भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार ने दुर्लभ चिकन नस्ल 'कड़कनाथ' बाजार में पेश करने के लिए एक मोबाइल एप्लिकेशन तैयार किया है। सरकार झाबुआ आदिवासी इलाके में पाए जाने वाले कड़कनाथ मुर्गे की बढ़ती हुई मांग को देखते हुए नॉनवेज के शौकीनों को अब ऐप के जरिए इसे उपलब्ध करवाएगी। बुधवार को शिवराज सरकार के सहकारिता राज्य मंत्री विश्वास सारंग ने MP KADAKNATH मोबाइल ऐप लांच किया है।
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि सहकारिता से अंत्योदय योजना में सहकारी समितियों का गठन कर रोजगार के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किए गए हैं। इसी कड़ी में कड़कनाथ मुर्गा-पालन और विक्रय से जुड़ी सहकारी समितियों के लिए 'मध्यप्रदेश कड़कनाथ मोबाइल एप' शुरू किया जा रहा है।
सारंग ने कहा कि उपभोक्ता और व्यापारी एप के माध्यम से समितियों तक पहुंच सकते हैं। एप द्वारा समितियों को एक ऐसा प्लेटफॉर्म उपलब्ध करवाया जा रहा है, जो उन्हें आधुनिक बाजार की सुविधा देगा।
सारंग ने कहा कि कड़कनाथ प्रजाति का मुर्गा अन्य प्रजातियों के मुर्गों से बेहतर होता है। इसमें प्रोटीन की मात्रा अधिक और फेट की मात्रा न के बराबर पायी जाती है। इसमें विटामिन-बी-1, बी-2, बी-6, बी-12, सी, ई, नियासिन, केल्शियम, फास्फोरस और हीमोग्लोबिन भरपूर होता है। यह अन्य मुर्गों की तुलना में लाभकारी है। इसका रक्त, हड्डियां और सम्पूर्ण शरीर काला होता है। यह दुनिया में केवल मध्यप्रदेश के झाबुआ और अलीराजपुर में पाया जाता है।
राज्य मंत्री ने बताया कि झाबुआ, अलीराजपुर और देवास जिले में कड़कनाथ मुर्गा-पालन की 21 सहकारी समितियों का पंजीयन हुआ है। इनमें 430 सदस्य हैं। चार समितियों द्वारा व्यवसाय शुरू कर दिया गया है। एप के माध्यम से कोई भी कड़कनाथ मुर्गा खरीदने के लिए ऑनलाइन डिमांड कर सकता है। भविष्य में ऑनलाइन आर्डर के साथ होम डिलीवरी की भी सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी।
हाल ही में कड़कनाथ नस्ल पर मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के बीच विवाद की स्थिति बनी थी और दोनों राज्यों ने इस नस्ल पर अपना दावा जताया था। दोनों राज्यों ने इस काले पंख वाले चिकन किस्म के लिए 'जीआई टैग' के लिए चेन्नई में भौगोलिक संकेतक पंजीयन कार्यालय के साथ आवेदन किया था।
मध्यप्रदेश पशुपालन विभाग के अतिरिक्त उप निदेशक डॉ भगवान मंगहानी ने कहा था कि प्रदेश को काला पक्षी के लिए जीआई टैग प्राप्त होने की संभावना है। उन्होंने कहा कि ग्राम विकास ट्रस्ट ऑफ झाबुआ ने 2012 में कड़कनाथ प्रजनन में शामिल आदिवासी परिवारों की ओर से जीआई टैग के लिए आवेदन किया था। डॉ. मंगनानी ने कहा कि राज्य द्वारा संचालित हैचरी हर साल कड़कनाथ विभिन्न प्रकार के 2.5 लाख मुर्गियों का उत्पादन करती है।
मध्यप्रदेश ने झाबुआ में 1978 में चिकन के इस नस्ल के लिए पहला पोल्ट्री स्थापित किया था, लेकिन छत्तीसगढ़ ने अपने उत्पादन में समय की एक अवधि में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया था।
एक निजी कंपनी ग्लोबल बिजनेस इनक्यूबेटर प्राइवेट लिमिटेड (जीबीआईपीएल) के अध्यक्ष श्रीनिवास गोगिनेनी ने कहा था कि छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में घरेलू वातावरण में एक अनोखे तरीके से पक्षी का पालन किया गया था।