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एमपी में प्रदूषण के स्‍तर में 140 प्रतिशत इजाफा, जहर से हो रहा फेफड़ों और सांस का कबाड़ा, महिलाएं सबसे ज्‍यादा टारगेट पर

IIT Indore ने की स्‍टडी, बताया कैसे जहर की जद में आ रहा मध्‍यप्रदेश

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वेबदुनिया न्यूज डेस्क

, बुधवार, 26 मार्च 2025 (13:16 IST)
मध्यप्रदेश में कहीं भी आप जिस हवा में सांस ले रहे हैं, वो हमारी कल्पना से भी कहीं ज्‍यादा जहरीली हो रही है। जी हां, मध्‍यप्रदेश अब प्रदूषण के लिहाज से लगातार खतरनाक होता जा रहा है। दरअसल, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) इंदौर ने हाल ही में एक स्‍टडी की है। जिसमें प्रदेश में वायु प्रदूषण के खतरनाक स्तर की बात सामने आई है। हैरान करने वाली बात है कि 1980 और 2020 के बीच मध्यप्रदेश में PM2.5 के स्तर में 140 प्रतिशत इजाफा हुआ है।

इस रिपोर्ट में सामने आया कि एमपी में वार्षिक PM2.5 का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मानकों से 8-9 गुना ज्‍यादा है। यह इसलिए परेशान करने वाला है, क्‍योंकि इससे आम लोगों सांस और दिल से संबंधी समस्याओं के साथ ही तंत्रिका संबंधी बीमारियों का खतरा बेहद ज्‍यादा बढ़ गया है। चौंकाने वाली बात है कि इसकी सबसे ज्‍यादा शिकार महिलांए हो रही हैं। डॉक्‍टरों के मुताबिक प्रदूषण की वजह से हवा में फैले महीन कण फेफड़ों में प्रवेश कर सकते हैं और रक्तप्रवाह में पहुंचकर कहर बरपा सकते हैं।
  • 70 से 80 दिन बेहद खतरनाक हवा में सांस ले रहे मध्‍यप्रदेश के लोग
  • WHO के मानकों से 8 से 9 गुना तक ज्यादा एमपी में प्रदूषण
  • दिल्‍ली-एनसीआर और यूपी से कम लेकिन फिर भी खतरनाक
IIT Indore ने की स्‍टडी : बता दें कि यह स्टडी आईआईटी इंदौर के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर मनीष कुमार गोयल और उनकी टीम ने की है। स्टडी में सामने आया कि मप्र में औसत वार्षिक पीएम 2.5 का स्तर 40-45 प्रति घन मीटर में माइक्रोग्राम है, जो राष्ट्रीय मानक (40 प्रति घन मीटर में माइक्रोग्राम) के समान है। लेकिन प्रदूषण के चरम दिनों में यह 200-250 प्रति घन मीटर में माइक्रोग्राम तक पहुंच जाता है। आईआईटी इंदौर का कहना है कि प्रदेश में प्रदूषण का स्तर WHO के मानकों से 8 से 9 गुना तक ज्यादा है।
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साल में इतने दिन जहरीली हवा में बिता रहे हम : बता दें कि अब तक दिल्‍ली, एनसीआर और यूपी जैसे राज्‍यों में ही प्रदूषित माना जाता था, लेकिन अब मध्‍यप्रदेश की हवा भी लगातार जहरीली होती जा रही है। अध्‍ययन में सामने आया कि मध्‍यप्रदेश के लोग हर साल 70 से 80 दिन बेहद खतरनाक हवा में सांस लेने को मजबूर हैं। पहले यह साल में 15 से 25 दिन होती थी। हालांकि स्‍टडी कहती है कि मध्‍यप्रदेश में दिल्ली-एनसीआर और उप्र की तुलना में प्रदूषण कम है, लेकिन आईआईटी की रिपोर्ट का कहना है कि मौजूदा स्तर भी चिंताजनक है।
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सबसे ज्‍यादा खतरा महिलाओं को : स्‍टडी के मुताबिक मध्‍यप्रदेश में फैल रहे इस जहर का सबसे ज्‍यादा असर महिलाओं पर हो रहा है। क्‍योंकि इसकी वजह है घर के अंदर ठोस ईंधन (लकड़ी, कोयला) से खाना पकाने के कारण होने वाला धुआं। दरअसल, पीएम 2.5 का मतलब हवा में मौजूद 2.5 माइक्रो मीटर से भी छोटे कणों से है, जो फेफड़ों और रक्तप्रवाह में आसानी से प्रवेश कर के आपके और हमारे स्‍वास्‍थ्‍य का कबाडा कर सकते हैं।
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क्‍या कहते हैं विशेषज्ञ, किसे है खतरा : प्रदेश में फैलते प्रदूषण के जहर को लेकर डॉक्‍टरों का मानना है कि चाहे वो वायू प्रदूषण हो या किसी तरह का नॉइज पॉल्‍यूशन हर तरह का प्रदूषण इंसानों के लिए खतरनाक है। सांस और फेफड़ों संबंधी रोगों के विशेषज्ञ डॉ रवि दोषी ने वेबदुनिया को बताया कि हवा में फैला किसी भी तरह का प्रदूषण हमारे फैफड़ों के लिए घातक है। कोरोना संक्रमण के बाद लोगों में इम्‍युनिटी का स्‍तर कम हुआ है। ऐसे में प्रदूषण सांस संबंधी बीमारियों को ज्‍यादा फैला रहा है। पिछले कुछ महीनों में एलर्जी के मरीजों की संख्‍या में हुई बढ़ोतरी इसका सबूत है।
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डॉक्‍टरों के मुताबिक दिल, फेफड़ और तमाम तरह की सांस संबंधी बीमारियों से जूझ रहे मरीजों के लिए यह प्रदूषण खतरनाक साबित होगा। बता दें कि हाल ही में इंदौर में दिल के दौरों से कई लोगों की मौत की घटनाएं सामने आई हैं।
रिपोर्ट : नवीन रांगियाल

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