मां आखिर मां होती है और मां सा दुनिया में दूसरा कोई नहीं होता। हर किसी जिसने जन्म लिया उसके जीवन में मां का जिक्र लाजमी है। हम बात कर रहे हैं जिला अस्पताल छतरपुर में भर्ती एक मां की जो अपने बच्चों के लिए बिलख यही है। रो-रो कर महिला के बुरे हाल हैं अपने बच्चों को देख़ने के लिए तड़प रही है।
पिछले 7 वर्षों से वृद्धाश्रम में रह रही 75-80 वर्षीय महिला शांति सोनी बीमारी के चलते जिला अस्पताल के ट्रॉमा वार्ड में भर्ती है।
बीमार शांति सोनी की मानें तो वह गंभीर बीमार थी बावजूद इसके वृद्धाश्रम वाले उसका इलाज नहीं करा रहे थे। बीमारी का बताने पर दुत्कार देते और कह देते हैं कि हम तुम्हें खिला पीला रहे हैं बस इतना ही काफी है। इलाज कराना हमारा कोई काम नहीं है।
इसके चलते वह खुद वृद्धाश्रम से निकलकर जिला अस्पताल परिसर में बने मंदिर तक पहुंची जहां मरणासन्न और बेहोशी की हालत में पड़ी वृद्धा को देख अस्पताल के कर्मचारी रोहित सोनी को तरस आ गया। उसने वरिष्ठ अधिकारियों के सानिध्य में महिला को अस्पताल में भर्ती कराया जिससे वह बमुश्किल बच सकी।
रोहित सोनी ने बताया कि अस्पताल में भर्ती शांतिबाई पिछले कई वर्षों से वृद्धाश्रम में रह रही है। उसके 2 बेटे भी हैं पर कोई उसे कभी देखने तक नहीं आया। वह बीमार है और अपने बेटों की एक झलक के लिए तरस रही है।
शांति बाई की मानें तो उसके बेटे तो उसे रखना भी चाहते हैं पर बहुओं की वजह से नहीं रह पाती।
मामला चाहे जो भी हो पर इस महिला की तरसती और डबडबाई आंखें अपने बच्चों को दिल से पुकार रहीं हैं पर बच्चे हैं कि पत्नियों के डर से मां से मिलने और आने का नाम ही नहीं ले रहे।