Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

सत्ता में होने पर भी मध्य प्रदेश में क्यों आमने-सामने आ गए हैं कांग्रेस के दिग्गज, वेबदुनिया की इनसाइड स्टोरी

मध्य प्रदेश में क्या सिंधिया बनना चाह रहे पॉवर सेंटर?

हमें फॉलो करें सत्ता में होने पर भी मध्य प्रदेश में क्यों आमने-सामने आ गए हैं कांग्रेस के दिग्गज, वेबदुनिया की इनसाइड स्टोरी

विकास सिंह

भोपाल। मध्य प्रदेश में 15 साल बाद सत्ता में वापस लौटी कांग्रेस में 6 महीने के अंदर अंतर्कलह खुलकर सामने आ गया है। पिछले दिनों कैबिनेट की बैठक में जिस तरह की गुटबाजी और मंत्रियों के बीच आपसी कलह देखने को मिली उसके बाद यह तो एकदम साफ है कि कांग्रेस में एक बार कमलनाथ बनाम सिंधिया सर्मथकों के बीच अपने वर्चस्व को लेकर सियासी जंग शुरू हो गई है। विधानसभा चुनाव के समय पूरी तरह एकजुट दिखाई देने वाली कांग्रेस में एक बार गुटबाजी का जिन्न बाहर निकलकर आ गया है। कैबिनेट की बैठक में सिंधिया समर्थक मंत्रियों के तीखे तेवर और उनकी सीधे मुख्यमंत्री से टकराने की पर्दे के पीछे की कहानी प्रदेश कांग्रेस में आने वाले दिनों में सत्ता के एक नए केंद्र बनने का साफ संकेत है।

सत्ता संघर्ष के पीछे असली कहानी! : सत्ता में रहते हुए कांग्रेस में छिड़े इस संघर्ष के पीछे की असली कहानी लोकसभा चुनाव से जुड़ती हुई नजर आ रही है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव से पहले सिंधिया का कद बढ़ाते हुए उन्हें बहन प्रियंका गांधी के साथ पार्टी का महासचिव बनाकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश की अहम जिम्मेदारी सौंपी थी। इसके साथ ही पार्टी ने उन्हें उनकी पारंपरिक सीट गुना-शिवपुरी सीट से ही चुनाव मैदान में उतारा था। यह तय था कि अगर कांग्रेस केंद्र में अच्छा प्रदर्शन करती तो ज्योतिरादित्य सिंधिया की एक बड़ी भूमिका देखने को मिलती, लेकिन लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद तस्वीर एकदम पलट गई। जहां कांग्रेस बुरी तरह हार गई, वहीं खुद ज्योतिरादित्य सिंधिया भी अप्रत्याशित तरीके से अपने गढ़ गुना-शिवपुरी सीट से भी चुनाव हार गए। चुनाव के बाद अब जब राहुल गांधी खुद कांग्रेस का अध्यक्ष नहीं रहना चाहते तो ऐसे बदले हालात में ज्योतिरादित्य सिंधिया को अब केंद्र की राजनीति में अगले कुछ समय के लिए खुद के लिए कोई बड़ी भूमिका नजर नहीं आ रही है। ऐसे में सिंधिया मध्य प्रदेश में जहां पार्टी सत्ता में है, अपनी वापसी की राह देख रहे हैं।

सिंधिया को प्रदेश अध्यक्ष बनाने की मांग : लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद एकाएक सिंधिया समर्थकों ने अपने महाराज को प्रदेश कांग्रेस की कमान देने की मांग तेज कर दी। वर्तमान में मुख्यमंत्री कमलनाथ ही प्रदेश अध्यक्ष का कामकाज संभाल रहे हैं। ऐसे में मध्य प्रदेश में शक्ति संतुलन के लिए सिंधिया समर्थक अपने नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाने की मांग कर रहे हैं। वर्तमान में कमलनाथ कैबिनेट में सिंधिया समर्थक सभी मंत्री एक सुर में कांग्रेस हाईकमान से अपने नेता को प्रदेश कांग्रेस की जिम्मेदारी सौंपने की मांग कर चुके हैं। माना यह भी जा रहा है कि पिछले दिनों कैबिनेट की बैठक में जो पूरा घटनाक्रम हुआ वह स्क्रिप्टेड था और उसकी तैयारी दिल्ली में हो चुकी थी। पिछले दिनों सिंधिया समर्थक मंत्रियों की डिनर डिप्लोमेसी में इसको लेकर एक राय भी बन चुकी थी।

क्या सिंधिया बनना चाह रहे हैं पॉवर सेंटर? : मध्य प्रदेश में जहां कांग्रेस सत्ता में है वहां पर क्या सिंधिया प्रदेश अध्यक्ष बनकर एक नया पॉवर सेंटर बनने की कोशिश कर रहे हैं। यह सवाल अब सियासी गलियारों में पूछा जाने लगा है। विधानसभा चुनाव में प्रदेश में कांग्रेस की जीत के बाद भी सिंधिया को मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग जोरशोर से उनके समर्थक विधायकों ने उठाई थी लेकिन कांग्रेस हाईकमान ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के नाम पर मुहर लगाई थी। अब जब ज्योतिरादित्य सिंधिया अपनी सियासी पारी में पहली बार सांसद भी नहीं हैं तब सिंधिया अपना सियासी प्रभाव और रसूख किसी तरह कम नहीं होने देना चाह रहे हैं। इसके लिए सिंधिया प्रदेश में वापसी कर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बन एक नया शक्ति का केंद्र बनने की कोशिश में हैं, जिसके चलते मध्य प्रदेश में सत्ता में रहते हुए भी कांग्रेस में संघर्ष देखने को मिल रहा है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

आधार की 10 जरूरी बातें जो आपके लिए जानना बहुत जरूरी हैं...