क्या आपने सुना है ऐसी प्रथा के बारे में...आखिर कैसी है यह प्रथा! जहां लोग बेजुबान मासूम जानवरों की हत्या करने को मजबूर हो जाते हैं और इस हत्या में गायों का इस्तेमाल किया जाता है। जी हां, ऐसी ही एक विचित्र प्रथा है मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले के एक गांव में।
आपको जानकर हैरानी होगी कि मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले के बिलहरी गांव में तकरीबन सौ साल से यह प्रथा चली आ रही है, जहां गायों के जरिए सूअर को मरवाया जाता है। हालांकि यह प्रथा बहुत पुरानी है, यहां दीपावली के दूसरे दिन सुबह सभी गांववासी एकत्रित होते हैं और अपनी-अपनी गायों को साथ लेकर आते हैं और इस दौरान वे सूअर पालकों से एक सूअर खरीदकर लाते हैं और उसे रस्सी से बांधकर गायों के सामने डाल देते हैं, जहां गाएं उस पर हमला बोल देतीं हैं।
इस आयोजन में सभी ग्रामीण अपनी-अपनी गायों और बछड़ों को सजाकर आते हैं और बंधक बने सूअर को उनके सामने डालते हैं, जहां वह उन्हें इतना मारती हैं कि वह लहूलुहान हो जाता है और यह खेल तब तक चलता रहता है कि जब तक कि वह सूअर मर न जाए। गायों द्वारा सूअर को मारने के बाद मौनिया (मौनिया नृत्य करने वाले) गाते-बजाते हैं और जश्न मनाया जाता है। इस प्रथा को लेकर इनका मानना होता है कि यह सब करने से हमारी गाय-भैंसों को रोग-दोष नहीं होते।
इस विचित्र प्रथा के बारे में कहा जाता है कि पुराने समय में जब जंगल ज्यादा रहा करते थे तो गाय-भैंस चराने जाने पर कोई जंगली जानवर चरवाहे अथवा गाय-भैंसों पर हमला करता था तो इस तरह की ट्रेंड गाएं जानवरों का मुकाबला करतीं थीं।
इसे हम प्रथा कहें या कुप्रथा लेकिन इतना तो तय है कि आधुनिकता के युग में इस तरह के घृणित कृत्य को प्रथा का रूप देना बेमानी है। जहां सरेआम जिंदा बेजुबान जानवर को रस्सियों से बांधकर हत्या की जाती है। हालांकि इस आयोजन में मीडिया का प्रवेश वर्जित होता है।