ग्वालियर। अपना मानसिक संतुलन बिगड़ने के बाद पिछले करीब 15 साल से लापता एक पुलिस अधिकारी संयोग से अपने दो पूर्व सहकर्मियों को यहां भिखारी के रूप में फुटपाथ पर ठंड से कंपकंपाता हुआ मिला।
पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) रत्नेश सिंह तोमर ने शनिवार को पत्रकारों को बताया कि वह और उनके साथी डीएसपी विजय सिंह बहादुर मंगलवार रात को यहां एक मैरिज हॉल के पास अपनी गाड़ी में थे। तभी उन्हें मानसिक रुप से विक्षिप्त एक भिखारी जैसा दिखने वाला व्यक्ति ठंड से बुरी तरह कांपते हुए कचरे के ढेर से खाना ढूंढता हुआ दिखाई दिया।
तोमर ने बताया कि उसे देखने के बाद वे दोनों गाड़ी से उतरे और हममें से एक ने उस व्यक्ति को अपनी गर्म जैकेट पहनने को दी। तभी उस व्यक्ति ने हम दोनों को हमारे पहले नाम से पुकारा तो हम दोनों चौंक गए। बाद में गौर से देखने पर हमने पाया कि वह और कोई नहीं बल्कि पुलिस बल में हमारे पूर्व सहकर्मी मनीष मिश्रा हैं जो 2005 में दतिया में निरीक्षक के पद पर रहते हुए लापता हो गए थे।
ग्वालियर पुलिस की अपराध शाखा में डीएसपी तोमर ने कहा कि इतने सालों में किसी को भी उनके ठिकाने का पता नहीं था। इसके बाद तोमर और सिंह उन्हें एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) द्वारा संचालित आश्रय स्थल ले गए जहां मिश्रा को अगली व्यवस्था होने तक रखा जाएगा।
तोमर ने बताया कि मिश्रा एक अच्छे एथलीट और शॉर्प शूटर थे। वह हमारे साथ 1999 में पुलिस बल में शामिल हुए थे। वह कुछ वर्षों बाद मानसिक समस्याओं से पीड़ित हो गए थे। उनके परिवार ने उनका उपचार भी कराया था, लेकिन कुछ समय बाद वह लापता हो गए थे।
डीएसपी ने कहा कि हम सभी उनके दोस्त यह प्रयास करेंगे कि मिश्रा का अच्छे से उपचार कराया जाए ताकि वह फिर से अपना सामान्य जीवन जी सकें। (भाषा)