भोपाल। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की राजधानी भोपाल में हो रही दो दिवसीय ''नेशनल वर्कशॉप विद स्टेट कमीशन्स फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स'' कार्यशाला का शुभारंभ आज राज्यपाल मंगुभाई पटेल और केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री डॉ. मंजुपारा महेंद्रभाई ने किया।
कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा है कि बच्चों के स्वस्थ विकास के लिए परिवार का वातावरण बहुत महत्वपूर्ण है। माता-पिता के आपसी संबंधों का बच्चों के बाल मन पर बहुत गहरा असर पड़ता है। परिवार में बच्चों का स्वस्थ लालन-पालन कैसे हो, इस संबंध में बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा पहल की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि पति-पत्नी के विवाद में बेकसूर बच्चे पीड़ित होते हैं। परिवार का वातावरण सुखद और स्वस्थ हो। समाज को भी इस पर विचार करना चाहिए।
राज्यपाल ने कहा है कि बच्चे राष्ट्र का भविष्य होते हैं। उनके समग्र विकास में पति-पत्नी की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। परिवार के सदस्यों के व्यवहार और उनकी भाषा का बच्चों के कोमल मानस पर गहरा प्रभाव पड़ता है। माता-पिता की कलह और अलगाव से बेकसूर बच्चे सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। उन्होंने कहा कि मज़बूत राष्ट्र के लिए पारिवारिक वातावरण का स्वस्थ और सुखद होना जरूरी है।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. मंजुपारा महेंद्रभाई ने कहा कि संविधान में बिना किसी भेदभाव के बच्चों सहित सभी को समान अधिकार मिले हैं। साथ ही महिलाओं और बच्चों के समग्र विकास के लिए विशेष प्रावधान भी किए गए हैं। सरकार द्वारा इस दिशा में प्रभावी प्रयास आयोग के माध्यम से किए जा रहे हैं।
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने अपने स्वागत उद्बोधन में कहा कि बाल अधिकार और संरक्षण विषय पर स्वस्थ विचार-मंथन के लिए यह दो दिवसीय कार्यशाला की गई है। कोविड प्रकोप के दौरान माता-पिता अथवा इनमें से एक को खोने वाले करीब डेढ़ लाख बच्चों का लालन-पालन आयोग के संरक्षण में पारिवारिक वातावरण में हो रहा है। बच्चों को मादक पदार्थों से बचाने के लिए आयोग द्वारा मेडिकल स्टोर्स पर सी.सी.टी.वी. कैमरे लगवाने की पहल की गई है। सड़क पर रहने वाले बच्चों के लिए ''स्टेंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीज़र टू प्वाइंट जीरो'' में व्यवस्थाएँ बनाई गई हैं।