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नजरिया : यह टास्क फोर्स है शिवराज का आपातकालीन मंत्रिमंडल

वरिष्ठ पत्रकार कृष्णमोहन झा का नजरिया

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विकास सिंह

, मंगलवार, 14 अप्रैल 2020 (14:18 IST)
कोरोना से जूझते मध्यप्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलों के बीच भाजपा ने एक टास्क फोर्स का गठन किया है। नवगठित टास्क फोर्स का काम कोरोना महामारी के कारण उत्पन स्थिति की समीक्षा करना और सरकार के साथ समन्वय बनाना है। इस टास्क फोर्स के गठन के बाद इस बात का संकेत साफ है कि आने वाले दिनों में बहुत जल्द शिवराज मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं होने जा रहा है। सत्तारूढ़ दल के बनाए गए इस टास्क फोर्स को लेकर मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार कृष्णमोहन झा क्या सोचते पढ़े उन्हीं के शब्दों में ।

एक बार फिर  शिवराज सिंह चौहान ने लगभग तीन सप्ताह पूर्व जब मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी तब वे  जिस उत्साह और आत्मविश्वास से लबरेज दिखाई दे रहे थे उस पर भले  ही अब प्रश्नचिन्ह लगते दिखाई दे रहे हैं परंतु मुख्यमंत्री चौहान का दावा हैं कि मध्यप्रदेश में लॉकडाउन को सुनियोजित तरीके और पूरी सख्ती के साथ लागू करने से ही  स्थिति नियंत्रण में आ सकती है | अगर ऐसा नहीं होता तो मध्य प्रदेश में  स्थिति गंभीर  हो सकती थी|
 
तीन सप्ताहों में प्रदेश में कोरोना वायरस के संक्रमण को बढने से रोकने के लिए मुख्यमंत्री ने  अपनी ओर से भरसक प्रयास करने में कोई कसर नहीं छोड़ी और विकसित निरंतर प्रदेश की जनता को यह विश्वास दिलाते रहे कि उनके एकल नेतृत्व में प्रदेश में कोरोना के विरुद्ध जो लडाई लड़ी  जा रही है, उसमें कोरोनावायरस को हारना ही होगा | इन तीन सप्ताहों के दौरान प्रदेश में इस वायरस  के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए किए गए भरसक प्रयासों की बदौलत ही प्रदेश के  वे तीन जिले रेड जोन में और 21 जिले आरेंज जोन में हैं|
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प्रधानमंत्री मोदी ने लॉकडाउन बढ़ाने के बारे में विभिन्न  राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ 11 अप्रैल को वीडियो कान्फ्रेन्सिंग के जरिए जो चर्चा की थी उसमें शिवराज सिंह चौहान ने भी लॉकडाउन बढ़ाने का जो सुझाव दिया था उसमें प्रदेश की सारी जनता उनके साथ है |परंतु अब यह सवाल भी उठने लगे हैं  कि क्या मुख्यमंत्री  चौहान का वह आत्मविश्वास अभी भी बरकरार है जो उन्होंने मुख्य मंत्री पद की शपथ लेते वक्त प्रदर्शित किया था  | 
 
मुख्यमंत्री ने उस समय कहा था कि वे प्रदेश में कोरोना वायरस के संक्रमण पर नियंत्रण पाने के बाद अप्रैल के दूसरे सप्ताह में अपना मंत्रिमंडल गठित करेंगे परंतु अगर वे संक्रमण पर नियंत्रण के बाद ही मंत्रिमंडल का गठन करने के फैसले पर अडिग हैं तो फिर और इंतजार करना पड़ेगा क्योंकिआज की तारीख़ में तो किसी प्रदेश का मुख्यमंत्री यह दावा करने की स्थिति में नहीं है कि उसके राज्य में कोरोना वायरसके संक्रमण  को कब तक पूरी तरह नियंत्रित कर लिया जाएगा | शायद इसीलिए उन्होंने मंत्रिमंडल की कवायद में समय जाया करने का विचार फिलहाल त्याग दिया है|
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मुख्यमंत्री के इस फैसले से सत्ताधारी दल के उन  विधायकों का हताश होना स्वाभाविक है जो यह आस लगाए बैठे थे कि अप्रैल के मध्य तक ऱाज्य मंत्रिमंडल का गठन होने पर उन्हें मुख्यमंत्री की टीम का हिस्सा बनने का सौभाग्य मिलना तय है परंतु मुख्यमंत्री चौहान ने केन्द्र के निर्देश पर एक टास्क फोर्स  का गठन कर लिया और इसमें केवल अति महत्वपूर्ण  नेताओं को ही स्थान मिल सका है| इसे दूसरे शब्दों में शिवराजसिंह चौहान का आपात कालीन मंत्रिमंडल भी कहा जा सकता है|

मुख्यमंत्री ने बड़ी चतुराई से इस टास्क  फोर्स में सत्ता और संगठन  ,दोनों के बीच संतुलन साधने की कोशिश की है | इस सर्वशक्तिमान टास्क फोर्स में संगठन से जहाँ प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा,  राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह, प्रदेश संगठन महामंत्री सुहास भगत को शामिल किया गया है वहीं दूसरी ओर उपमुख्यमंत्री पद के दावेदार नरोत्तम मिश्र के अलावा पूर्ववर्ती कमलनाथ सरकार के दौरान विपक्ष के नेता रहे गोपाल भार्गव, सिंधिया गुट के विधायक तुलसी सिलवट, पूर्व मंत्री राजेन्द्र शुक्ल को सत्ता पक्ष से स्थान मिला है | 
 
गौरतलब है कि इन्दौर इस समय कोरोना संक्रमण के मामले में प्रदेश में सबसे ऊपर है  इसलिए वहाँ से पार्टी के सबसे कद्दावर नेता कैलाश विजयवर्गीय के अलावा और किसी नाम पर विचार करने का तो सवाल ही नहीं उठता था |गोपाल भार्गव की विपक्ष के नेता होने के अलावा  शिवराज की पिछली सरकार में भी शक्तिशाली मंत्री की छवि रही है इसलिए वे भी टास्क फोर्स के महत्वपूर्ण सदस्य होंगे| प्रदेश में सत्ता परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले नरोत्तम मिश्र को शिवराज सिंह के नए मंत्रिमंडल में उपमुख्यमंत्री पद मिलना तय माना जा रहा है | राजेन्द्र शुक्ल विन्ध्य क्षेत्र से आते हैं | तुलसी सिलावट की ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ निकटता होने के कारण उन्हें टास्क फोर्स में शामिल करने की अनिवार्यता को समझा जा सकता है| उन्हें टास्क फोर्स में सिंधिया गुट का प्रतिनिधि माना जा सकता है | 
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ऐसा प्रतीत होता है कि मुख्यमंत्री ने इस टास्क फोर्स का गठन करते समय क्षेत्रीय संतुलन का भी ध्यान रखा है |  प्रदेश में अधीरता से शिवराज मंत्रिमंडल के गठन की प्रतीक्षा की जा रही थी परन्तु मुख्यमंत्री ने मंत्रिमंडल गठन के बजाय सर्व शक्तिमान टास्क फोर्स का गठन कर यह संदेश दे दिया है कि वे संकट के समय में मंत्रिमंडल को ज्यादा उपयुक्त मानते हैं| इस नाजुक घड़ी में अब इस वाद विवाद को जन्म देना उचित नहीं होगा कि शिवराज सिंह चौहान अगर मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते समय ही टास्क फोर्स का गठन कर लेते तो प्रदेश में कोरोना वायरस के संक्रमण के मामलों की बेहतर तरीके से मानिटरिंग की जा सकती थी |

अब आवश्यकता इस बात की है कि मुख्यमंत्री नवगठित टास्क फोर्स  के सदस्यों के बीच तत्काल ही काम का बटंवारा करें ताकि इस फोर्स के  सारे  सदस्य शीघ्रतिशीघ्र अपनी अपनी जिम्मेदारियों के निर्वहन  में जुट सकें | मुख्यमंत्री चौहान और उनकी ऩवगठित टास्क फोर्स के सामने इस समय जो कठिन चुनौतियां हैं और उनसे सफलतापूर्वक निपटना भी आसान टास्क नहीं है परंतु कुशल रणनीति और बेहतर समन्वय से कठिनचुनौतियों को. अवश्य जीता जा सकता है |

मुख्यमंत्री चौहान को अब यह ध्यान अवश्य रखना होगा किस टास्क फोर्समें शक्ति के अलग अलग केन्द्र न बनने पाएं |यहाँ क्या इस हकीकत से इंकार किया जा सकता है कि इस फोर्स में शामिल सभी सदस्य अपनी विशिष्ट पहचान और हस्ती रखते हैं |यह भी उत्सुकता का विषय है कि कोरोना वायरसके प्रकोप पर नियंत्रण पाने में सफल होने के बाद क्या इस टास्क फोर्स को भंग कर दिया जाएगा अथवा किसी नए स्वरूप में इसका अस्तित्व बना रहेगा?
 
 
 
 
 


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