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'लाड़लियों' की 'लक्ष्मी' को लेकर असमंजस

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धार , गुरुवार, 19 मार्च 2015 (15:35 IST)
-चयन राठौड़
 
धार। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह द्वारा अपनी 'भानजियों' के लिए लागू की गई 'लाड़ली लक्ष्मी' योजना को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। प्रदेश सरकार की सफल और प्रसिद्ध योजना का अनुसरण करते हुए अन्य राज्य भी इसे लागू कर चुके हैं। इसे राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने की बातें भी हो रही हैं, लेकिन प्रदेश में इस योजना के नियमों में किए गए परिवर्तन की किसी भी स्तर पर स्पष्ट जानकारी नहीं है। लाड़लियों के पालक इस योजना और अपनी बच्चि‍यों के भविष्य को लेकर चिंतित हैं। 
 
प्रदेश सरकार ने कुछ समय पूर्व इस योजना में कुछ परिवर्तन कर नई नीति बनाकर लागू करने की बात कही थी। पहले तो कुछ माह ढील-पोल में बीत गए, फिर कैबिनेट में चर्चा होकर नए निर्णय लिए गए।
 
निर्णयानुसार योजना की मूल नीति में कुछ परिवर्तन किए गए और बताया गया कि इस योजना के तहत जो नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (एनएससी) दिए जाते थे, वे अब नहीं दिए जाएंगे। अब सरकार स्वयं अपने स्तर पर राशि जमा करेगी, लेकिन योजना कैसी होगी, सर्टिफिकेट के बदले में क्या होगा, लाड़ली लक्ष्मी को राशि कहां से मिलेगी, इसकी स्पष्ट जानकारी न तो लाड़लियों के अभिभावकों को है और न ही महिला एवं बाल विकास विभाग को। 
 
धार जिले में 80 हजार 'लाड़ली लक्ष्मी' : इस योजना के तहत केवल धार जिले में ही 80 हजार के लगभग पंजीयन हो चुके हैं और अभी भी पंजीयन चालू हैं। योजना के तहत जितने भी पात्र बने हैं, स्पष्ट जानकारी के अभाव में वे असमंजस में है और फजीहत में अपने दिन बीता रहे हैं। 
 
योजना में परिवर्तन से पहले करीब 72 हजार लाड़ली लक्ष्मी थीं। इन्हें 6-6 हजार के एनएससी प्रदान किए गए थे। शेष राशि के सर्टिफिकेट किस्तों में एक निश्चित अवधि तक देना थे। इसमें से कुछ को पूरे सर्टिफिकेट मिले तो कुछ को तीन-चार सर्टिफिकेट मिले। किसी को एक ही सर्टिफिकेट मिला है। कई लोगों को एक वर्ष पूर्व से ही सर्टिफिकेट मिलना बंद हो गए। 
 
लाड़ली लक्ष्मी के अभिभावक विभाग से जानकारी के लिए चक्कर लगाते रहे तब यही जवाब मिलता रहा कि योजना की नीति में परिवर्तन हो रहा है, पर क्या परिवर्तन हो रहा है यह किसी को नहीं मालूम।
 
अब केवल स्वीकृति पत्र : सालभर की अनिश्चि‍तता के बाद विभाग अब यह कहने की स्थिति में आया है कि इस वर्ष जो पंजीयन हो रहे हैं, उन्हें नई नीति अनुसार केवल स्वीकृति पत्र दिए जाएंगे। पूर्व में जिन्हें सर्टिफिकेट मिले हैं, उनका क्या होगा। शेष राशि कैसे व कहां जमा होगी, इसकी स्पष्ट जानकारी देने में विभाग के अधि‍कारी भी अपने आपको को अक्षम बता रहे हैं। उनका कहना है कि पूर्व के सर्टिफिकेट वालों का आगे क्या होगा, इसकी जानकारी अभी नहीं आई है। योजना का भविष्य क्या होगा, यह लाड़ली लक्ष्मी के अभिभावक जानना चाहते हैं, ताकि वे अपनी लाड़ली का भविष्य सुदृढ़ बनाने के प्रति आश्वस्त हो जाएं।  
 
ऐसी थी मूल योजना : सन् 2007 में जब राज्य शासन ने यह योजना लागू की थी, तब यह कहा गया था कि बालिका के जन्म के बाद उसका पंजीकरण किया जाएगा। प्रकरण स्वीकृत होने पर बालिका के नाम पर लगातार 5 वर्षों तक 6000 रुपए के राष्ट्रीय बचत पत्र प्रदान किए जाएंगे। इसके साथ ही उसे नि:शुल्क शिक्षा, साइकिल, पुस्तकें, ड्रेस आदि भी मिलेगी। बालिका की आयु 21 वर्ष होने पर बचत पत्रों की राशि प्राप्त की जा सकेगी, जो कि एक लाख रुपए से अधिक की होगी। शर्त यह रखी गई कि बालिका 12वीं की परीक्षा में सम्मिलित हो एवं उसका विवाह 18 वर्ष की उम्र से पहले न हुआ हो। 
  
क्या कहते हैं जिम्मेदार : महिला एवं बाल विकास कार्यक्रम अधिकारी सुभाष जैन ने कहा कि लाड़ली लक्ष्मी योजना चालू है। पात्रों के पंजीयन भी हो रहे हैं। नई नीति के तहत सिर्फ स्वीकृति पत्र जारी किए जा रहे हैं। 

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