भोपाल। पूर्व लोकसभा सांसद प्रेमचंद बौरासी 'गुड्डू' भाजपा छोड़कर रविवार को कांग्रेस में शामिल हो गए। यह उनकी घर वापसी है। गुड्डू (59) के इस कदम को आगामी सांवेर विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस के टिकट के लिए उनकी दावेदारी से जोड़कर देखा जा रहा है, जहां सत्तारूढ़ भाजपा ज्योतिरादित्य सिंधिया खेमे के वफादार नेता तुलसीराम सिलावट को अपना उम्मीदवार बना सकती है। सिलावट, शिवराज सिंह चौहान की अगुवाई वाली मौजूदा राज्य सरकार में जल संसाधन मंत्री हैं।
कांग्रेस की सदस्यता लेने के बाद गुड्डू ने यहां प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में कहा कि 'मैं मानसिक एवं वैचारिक रूप से भाजपा से जुड़ नहीं पा रहा था, इसलिए कांग्रेस में फिर से शामिल हुआ हूं। अब मैं बहुत अच्छा महसूस कर रहा हूं।' गुड्डू नवंबर 2018 में हुए पिछले मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव से चंद रोज पहले अपने पुत्र अजीत बौरासी के साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा के पाले में चले गए थे। भाजपा ने तब अजीत को पड़ोसी उज्जैन जिले की घट्टिया सीट से उम्मीदवार बनाया था, लेकिन अजीत अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित इस सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार रामलाल मालवीय के हाथों चुनाव हार गए थे।
गुड्डू ने कहा कि मैंने ज्योतिरादित्य सिंधिया से परेशान होकर तब कांग्रेस छोड़ी थी। गुड्डू ने कांग्रेस छोड़ भाजपा में गए सिंधिया पर तंज कसते हुए कहा कि जब सिंधिया मनमोहनसिंह के नेतृत्व वाली वर्ष 2004 से वर्ष 2014 तक तत्कालीन कांग्रेस नीत केन्द्र सरकार में मंत्री थे, तब वे उनके विधानसभा एवं लोकसभा क्षेत्र में मदद मुहैया नहीं कराते थे।
उन्होंने कहा कि सिंधिया उनसे भी कनिष्ठ हैं और कांग्रेस ने उन्हें जो सम्मान दिया, वरिष्ठता के हिसाब से वे इसके योग्य नहीं थे।
गुड्डू ने आरोप लगाया कि सिंधिया किसी न किसी लालच में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में गए हैं। जब उनसे सवाल किया गया कि क्या आप आगामी उपचुनाव में सांवेर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ेंगे, तो इस पर उन्होंने कहा कि मैं कहीं से भी दावेदारी नहीं रखता हूं। मैं सिर्फ भाजपा को हराने के लिए कांग्रेस में आया हूं।
सिंधिया समर्थित कांग्रेस के 22 विधायकों के त्यागपत्र देकर भाजपा में शामिल होकर 20 मार्च को प्रदेश की कमलनाथ के नेतृत्व वाली तत्कालीन कांग्रेस सरकार गिराने की ओर इशारा करते हुए गुड्डू ने बताया कि 'करोड़ों रुपए लेकर उन्होंने कमलनाथ की सरकार गिराई है।
मध्यप्रदेश में 24 विधानसभा सीटों पर होने वाले आगामी उपचुनाव का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि सिंधिया एवं इन 22 बागी कांग्रेस विधायकों ने छुरा घोंपने का काम किया है। 24 सीटों पर होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के गद्दारों को हराने का काम करेंगे।
मालूम हो कि कांग्रेस के 22 विधायकों के त्याग-पत्र देकर भाजपा में शामिल होने के कारण राज्य में कमलनाथ के नेतृत्व वाली तत्कालीन कांग्रेस सरकार अल्पमत में आ गई थी, जिसके कारण कमलनाथ ने तब 20 मार्च को मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद इस साल 23 मार्च को शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में मध्यप्रदेश में भाजपा सरकार बनी है।
विधानसभा की कुल 230 सीटों में से भाजपा के 107 विधायक हैं जबकि कांग्रेस के 22 विधायकों के त्याग-पत्र देने के बाद उसकी संख्या घटकर 92 पर आ गई है। इनके अलावा, 4 निर्दलीय हैं, जबकि दो बसपा एवं एक सपा के पास है। वर्तमान में विधानसभा की 24 सीटें रिक्त हैं, जिनमें से 22 कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे से खाली हुए हैं, जबकि दो सीटें भाजपा एवं कांग्रेस विधायक के निधन के बाद खाली हुई हैं।
अनुशासनहीनता का आरोप लगाते हुए भाजपा ने प्रेमचंद बौरासी 'गुड्डू' को 27 मई को पार्टी से निष्कासित कर दिया था। गुड्डू, वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजयसिंह के करीबी माने जाते हैं और उनका लम्बा राजनीतिक जीवन कांग्रेस में ही गुजरा है। (भाषा)