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मध्यप्रदेश स्टार्टअप नीति 2022 : इंदौर बनेगा देश की स्टार्टअप कैपिटल

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, मंगलवार, 10 मई 2022 (14:55 IST)
मध्य प्रदेश सरकार युवाओं की उद्यमशीलता को प्रोत्साहित करने के लिए नई स्टार्टअप नीति लाने जा रही है। यह म.प्र. इंक्यूबेशन और स्टार्टअप नीति 2016 से अलग होगी। 2016 की नीति 5 साल के लिए लाई गई थी। अत: अब एमपी स्टार्टअप नीति 2022 लाई जा रही है। स्‍टार्टअप शुरू करने वालों के लिए सरकार की यह नई नीति मील का पत्‍थर साबित होगी।
 
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 13 मई को प्रदेश की स्टार्टअप नीति का वर्चुअल माध्यम से शुभारंभ करेंगे। पीएम इस मौके पर स्टार्टअप पोर्टल भी लांच करेंगे। मुख्य कार्यक्रम इंदौर के ब्रिलिएंट कन्वेंशन सेंटर में होगा। हालांकि इस नीति का अभी पूरी तरह खुलासा नहीं हुआ है, लेकिन नए उद्यमियों को स्टार्टअप शुरू करने के लिए पूंजी अनुदान से लेकर अन्य मदद इसमें शामिल होंगी, जिससे वह आसानी से स्टार्टअप की शुरुआत कर सकें। 
 
क्या होगा नई नीति में : हाल ही में लघु उद्योग विभाग के सचिव पी. नरहरि ने कहा कि नई स्टार्टअप नीति पुरानी नीति से काफी अलग है। 'एमपी स्टार्टअप सेंटर' के कॉन्सेप्ट को एमपी स्टार्टअप नीति 2022 में जोड़ा गया। पहले विभाग द्वारा केवल एक नीति लागू की जा रही थी, लेकिन अब इसे मप्र स्टार्टअप सेंटर के साथ मिलकर लागू किया जाएगा। यह सेंटर एक समर्पित कार्यालय होगा, जिसमें प्रत्येक स्टार्टअप के लिए हेड या संरक्षक होगा और संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ होंगे। ये विशेषज्ञ स्टार्टअप समुदाय की मदद करेंगे। 
 
इंदौर में ईको सिस्टम डेवलप हो रहा है। इंदौर को देश का स्टार्टअप कैपिटल बनाया जाएगा। स्टार्टअप वालों से विचार-विमर्श कर उनके सुझाव के आधार पर स्टार्टअप पॉलिसी तैयार की गई है। इंदौर ने जिस तरह से स्वच्छता के क्षेत्र में देश में अपनी पहचान बनाई, इसी तरह स्टार्टअप में भी इंदौर की नई विशेष पहचान बनाएंगे। इकोनॉमिक कॉरिडोर पर 22 एकड़ का स्टार्टअप हब बनाया जाएगा। स्टार्टअप को हरसंभव मदद दी जाएगी। उन्हें तकनीकी, वित्तीय तथा मार्केटिंग की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। हर क्षेत्र में स्टार्टअप डेवलप किए जाएंगे।
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कैसे लागू होगी नई नीति : मध्यप्रदेश सरकार की नई स्टार्टअप नीति मप्र स्टार्टअप सेंटर के साथ मिलकर लागू की जाएगी। यह पुरानी स्टार्टअप नीति से काफी अलग होगी। प्रदेश में जल्द ही स्टार्टअप पोर्टल का भी क्रियान्वयन शुरू किया जाएगा। इसकी शुरुआत राज्य के सभी विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों और इन्क्यूबेशन सेंटर के साथ वर्चुअल सहभागिता के आधार पर होगी। इस नीति को बनाने से पहले प्रदेश के 42 जिलों में बात की गई। 
 
35 इंक्यूबेशन सेंटर : मध्य प्रदेश में मुख्य रूप से 35 इंक्यूबेशन सेंटर बने हुए हैं। केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही स्टार्टअप नीति में पहले से ही राज्य के 1800 मान्यता प्राप्त और पंजीकृत उद्यमी हैं। इनमें 755 महिलाएं हैं। भारत सरकार और नीति आयोग के अंतर्गत भी 3 इन्क्यूबेशन सेंटर स्थापित हैं। ग्वालियर में 300 सीट्स का टेक्सटाइल इंक्यूबेशन सेंटर स्थापित किया है। इसके माध्यम से करीब 600 लोगों को रोजगार प्राप्त हो रहा है। 
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पिच-अप कार्यक्रम : एमएसएमई एवं फिक्की द्वारा इंदौर में आयोजित स्टार्टअप का पिच-अप कार्यक्रम सार्थक रहा। इस कार्यक्रम से साढ़े 6 करोड़ रुपए की फंडिंग होने की आशा है। इस कार्यक्रम में आईकेन, विजनपार्क, एयरट्रिलियन, स्काईलेन, ड्रोन, ग्रीन हैवन, जीकॉन, माम्स कार्ट पहल जैसे स्टार्टअप में निवेशकों द्वारा रूचि दिखाई गई है।
 
 
2016 की नीति में क्या था खास
  • पूंजी अनुदान
  • संचालन सहायता
  • स्टांप शुल्क एवं पंजीयन में राहत
  • सलाह हेतु सहायता
  • स्टार्टअप प्रतियोगिता सहायता
  • ब्याज अनुदान
  • लीज किराया अनुदान
  • स्टार्टअप विपणन सहायता
  • क्रियान्वयन के लिए राज्य स्तरीय समिति
  • स्टार्टअप-इंक्यूबेटर सेल आदि। 

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