमिका के विरोध में मशहूर कीर्तनकार मनप्रीत सिंह कानपुरी के शब्द तब से मेरे कानों में गूंज रहे हैं। मैं ऐसे नेता के साथ नहीं रह सकता जिसके ऊपर मेरे धर्म के लोगों की हत्या का आरोप हो। इसलिए मैंने भाजपा में शामिल होने का फैसला किया।
कांग्रेस नेता मिश्रा ने दावा किया कि सलूजा को भाजपा के साथ उनके संबंधों के कारण पहले भी उनके पद से हटाया गया था, लेकिन कमलनाथ से माफी मांगने के बाद उन्हें बहाल कर दिया गया था।(भाषा)
Edited by: Ravindra Gupta