खजुराहो नृत्य महोत्सव में एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियां हो रही हैं। इनमें कई घराने भी अपनी प्रस्तुतियां दे रहे हैं। ऐसे ही एक हैं दाधीच जयपुर घराने के कलाकार। इनकी प्रस्तुति ने सभी का मन मोह लिया। समूह के कलाकारों ने पूरी जानकारी दी।
इन्होंने नृत्य का प्रशिक्षण गुरू दुर्गा दास प्रसाद, नारायण प्रसाद और सुंदरप्रसाद से प्राप्त किया। नाट्यशास्त्र की शिक्षा पद्मश्री पुरु दाधीच ने गुरूबाबुल शास्त्री जी और साहित्य की शिक्षा शिवमंगल सिंह समुन और
आचार्य श्रीनिवास रथ से ग्रहण की।
उन्हें कथक नृत्य को औपचारिक शिक्षा व्यवस्था में पाठ्यक्रम की तरह मुख्यधारा के विषय के रूप में जोड़ने का श्रेय दिया जाता है। अखिल गंधर्व महाविद्यालय की ओर से उन्हें महामहोपाध्याय की प्रतिष्ठित उपाधि प्रदान की गई तो वहीं ध्रुपद कला केंद्र ने उन्हें ध्रुपद भूषण की उपाधि से सम्मानित किया।
उन्हें मध्यप्रदेश सरकार का शिखर सम्मान, पद्मश्री और उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार भी प्राप्त है। हर्षिता दाधीच ने कथक नृत्य का प्रशिक्षण बेहद छोटी-सी उम्र से गुरूतालमणि केएल भट्ट और बीना ठाकुर से लिया। उन्होंने कथक केंद्र दिल्ली से डिप्लोमा ऑनर्स की शिक्षा ली और अब वे अपने ससुर और गुरु पद्मश्री डॉ. पुरु दाधीच और सास डॉ. विभा दाधीच के मार्गदर्शन में कथक का प्रशिक्षण ले रही हैं।
वे कथक नृत्य की प्राचीन शैलियों पर शोध भी कर रही हैं। कथक नृत्य के प्रचीन अंग और गत निकास की अभिव्यक्तियों ने पूरी दुनिया में उन्हें सम्मान दिलाया। जटिल और विशिष्ट लयकारी को भी पूर्ण सौंदर्य और गहराई के साथ तोड़ा, टुकड़ा और तत्कार में बदलकर वे सीधे कला रसिकों के हृदय को बेधती हैं।उनके हाथों में कथक की विरासत बेहद समृद्ध दिखाई देती है।