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MP : ​पहली बार पचमढ़ी के राजभवन में होगी मोहन सरकार की कैबिनेट, जानें क्या है इस ऐतिहासिक इमारत का इतिहास

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वेबदुनिया न्यूज डेस्क

भोपाल , सोमवार, 2 जून 2025 (20:42 IST)
मध्यप्रदेश की मोहन सरकार 3 जून को पचमढ़ी के ऐतिहासिक राजभवन में पहली बार डेस्टिनेशन कैबिनेट करने जा रही है। यह बैठक जनजातीय नायक और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी राजा भभूत सिंह को समर्पित होगी। यहां बैठक करने के साथ ही मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव पूरे देश को ये संदेश देंगे कि मध्यप्रदेश सरकार विकास की पंक्ति में सबसे अंत में खड़े व्यक्ति के कल्याण के लिए भी संकल्पित है। राज्य सरकार की बैठक पचमढ़ी में स्थित राजभवन में आयोजित की जाएगी। यह भवन कला-संस्कृति की ऐतिहासिक विरासत है। इस भवन में कदम रखते ही राजशाही का अनुभव होने लगता है। इस राजभवन का निर्माण वर्ष 1887 में हुआ था। यह राजभवन करीब 132 वर्ष पुरानी इमारत है। यह क्षेत्र प्रारंभ में बैतूल के किसी जागीरदार की संपत्ति थी। इसे बाद में अंग्रेजों ने ईस्ट इंडिया कंपनी के अधीन अधिग्रहित कर "गवर्नमेंट हाउस" बना दिया। ब्रिटिश शासनकाल में पचमढ़ी को ग्रीष्मकालीन राजधानी का दर्जा प्राप्त था और यह भवन महत्वपूर्ण प्रशासनिक गतिविधियों का केंद्र हुआ करता था।
 
गौरतलब है कि 22.84 एकड़ के विस्तृत भू-भाग में फैला यह राजभवन परिसर अपनी भव्यता और सुनियोजित संरचना के लिए जाना जाता है। उस वक्त राजभवन के प्रारंभिक निर्माण में 91,344 रुपये की लागत आई थी। इसमें वर्ष 1910-1911 में 20,770 रुपये की लागत से एक भव्य डांस हॉल का निर्माण किया गया। यह हॉल तत्कालीन ब्रिटिश अधिकारियों के मनोरंजन और सामाजिक समारोहों का केंद्र था। वर्ष 1912 में 14,392 रुपये की लागत से काउंसिल चैंबर का निर्माण हुआ। इसे आज दरबार हॉल के नाम से जाना जाता है। यह ब्रिटिश अधिकारियों की महत्वपूर्ण बैठकों और सभाओं के लिए उपयोग में लाया जाता था। बता दें, वर्ष 1933 से 1958 के मध्य इस परिसर में समय-समय पर विस्तार, निर्माण, सुधार एवं मरम्मत कार्य जारी रहे। इनके अतिरिक्त परिसर में सचिव निवास (बी बंगला), ए.डी.सी. निवास, कैम्प हॉल, कैम्प हेड क्लर्क क्वार्टर, अस्तबल, पावर हाउस, एलीफैंट हाउस, महावत हाउस, टाइगर हाउस और स्टाफ क्वार्टर भी ब्रिटिश काल में ही बनाए गए। 
 
यह हैं मुख्य भवन की विशेषताएं
पचमढ़ी राजभवन की मुख्य इमारत यूरोपीय शैली की वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। इसमें 8 कमरे हैं। कमरा नंबर 1 सतपुड़ा कक्ष कहलाता है, जबकि कमरा नंबर 2 को महादेव का नाम दिया गया है। यह दोनों कमरे राज्यपाल और उनकी धर्मपत्नी के लिए आरक्षित रहते हैं। कमरा नंबर 3 से नंबर 8 के नाम जटाशंकर, चौरागढ़, पांडव, रजत, राजेन्द्रगिरी और वायसन हैं। सभी कमरे की छतें ऊंची हैं। इनमें बडे़-बड़े रोशनदान हैं। दरवाजों और खिड़कियों पर विशेष शैली की पीतल की कुंडियां हैं। सागौन की लकड़ी से बने खूबसूरत फर्नीचर अपनी ओर आकर्षित करते हैं। फर्नीचर में सोफे, राइटिंग टेबल, कुर्सियां, पलंग, तिपाई टेबल, ड्रेसिंग टेबल और पुराने कालीन शामिल हैं। इनकी कारीगरी और डिज़ाइन आज भी आकर्षण का केंद्र है। ड्रेसिंग रूम में बुनाई वाली टेबल और कपड़े रखने की बास्केट यूरोपीय जीवनशैली को दर्शाती है। हर कमरे में एक खूबसूरत फायर प्लेस भी है। यह पचमढ़ी के तत्कालीन ठंडे मौसम का आभास कराता है। कमरों के सामने एक लंबा गलियारा है। इसकी लकड़ी की छत की डिज़ाइन अत्यंत मनमोहक है। यहां से सुंदर लॉन का दृश्य अत्यंत सुखद अनुभव प्रदान करता है।
 
राजभवन के ये हैं दूसरे महत्वपूर्ण स्थल
कमरा नंबर 3 से सटा हुआ डायनिंग हॉल एक विशेष तकनीक और डिज़ाइन से निर्मित डाइनिंग टेबल के लिए प्रसिद्ध है। इसे जरूरत के मुताबिक छोटा या बड़ा किया जा सकता है। इस कक्ष में लकड़ी के पैनल लगे हैं। यहां के फर्नीचर अत्यंत सुंदर एवं नक्काशीदार है। यहां एक फायर प्लेस और भोजन के लिए आमंत्रित करने के लिए एक पीतल का बड़ा घंटा भी मौजूद है। डाइनिंग हॉल से लगा लंबा गोल कक्ष गोल रूम (नागद्वार) अतिथि कक्ष के रूप में उपयोग किया जाता है। इसमें ब्रिटिशकालीन फर्नीचर, वुड पैनल, पंखे, नक्काशीदार फायर प्लेस और पुराने फूलदान देखे जा सकते हैं। मुख्य भवन के समीप स्थित डांस हॉल की दीवारों और खिड़कियों में मेहराबदार नक्काशी है, ब्रिटिश काल में नृत्य, गायन और मनोरंजन के लिए प्रयुक्त होता था। इसका लकड़ी का फर्श अंदर से खोखला है, जो इसे बाल डांस रूम की विशिष्टता प्रदान करता है। डांस हॉल के पास कांफ्रेंस हॉल यानी दरबार हॉल है। इस हॉल का इस्तेमाल अंग्रेज अफसर सभाएं आयोजित करने के लिए करते थे। इसमें ब्रिटिशकालीन निर्मित लंबी राउंड टेबल, कुर्सियां, नक्काशीदार लकड़ी का पार्टिशन, बिलियर्ड टेबल (बिलियर्ड स्टिक, स्कोर बोर्ड, हाथी दांत की छोटी गेंदों तथा जजिंग सोफे सहित), लकड़ी का पियानो तथा पियानो बजाने के लिए बैठने की खूबसूरत कुर्सी आज भी संरक्षित है।
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हर चीज है देखने लायक 
पचमढ़ी के राजभवन में "इंद्रधनुष" डॉरमेट्री भी है। यह ब्रिटिश काल में सचिव, ए.डी.सी. और अन्य स्टाफ के ठहरने के लिए इस्तेमाल की जाती थी। दरअसल, पहले यह 'बी बंगला' और 'कैम्प हॉल' थे। इसे ही वर्तमान में एक 40 शयनिकाओं वाली डॉरमेट्री में बदल दिया गया है। इसका लोकार्पण तत्कालीन राज्यपाल लाल जी टंडन ने 5 फरवरी 2020 को किया गया था। यह सुविधा पचमढ़ी आने वाले स्कूल/कॉलेज/एन.एस.एस./एन.सी.सी. के छात्र-छात्राओं को उपलब्ध कराई जाती है। मुख्य भवन के सामने एक विशाल, गोलाकार राजभवन लॉन है। यह पचमढ़ी के सबसे खूबसूरत लॉन में से एक माना जाता है। इसके चारों ओर खूबसूरत फूलों और आभूषणिक पौधों की बाड़ लगी हुई है और बीच में राष्ट्रीय ध्वज फहराने हेतु एक चबूतरा बना है। लॉन में बड़े-बड़े क्रिसमस ट्री भी इसकी शोभा बढ़ाते हैं। राजभवन से लगा लगभग 10 एकड़ का एक किचन गार्डन है। इसमें आम्रपाली, मल्लिका, बॉम्बे ग्रीन, चौसा, दशहरी, रसभंडार, सुंदरजा जैसी आम की विभिन्न किस्मों के लगभग 50 वर्ष से भी पुराने पेड़ हैं। यहां 'सेंटरोज' किस्म की लीची भी होती है, जो अत्यंत रसदार एवं मीठी होती है और मध्य प्रदेश में केवल पचमढ़ी में ही इसका उत्पादन होता है। इसके अतिरिक्त नाशपाती, जामुन, बीज रहित जामुन, महुआ, हर्रा, बहेड़ा, आंवला आदि जंगली पेड़ भी यहां पाए जाते हैं।
 
स्वतंत्रता के बाद क्या हुआ
स्वतंत्रता के बाद वर्ष 1967 तक पचमढ़ी को मध्यप्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजधानी के रूप में प्रयोग किया जाता रहा। इस दौरान राजभवन पचमढ़ी राज्यपाल का आधिकारिक निवास हुआ करता था। तत्कालीन मुख्यमंत्री गोविंद नारायण सिंह ने ग्रीष्मकालीन राजधानी को पचमढ़ी स्थानांतरित करने की प्रथा को समाप्त कर दिया था। आज भी राजभवन पचमढ़ी अपनी ऐतिहासिक आभा और प्राकृतिक सौंदर्य को संजोए हुए है। परिसर में विभिन्न प्रजातियों के पक्षी, बड़ी आकार की जंगली गिलहरियां, नेवले एवं उल्लू आदि पाए जाते हैं, जो इसकी प्राकृतिक समृद्धि को दर्शाते हैं। राजभवन में तीन द्वार हैं, जिनमें मुख्य प्रवेश एवं निर्गम द्वार पर पुलिस चौकी निर्मित है, जहां होमगार्ड के जवान 24 घंटे तैनात रहते हैं। Edited by: Sudhir Sharma 

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