मध्यप्रदेश में चुनावी साल में नर्मदा नदी की रक्षा के लिए पांच संतों की एक समिति का गठन कर उन्हें राज्यमंत्री के दर्जे से नवाजा गया है। जिन संतों को राज्य मंत्री का दर्जा दिया गया है उनमें कंप्यूटर बाबा और योगेंद्र महंत ने सरकार के खिलाफ एक अप्रैल से 15 मई तक नर्मदा घोटाला रथयात्रा निकालने का ऐलान किया था।
इस रथयात्रा में नर्मदा में हुए महाघोटाले का खुलासा करने वाले थे। आश्चर्य की बात तो यह है कि राज्यमंत्री का दर्जा मिलते ही उन्होंने रथयात्रा से हाथ खींच लिए। इनके साथ ही भय्यू महाराज, नर्मदानंदजी और हरिहरानंदजी को भी राज्यमंत्री का दर्ज मिला है।
क्या होगा फायदा : संतों के राज्यमंत्री का दर्जा स्वीकारने पर बवाल मचा हुआ है। हालांकि राज्यमंत्री का दर्जा मिलने से इन संतों को इन सरकारी सुविधाओं का लाभ मिलेगा...
* 7500 रुपए का मासिक वेतन मिलेगा।
* उन्हें गाड़ी और साथ में 1000 किमी का डीजल भी मिलेगा।
* मकान के किराए के लिए 15000 रुपए दिए जाएंगे।
* 3 हजार रुपए का सत्कार भत्ता भी मिलेगा।
* संतों को स्टाफ मिलेगा, साथ ही वे अपना पीए भी रख सकेंगे।
क्यों स्वीकार किया राज्यमंत्री का दर्जा : कंप्यूटर बाबा यह पूछे जाने पर कि क्या एक संन्यासी के रूप में उनका राज्यमंत्री स्तर की सरकारी सुविधाएं स्वीकारना उचित होगा, उन्होंने जवाब दिया कि अगर हमें पद और दूसरी सरकारी सुविधाएं नहीं मिलेंगी, तो हम नर्मदा नदी के संरक्षण का काम कैसे कर पाएंगे। हमें समिति के सदस्य के रूप में नर्मदा नदी को बचाने के लिए जिलाधिकारियों से बात करनी होगी और दूसरे जरूरी इंतजाम करने होंगे। इसके लिए सरकारी दर्जा जरूरी है।
कौन है यह संत :
कंप्यूटर बाबा : स्वामी नामदेव त्यागी उर्फ कंप्यूटर बाबा का दिमाग और याद रखने की क्षमता काफी तेज है। आम संतों से अलग इनके हाथों में हमेशा एक लैपटॉप रहता है। उनके पास वाई-फाई डोंगल, मोबाइल साथ रहता है। कंप्यूटर बाबा 2013 में उस समय अचानक सुर्खियों में आ गए थे जब उन्होंने कुंभ मेले में हेलीकॉप्टर से आने की अनुमति मांगी थी।
योगेंद्र महंत : नर्मदा घोटाला रथयात्रा के संयोजक योगेंद्र महंत को भी शिवराज सरकार ने राज्यमंत्री का दर्जा देने का फैसला किया है। वह एक मई से 15 मई तक भाजपा सरकार के खिलाफ यात्रा निकालने का फैसला किया था। उनका आरोप था की नर्मदा हरियाली प्रोजेक्ट के नाम पर करोड़ों रुपये का घोटाला किया किया गया।
भय्यू महाराज : एक आध्यात्मिक नेता, समाज सुधारक और मोटिवेटर भय्यू महाराज का वास्तविक नाम उदयसिंह देशमुख है। इनकी राजनीतिक पहुंच भी काफी रही है। भय्यू महाराज के कई दलों के दिग्गज नेता और बिजनेसमैन भी फॉलोअर हैं और धार्मिक मामलों पर इनसे सलाह ली जाती रही है। भय्यू महाराज ने 2011 में लोकपाल आंदोलन के समय अन्ना का अनशन तुड़वाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। पिछले साल वह तब सुर्खियों में आए थे जब उन्होंने इंदौर की एक लड़की डॉ. आयुषी से शादी की थी। उनकी पहली पत्नी माधवी का 2015 में निधन हो गया था।
हरिहरानंदजी महाराज : नमामि देवी नर्मदे सेवा यात्रा में शामिल रहे हरिहरानंदजी महाराज ने नर्मदा संरक्षण के लिए काफी काम किया है। 11 दिसंबर 2016 को अमरकंटक से शुरू हुई यह यात्रा 144 दिनों तक चली थी।
नर्मदानंदजी महाराज : नर्मदानंदजी भी मध्यप्रदेश के नामी संतों में से एक हैं। हनुमान जयंती और राम नवमी के मौके पर हर बार यात्रा निकालते हैं। अब उन्हें मध्यप्रदेश सरकार ने राज्य मंत्री का दर्जा दिया है।