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मध्यप्रदेश भाजपा को मंगलवार को मिलेगा नया प्रदेश अध्यक्ष, चुनाव की अधिसूचना जारी

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का निर्विरोध निर्वाचन लगभग तय, हेमंत खंडेवाल के नाम सबसे आगे

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हमें फॉलो करें Announcement of the name of Madhya Pradesh BJP President

विकास सिंह

, सोमवार, 30 जून 2025 (18:18 IST)
भोपाल। मंगलवार को मध्यप्रदेश भाजपा को नया अध्यक्ष मिल जाएगा। भाजपा ने नए अध्यक्ष के चुनाव के लिए अधिसूचना जारी कर दी है। भाजपा से जुड़े सूत्रों के मुताबिक प्रदेश भाजपा अध्यक्ष का चुनाव निर्विरोध तरीके से होगा, इसलिए मंगलवार शाम ही प्रदेश अध्यक्ष के नाम की घोषणा  कर दी जाएगी।
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प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव को लेकर प्रदेश निर्वाचन अधिकारी विवेक नारायण शेजवलकर ने कहा कि अध्यक्ष के चुनाव को लेकर राज्य निर्वाचक मंडल की सूची का प्रकाशन किया गया है। प्रदेश संगठन पर्व के तहत भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए नामांकन पत्र एक जुलाई को शाम 4.30 बजे से 6.30 बजे तक जमा किए जाएंगे। एक जुलाई को ही शाम 6.30 से 7.30 बजे तक नामांकन पत्रों की जांच होगी। इसके बाद शाम 7.30 से 8.30 बजे तक नामांकन पत्र वापस लिए जा सकेंगे। एक जुलाई को रात 8.30 बजे नामांकन पत्रों की अंतिम सूची की घोषणा की जाएगी। इसके साथ ही विवेक नारायण शेजवलकर ने कहा कि अ आवश्यक होने पर प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए दो जुलाई को प्रातः 11 बजे से 2 बजे तक मतदान कराया जाएगा। मतों की गिनती के पश्चात दोपहर 2 बजे चुनाव परिणाम की घोषणा की जाएगी।
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कौन बनेगा भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष?- भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि पार्टी किस नेता के हाथों में प्रदेश संगठन की बागडोर सौंपेगी। पार्टी क्या किसी सामान्य वर्ग से आने वाले नेता को जिम्मेदारी सौंपेगी या आदिवासी या दलित समुदाय के नेता को आगे बढ़ाकर जातीय समीकरण साधने की कोशिश करेगी। सवाल यह भी है कि पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व ने जिस तरह विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री के तौर पर डॉ. मोहन यादव का चेहरा चुकर हर किसी को चौंका दिया था वैस ही क्या प्रदेश अध्यक्ष के चेहरे लेकर भी पार्टी क्या एक बार फिर चौंकाएगी।  सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा भी जोरों से चल रही है कि क्या केंद्रीय नेतृत्व किसी महिला चेहरे को प्रदेश में संगठन की कमान सौंप कर नया प्रयोग कर सकती  है।

जातीय समीकरण में नए अध्यक्ष का नाम?- भाजपा की शीर्ष नेतृत्व में प्रदेश अध्यक्ष के जरिए प्रदेश में जातीय समीकरण को साध सकता है। मध्यप्रदेश में ओबीसी वर्ग से मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और ब्राह्म्ण वर्ग से डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल और एससी वर्ग से डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा होने के चलते इस बात की संभावना अधिक है कि सामान्य वर्ग या आदिवासी वर्ग से आने वाले किसी नेता को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी जाएगी।

अगर भाजपा अध्यक्ष के दौड़ में बात करें तो खरगोन सांसद गजेंद्र पटेल का नाम अध्यक्ष पद की दौड़ मे सबसे आगे है। पिछले दिनों पचमढ़ी में हुए भाजपा के सांसद और विधायको प्रशिक्षण वर्ग में गजेंद्र पटेल खासे सक्रिय नजर आए  है। पार्टी आदिवासी चेहरे के तौर पर गजेंद्र पटेल को आगे कर उन्हें प्रदेश में संगठन की कमान सौंप सकती है। गजेंद्र पटेल की आदिवासी क्षेत्रों में काफी सक्रियता और केंद्रीय नेतृत्व की गुडबुक में शामिल होने के चलते उन्हें मौका मिल सकता है।

वहीं पार्टी  सामान्य वर्ग की ही किसी चेहरे पर दांव लगा सकती है। वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा सामान्य वर्ग से आते है तो ऐसे में पार्टी फिर से किसी सामान्य वर्ग के नेता को जिम्मेदारी  सौंप सकती है भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के लिए सामान्य वर्ग से दावेदारों को देखे तो पूर्व सांसद और भाजपा विधायक हेमंत खंडेलवाल का नाम ससबे अधिक चर्चा में है। कुशल संगठनकर्ता और संघ के करीबी होने के साथ विवादों से दूर हेमंत खंडेलवाल के नाम अध्यक्ष की रेस में सबसे आगे है।

इसके साथ पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा का नाम भी अध्यक्ष पद की दौड़ में आगे है। पूर्व गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा भले ही विधानसभा चुनाव दतिया से हार गए हो लेकिन वह भोपाल से लेकर दिल्ली तक सक्रिय है। उनकी गिनती अमित शाह के करीबियों में होती है और पिछले दिनों भाजपा की न्यू ज्वाइनिंग टोली के प्रमुख के तौर पर उन्होंने कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं को भाजपा में शामिल कराके अपनी संगठनात्मक क्षमता का परिचय दिया।

महिला चेहरे को मौका दे सकती है भाजपा?-मध्यप्रदेश भाजपा अध्यक्ष को लेकर भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व किसी महिला चेहरे पर दांव लगाकर एक बार फिर चौंका सकती है। अगर महिला चेहरे की बात करें तो प्रदेश महामंत्री कविता पाटीदार, अर्चना चिटनिस, लता वानखेड़े का नाम भी चर्चा मे है। हलांकि कविता पाटीदार के ओबीसी वर्ग से आने के चलते उनकी दावेदारी कमजोर मानी जा रही है। वहीं दूसरी ओर अर्चना चिटनिस को उनके लंबे राजनीतिक अनुभव का लाभ मिल सकता है।
 

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