ओंकारेश्वर। आदि शंकराचार्य की तपस्थली मध्य प्रदेश के खंडवा जिले की तीर्थनगरी ओंकारेश्वर को अब यात्रा कर से मुक्त रखा जाएगा। यहां नर्मदा नदी के तट पर 'आदि शंकराचार्य का स्मरण प्रसंग' संगोष्ठी में शामिल होने आए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को ओंकारेश्वर में यह बात कही।
उधर, संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए जूना अखाड़ा महामंडलेश्वर अवधेशानंद महाराज ने कहा कि आदि शंकराचार्य ने चार पीठ की स्थापना कर देश को एक सूत्र में जोड़ा है। आदि शंकराचार्य ने जो कुछ किया उसी के कारण देश बचा हुआ है।
अवधेशानंद महाराज ने चौहान की तुलना विक्रमादित्य से करते हुए कहा कि निर्भय होकर उन्होंने संतों की सेवा की। सिंहस्थ की व्यवस्थाओं की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि इस बार के सिंहस्थ जैसा कुंभ अपने जीवन में इसके पहले नहीं देखा। उन्होंने कहा कि नर्मदा सेवा यात्रा अब एक बड़ा आंदोलन बन गया है। उन्होंने संत समाज की ओर से रुद्राक्ष की एक माला मुख्यमंत्री को पहनाई।
साध्वी ऋतंभराजी ने कहा कि आदि शंकराचार्य ने अपने दर्शन में कहा है कि एक जोत है सब नूर एक हैं। हम संकल्प लें कि हम मां नर्मदा में गन्दगी नहीं करेंगे। धारावाहिक चाणक्य के निर्देशक डॉ. चन्द्रप्रकाश द्विवेदी ने कहा कि पाठ्यक्रम में उपनिषदों को भी पढ़ाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि ज्ञान के उपकरण आप के मोबाइल पर आ गए हैं। हमें नए प्रसार माध्यमों को खोजना होगा, जो हमें संस्कृति से जोड़ें।
चिन्मय मिशन के स्वामी तेजोमयानंद महाराज ने कहा कि शंकराचार्य ने अपना पूरा जीवन लोकहित में समर्पित कर किया। उपनिषद को पाठ्यक्रम में जोड़ने को उन्होंने मुख्यमंत्री का एक सार्थक कदम बताते हुए कहा कि चिन्मय मिशन भी इस कार्य में मदद करेगा।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सह सरकार्यवाह सुरेश जोशी ने कहा कि शंकराचार्य सनातन धर्म के एकात्मता के पुरोधा रहे हैं। जब समाज बंटा था, उस समय शंकराचार्य ने सभी को एक करने का काम किया। हम आज अनेक जातियों में, अनेक वर्गों में बंटे हुए हैं, ऐसे में अद्वैत का मूल्य नहीं रह जाता। (वार्ता)