Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

आंदोलनकारियों ने सड़कों पर बहाया हजारों लीटर दूध

हमें फॉलो करें आंदोलनकारियों ने सड़कों पर बहाया हजारों लीटर दूध
, गुरुवार, 1 जून 2017 (15:02 IST)
इंदौर। अपनी उपज का उचित मूल्य नहीं मिलने पर नाराज किसानों ने पश्चिमी मध्यप्रदेश में गुरुवार को अपनी तरह के पहले आंदोलन की शुरुआत करते हुए अनाज, दूध और फल-सब्जियों की आपूर्ति रोक दी। इससे आम उपभोक्ताओं को परेशानी का सामना करना पड़ा। सोशल मीडिया के जरिए शुरू हुआ किसानों का आंदोलन 10 दिन तक चलेगा। प्रदर्शनकारी किसानों ने इंदौर और उज्जैन समेत पश्चिमी मध्यप्रदेश के विभिन्न जिलों में दूध ले जा रहे वाहनों को रोका और दूध के कनस्तर सड़कों पर उलट दिए। उन्होंने अनाज, फल और सब्जियों की आपूर्ति कर रहे वाहनों को भी रोक लिया और इनमें लदा माल सड़क पर बिखेर दिया।
webdunia
 किसानों के विरोध प्रदर्शन से इंदौर की देवी अहिल्याबाई फल-सब्जी मंडी और संयोगितागंज अनाज मंडी समेत पश्चिमी मध्यप्रदेश की प्रमुख मंडियों में कारोबार पर बुरा असर पड़ा। किसानों ने मंडियों के भीतर कारोबारी प्रतिष्ठानों के सामने हंगामा भी किया। किसानों के आंदोलन की अगुवाई कर रहे संगठनों में शामिल मध्यप्रदेश किसान सेना के सचिव जगदीश रावलिया कहा कि हमने सोशल मीडिया पर इस आंदोलन का आह्वान किया था और इससे किसान अपने आप जुड़ते चले गए। प्रदेश की मंडियों में भाव इस तरह गिर गए हैं कि सोयाबीन, तुअर (अरहर) और प्याज उगाने वाले किसान अपनी खेती का लागत मूल्य भी नहीं निकाल पा रहे हैं। अगले पन्ने पर, देखें कैसे व्यर्थ बहाया दूध...
 
webdunia
रावलिया ने दावा किया कि अब तक इस आंदोलन को इंदौर, उज्जैन, देवास, झाबुआ, नीमच और मंदसौर जिलों के किसानों का समर्थन मिल चुका है। किसान नेता ने कहा कि हम अपने आंदोलन के जरिए उस सरकार को संदेश देते हुए जमीनी हकीकत से रू-ब-रू कराना चाहते हैं, जो किसानों की आय दोगुनी करने के वादे करती है। 

रावलिया ने कहा कि प्रदेश की मंडियों में सोयाबीन और तुवर सरकार के तय न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से भी कम में बिक रही है, लेकिन बाजार की ताकतों पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है। नतीजतन किसानों के लिये खेती घाटे का सौदा साबित हो रही है।
webdunia

इसका सबसे ज्यादा असर आम लोगों को पड़ा। सब्जियों और प्याज को भी सड़कों पर फेंका गया। उन्होंने मांग की कि सरकार को किसानों के हित में उचित कानून बनाकर इस बात का प्रावधान करना चाहिए कि कृषि जिंसों किसी भी हालत में एमएसपी से नीचे न बिकें। महाराष्ट्र और राजस्थान सहित अन्य राज्यों से भी ऐसे ही समाचार मिले हैं।   हालांकि किसान फसलों के उचित दामों के लिए यह आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन इस तरह से दूध, सब्जियों, अनाज को फेंककर विरोध करने का यह तरीका भी सही नहीं कहा जा सकता है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

सवालों के घेरे में बिहार का टॉपर